फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे – Faiz Ahmad Faiz Koun the ?

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे : हमारी प्यारी भारत की भूमि पर शुरुआत से ही कलाकारों की भरमार रही है और यह कलाकारों से प्रसिद्ध रहा है

यहां पर हर भाषा को एक समान रूप से देखा जाता है और उसे उतनी ही इज्जत प्रदान की जाती है जितनी की अन्य भाषाओं को की जाती है, यही कारण है कि भारत में अनेक भाषाओं के शायर और संगीतकार भी हुए

मिर्जा गालिब से लेकर राहत इंदौरी तक भारत में अनेक शायर हुए हैं उन्हीं में से एक शायर का नाम है फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जो कि अपनी शायरी के अलावा कुछ अन्य गतिविधियों के कारण भी चर्चाओं में रहे हैं

तो आज के इस लेख में हम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के बारे में वह संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे और देखेंगे कि हाल के दिनों में इनका नाम इतना चर्चाओं में क्यों है

और कानूनी कटघरे में इससे संबंधित क्या बातें की जा रही है साथ हमारे आज के इस लेख का मुख्य विषय रहेगा फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे

यह बात तो प्रचलित रही है कि यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो जाता है तो उसे कुछ मुसीबतों का सामना भी करना पड़ सकता है और कुछ Hate का सामना भी करना पड़ सकता है और यह बातें पूर्ण रूप से फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ पर लागू भी होती है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी लिखने की अदाओं में एक बात यह थी कि वह कुछ ऐसी शायरी भी लिखते थे जो कि सीधे किसी एक वर्ग पर कटाक्ष करते हुए नजर आती थी और यही कारण रहा कि एक बार उनकी एक शायरी किसी एक वर्ग विशेष के लिए बन गई थी

Faiz Ahmad Faiz Koun the
Faiz Ahmad Faiz Koun the

 

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे – Who was faiz ahmed faiz

 

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे

 फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का संबंध मुख्यतः शायरी से हैं और वह विश्व के महानतम शहरों में से एक माने जाते हैं 

यह एक पाकिस्तानी शायर थे जो कि अपना विरोध प्रकट करने के लिए शायरी और छोटी कविताओं का सहारा लेते थे, जिन्हें की नज्म कहा जाता है

इनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान में स्थित पंजाब के सियालकोट जिले में हुआ था और वहीं पर उनका बचपन बीता

एक शायर होने के साथ साथ ही वह एक क्रांतिकारी भी थे और शायद यही कारण है कि वह अपने जीवन की युवा अवस्था में काफी समय तक जेल में रहे

उनकी प्रसिद्ध शायरियों और नज्मों में से एक है “हम देखेंगे” जो कि बहुत ज्यादा समय तक चर्चा में रही है

आपने अगर “द कश्मीर फाइल्स” नामक फिल्म को देखा है तो आपको जरूर पता होगा कि उस फिल्म में भी इस नज़्म का प्रयोग किया गया था

अपनी इसी नजम को लेकर फैज अहमद फैज बहुत ज्यादा चर्चाओं में रहे थे और इसी नजम के कारण उन्हें बहुत ज्यादा विरोध का सामना भी करना पड़ा


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की विवादित नज्म

अब आप यह तो जान चुके होंगे कि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे पर आप क्या जानते हैं कि उनकी एक नजम के कारण उन्हें कितने ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की एक नजम “हम देखेंगे” के कारण बहुत बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ था जिसके विरोध में यह कहा गया कि यह नजम हिंदू विरोधी हैं और इसे कश्मीर के साथ जोड़ दिया गया

यह एक छोटी सी कविता थी जिसे कि आईआईटी कानपुर के छात्रों ने भी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में गया था क्योंकि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में भी पहले इस नजम को गाया जा चुका था और इसी कारण से यह विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया

इस कविता को फैज अहमद फैज द्वारा पाकिस्तान के सैन्य शासन के विरोध में लिखा गया था जो कि जिया उल हक के संदर्भ में थी

इस संपूर्ण विवाद की जड़ यह थी कि 1985 में पाकिस्तान के जनरल और सैन्य शासक जिया उल हक के फरमान के तहत यह प्रावधान कर दिया गया था कि अब से औरतें सार्वजनिक स्थानों पर साड़ी पहन कर आ जा नहीं सकेगी और साड़ियों पर पूर्ण रूप से पाबंदी भी लगा दी गई थी

पर इसके विरोध में पाकिस्तान की मशहूर हस्ती गुलुकरा इक़बाल बानो ने इसका जमकर विरोध किया और पाकिस्तान के लाहौर के एक स्टेडियम में काले रंग की साड़ी पहनकर 60000 लोगों के सामने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता “हम देखेंगे” को गाकर अपना विरोध प्रकट किया था हालांकि इसके बाद उन पर कठोर कार्रवाई भी की गई थी

उस समय के बाद “हम देखेंगे” कविता को एक विरोधी कविता के तौर पर लिया जाने लगा और जब कभी भी किसी संगठन द्वारा विरोध किया जाता तो इसी कविता को गाया जाता था

इसी कारण से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने अपने प्रोफेसर और कॉलेज प्रशासन का विरोध करने के लिए यह कविता गाई थी

इसके समर्थन में आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा भी इस कविता को अपने यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर गाया गया और इसी कारण से यह मामला इतना ज्यादा उछल गया 

इसी कविता को भारत की एक फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” में भी दिखाया गया है जिसमें कि कश्मीरी पंडितों द्वारा इस कविता को गाकर अपना विरोध प्रकट किया जा रहा था

बहुत सारे विशेषज्ञों का यह मानना है कि यह कविता हिंदू विरोधी नहीं है क्योंकि अगर यह हिंदू विरोधी होती तो इसमें हिंदुओं के विरोध के संदर्भ में कुछ ना कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता

परंतु यदि हम इस पूरी कविता को भी पढ़ ले तो हमें कोई भी ऐसी बात नहीं मिलती जिससे यह प्रकट होता है कि यह कविता हिंदू विरोधी है

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व सूचना मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने भी फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की प्रशंसा में लिखा है कि “उनके द्वारा हमेशा एक सही लोकतंत्र की प्रशंसा की गई और एक गलत लोकतंत्र की निंदा की गई

पूरे पाकिस्तान में केवल फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ही वह एक व्यक्ति थे जो कि सरकारों के प्रति और सैन्य शासकों के प्रति अपनी शायरियों के माध्यम से विरोध प्रकट करते थे”

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के चर्चा में रहने का एक और यह भी कारण है कि हाल ही में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन अर्थात की सीबीएसई द्वारा कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में से पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की एक कविता को भी हटा दिया गया है

इस प्रकार से एक पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज किस प्रकार से संपूर्ण भारत में एक हिंदू विरोधी शायर के रूप में जाने जाने लगे


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की जीवनी

 

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की जीवनी

 

यह जानने के बाद की फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ क्यों चर्चा में है और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे, अब हम उनके जीवन से संबंधित कुछ पहलुओं को भी समझने का प्रयास करेंगे

  • मशहूर पाकिस्तानी शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म 13 फरवरी 1911 को वर्तमान पाकिस्तान में स्थित पंजाब के सियालकोट जिले में हुआ था और उनके पिता पशु चराने का कार्य करते थे चूंकि यह भारत विभाजन से पहले की बात है तो 1947 से पहले उन्होंने अपना प्रारंभिक शायरी का काम भारत में ही शुरू किया था
  • उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने क्षेत्र के स्कूलों में ही हुई थी और उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी जहां पर उन्होंने कानून के विषय में डिग्री हासिल की
  • अपनी कानून की पढ़ाई को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ सालों तक इंग्लैंड में प्रैक्टिस की तथा उसके बाद वह वापस सियालकोट आ गए, जहां पर उन्होंने अपनी वकालत की आगे की प्रैक्टिस को जारी रखा
  • फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती भी हुए और इसमें उन्होंने कई वर्षों तक सेवाएं भी दी परंतु 1947 के हृदय विदारक विभाजन के पश्चात इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और वह भारत छोड़कर लाहौर आ गए क्योंकि वह स्वयं एक मुस्लिम थे और पाकिस्तान का पूरा निर्माण इसी आधार पर हुआ था कि वहां पर संपूर्ण मुस्लिम रहेंगे
  • लाहौर आने के बाद इन्होंने पाकिस्तान टाइम्स और इमरोज का संपादन किया जो कि प्रमुख पत्रिकाएं और अख़बार हुआ करते थे
  • पाकिस्तान का अलग से एक राष्ट्र के रूप में निर्माण होने के बाद पाकिस्तान को कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा था और इन्हीं मुसीबतों के सामने से फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ अकेले खड़े रहे और उन्होंने अपने विरोधियों का संपूर्ण रूप से विरोध किया
  • पाकिस्तान में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को एक क्रांतिकारी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वह सन 1951 से लेकर 1955 तक जेल में रहे थे क्योंकि 1951 में उनके द्वारा पाकिस्तान में स्थित लियाकत अली खान की सरकार के विरुद्ध अपना मोर्चा खोल दिया गया था
  • 1955 में जब फैज अहमद फैज पाकिस्तान की जेल से रिहा हुए तो उन्होंने यह महसूस किया कि अब पाकिस्तान उनके लेखन के लिए सुरक्षित नहीं है तो वह पाकिस्तान छोड़कर लंदन चले गए और वहां पर उन्होंने अपने लेखन का कार्य जारी रखा
  • जब जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने तो उन्होंने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ से वापस पाकिस्तान आने का आग्रह किया और यह आग्रह उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया क्योंकि यहां पर आने के बाद उन्हें पाकिस्तान का सांस्कृतिक सहायक बनाया गया था
  • 1977 में पाकिस्तान में हुए तख्तापलट के कारण जब जिया उल हक वहां के शासक बन गए तो उनके विरोध में फैज अहमद फैज ने “हम देखेंगे” नामक एक कविता लिखी थी जो कि बहुत ज्यादा चर्चाओं में रही

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का पाकिस्तान को योगदान

पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो कि बहुत ही कम चीजों के लिए प्रसिद्ध हैं और बहुत ही कम लोग पाकिस्तान के हुए हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान को जाना जाता है क्योंकि मुख्यता पाकिस्तान का नाम आतंकवादियों के साथ ही लिया जाता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ पाकिस्तान के एक मशहूर शायर हैं जिन्होंने पाकिस्तान का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया

इन्होंने पाकिस्तान का सांस्कृतिक सहायक बनकर पाकिस्तान की स्थापत्य कला जोकि धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी को बचाया और सांस्कृतिक रूप से पूरे पाकिस्तान को जोड़ने का एक सफल प्रयास भी किया

इन्होंने अपनी शायरियों की मदद से अपने विरोधियों का डटकर विरोध किया और यही कारण था कि जिया उल हक जैसे सैन्य शासक का विरोध करने में भी यह पीछे नहीं हटे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को 1963 में शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और इसके अलावा उन्हें निशाने इम्तियाज से 1990 में सम्मानित किया गया था

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का नाम अपने शांतिपूर्वक आंदोलन करने के ढंग के कारण लिया जाता है

इनके द्वारा लिखी गई शायरियो और कविताओं को आज संपूर्ण विश्व में पढ़ा जाता है जिससे कि पाकिस्तान का नाम पूरी दुनिया में भी रोशन होता है और वह भी साहित्य की वजह से ना कि आतंकवादियों की वजह से


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कुछ प्रमुख रचनाएं

हालांकि यह बात कहने में कोई दो शक नहीं है कि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा बहुत सारी कविताएं और शायरियां लिखी गई थी

परंतु हम आपके सामने उनकी कुछ ऐसी शायरियों और कविताओं को पेश कर रहे हैं जो कि काफी विशेष और काफी प्रसिद्ध मानी जाती हैं

  • अब कहां रसम घर लुटाने की
  • बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते
  • यहां मौसम ए गुल गरजे तर्बखेज बहुत हैं
  • चलो फिर से मुस्कुराए
  • चंद रोज और मेरी जान फकत चंद ही रोज
  • यह फसल उम्मीदों की हमदम
  • खत्म हुई बारिश से संघ
  • तुम जो पल को टहल  जाओ तो यह लमहे पी
  • जिस रोज काजा आएगी
  • कब याद में तेरा साथ नहीं और कब हाथ में तेरा हाथ नहीं

FAQs : Faiz Ahmad Faiz Koun the ?

सवाल : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे?

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एक पाकिस्तानी शायर थे

सवाल : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ चर्चाओं में क्यों रहे?

अपनी विवादित कविता “हम देखेंगे” के कारण यह चर्चाओं में रहे

सवाल : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म कब और कहां हुआ था?

इनका जन्म 1911 में पाकिस्तान के सियालकोट जिले में हुआ था जो कि उस समय भारत में ही था

सवाल : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने किसके विरोध में “हम देखेंगे” कविता लिखी थी?

इन्होंने पाकिस्तान के सैन्य शासक जिया उल हक के विरोध में “हम देखेंगे” नामक कविता लिखी थी

सवाल : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को कब जेल में रहना पड़ा?

सन 1951 से लेकर 1955 तक फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को जेल में रहना पड़ा था


Conclusion

तो पाठ्य को हम आशा करते हैं कि आपको आज का हमारा यह लेख फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कौन थे बहुत ज्यादा पसंद आया होगा और इसे पढ़कर आपको इस मशहूर शायर के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी

अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इस लेख के Comment Box  में अपने अमूल्य Suggestions जरूर लिखें ताकि आगे आने वाले समय में हम आपके लिए इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेख लाते रहे और आपके ज्ञान में सकारात्मक वृद्धि करते रहे

इस लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद