323 Dhara kya Hai in Hindi – आईपीसी की धारा 323 क्या है

323 dhara kya hai – धारा 323 के बारे में तो बहुत लोग जानते हैं पर सभी लोग यह नहीं जानते हैं की धारा 323 के अंतर्गत वैसे अपराधियों को सजा दी जाती है

आपको बता दें कि धारा 327 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को जानबूझकर मारता है या परेशान करता है या फिर किसी के शरीर के किसी अंग को नुकसान पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति को धारा 323 के अंतर्गत अपराधी माना जाता है और धारा 370 के अंतर्गत विशेष ध्यान दिया जाता है।

 

323 Dhara kya Hai – आईपीसी की धारा 323 क्या है

आजकल सभी लोग अपने बच्चों को दिन-रात मेहनत कर शिक्षित बनाते हैं ताकि उनका बच्चा शिक्षित होकर गलत रास्ता अपनाना बंद कर दे।

लेकिन हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो शिक्षित होने के बाद भी अपराध को अंजाम देते हैं अपराध हमारे समाज में एक निंदा की बात हो गई है लेकिन हमारे समाज में जितना शिक्षा का स्तर ऊंचा उठ रहा है उतना ही अपराध हो रहा है।

हमारे समाज में आए दिन इतना अपराध होता रहता है कि अखबारों में और सोशल मीडिया पर अपराध और अपराधियों की खबरें आती  रहती है।

आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे की IPC Section 323 मे सजा के प्रावधान क्या है और यह धारा किस अपराध के लिए लागू होता है।

 

323 Dhara kya Hai
IPC 323 Dhara kya Hai in Hindi 

 

धारा 323 क्या है – IPC Section 323 Kya hai 

जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को स्वेच्छा से नुकसान पहुंचाता है या फिर किसी व्यक्ति को मारने घायल करने के इरादे से संबंधित होता है या अगर कोई किसी को शारीरिक अंग से नुकसान पहुंचाता है तो वह व्यक्ति इसके तहत दोषी होता है

और किसी भी हथियार और उपकरण से किसी भी व्यक्ति को मारता है या उसे किसी प्रकार का कोई नुकसान होता है तो वह आईपीएस धारा 323 के अनुसार दोषी होता है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि धारा 327 के अंतर्गत अपराधियों को 1 वर्ष का सजा दिया जाता है यह सजा अपराधियों के लिए कारावास से लेकर जुर्माने तक की सजा होती है यह सजा अपराधियों के लिए अदालत के फैसले पर निर्भर करता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं अगर किसी व्यक्ति को बेवजह नहीं पहुंचाया जाए तो यह दंड एक दंड का प्रावधान होता है क्योंकि किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना एक  जमानती अपराध माना जाता है।

क्योंकि इसमें किसी व्यक्ति की मरने की आशंका नहीं होती है और ना ही किसी व्यक्ति की मृत्यू हुई होती है। इसीलिए इस अपराध को अदालत के अनुसार जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।

जैसा कि हम देखते हैं कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को चोट पहुंचाता है या छती करता है या फिर कोई अन्य व्यक्ति किसी व्यक्ति को किसी बीमारी से संक्रमित करता है तो इन सब चीजों के लिए व्यक्ति को आती है धारा 323 के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करना काफी जरूरी होता है क्योंकि यह धारा किसी भी व्यक्ति के नुकसान पहुंचाने से संबंधित होता है।

 

323 धारा के अंतर्गत अपराध की प्रकृति क्या हो सकता है

अगर किसी व्यक्ति का अपराध धारा 323 के अंतर्गत आता है तो वह जमानती अपराध होता है ऐसे अपराध में पुलिस अपराधियों को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता है

धारा 323 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट द्वारा इस मामले की जाँच करवाई जाती है

क्योंकि अधिकारी क्षेत्र में आने वाला कोई भी मजिस्ट्रेट निर्णय लेने के लिए और जांच के आदेश के लिए जिम्मेदार होता है इसलिए इस केस में कोई भी काम बिना मजिस्ट्रेट के आज्ञा के नहीं होता है।

 

पहला रिपोर्ट दर्ज करवाना

पहला रिपोर्ट जाने सबसे पहले अपराधी के खिलाफ जो अपराध किया जाता है और उसके बारे में पुलिस थाने में एफ.आई .आर  दर्ज किया जाता है उसे हम पहला रिपोर्ट कहते हैं।

पहला रिपोर्ट में कोई व्यक्ति किसी अपराध में शामिल होता है या कोई अपराध करता है तो वह लिखित में अपनी रिपोर्ट संबंधित थाने को देता है

जिसके बाद पुलिस अधिकारी दंड प्रक्रिया 154 के अंतर्गत प्राथमिक दर्ज करता है।यह मुकदमा का सबसे पहला कदम होता है इसके बाद ही  पुलिस अधिकारी इस मामले की जांच करता है ।

 

मामले कि जाँच करना

जब आरोपी के खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज होता है उसके बाद पुलिस अधिकारी इस मामले की अच्छी तरह से जांच करने के लिए आरोपी के घर जाते हैं

और उसके परिवार वाले आस-पड़ोस और रिश्तेदारों से उसके बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करते हैं।

वैसे अधिकारी को जांच अधिकार कहा जाता है जो पूरे मुकदमे की अच्छी तरह से जांच करता है और गवाहों के बयान भी लेता है।जितने सबूत होते हैं आरोपी के खिलाफ जमा करता है उसके बाद जो निष्कर्ष निकलता है उसे वह न्यायालय में न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत करता है जिसके आधार पर आरोपी को सजा दिया जाता है।

 

चार्जशीट

चार्जशीट को  हिंदी में चालान  कहा जाता है जैसा कि हम अक्सर सुनते हैं कि पुलिस के द्वारा किसी भी  केस के बारे में जांच पड़ताल करके एक चार्जशीट तैयार किया जाता है

इस चार्जशीट को तैयार करने के लिए कम से कम 60 से 70 दिन का समय दिया जाता है जिसके बाद पुलिस आरोपी के खिलाफ चार्जशीट तैयार करके कोर्ट में देता है। जिसके बाद न्यायालय मे इस चार्जशीट को देख कर आरोपी को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा जाता है।

 

वकील के बहस

वकील के बहस  का मतलब होता है कि वकील अपने मुवक्किल के लिए कोर्ट में उसके बेगुनाही  के लिए बहस करता है। इसमें वकील अपने मुवक्किल को निर्देश साबित करने के लिए दस्तावेज अदालत के सामने जमा करता है

न्यायालय द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध धारा जी के तहत अपराध किया गया है, धारा का आरोप पत्र लगाया जाता है या आरोप लगाया जाता है,

जिसके बाद मुकदमा दूसरे चरण में जाता है और उसका निष्कर्ष पूरी तरह से लड़ने के बाद ही निकलता है ।  जिसके बाद यह पता चलता है कि अपराधी सही मे कोई गुनाह  किया है या नहीं।

 

तर्क देना

तर्क देने का अर्थ होता है कि जब आरोपी अभियुक्ति अपने आरोप के बारे में अपना विचार अदालत द्वारा आरोप लगाने के बाद देता है जिसके बाद आरोपी अपने वकील के द्वारा अपना पक्ष रखवाता है और अपना सबूत भी अदालत में पेश करता है

क्योंकि सबूत पेश करने के बाद ही यह निर्णय लिया जाता है कि आरोपी सही में कोई गुनाह किया है या नहीं जिसके आधार पर उसे आरोपी या बेगुनाह साबित किया जा सकता है

अदालत द्वारा समन जारी किया जाता है ताकि गवाह को सूचित किया जा सके कि उसे अदालत में पेश होना है और अपना बयान दर्ज करना है।  के लिए वारंट जारी किया जाता है।  मजिस्ट्रेट के पास किसी भी गवाह का समन वारंट जारी करने की शक्ति है।

 

बयान आरोपी

बयान आरोपी का अर्थ होता है कि जब आरोपी को अदालत के सामने अपना बयान दर्ज करने का मौका दिया जाता है जो अदालत द्वारा ही प्रसारित होता है

और अब युक्तियों के बयान दर्ज किए जाते हैं  यही रिकॉर्ड पर  जब आरोपी को फैसला सुनाया जाता है तो इस रिकॉर्ड को फिर से एक बार देखा जाता है। और उस रिकॉर्ड को देखने के बाद आरोपी को न्यायालय में न्यायाधीश अपना निर्णय सुनाते हैं ।

 

न्यायालय में अपना सफाई देना

न्यायालय में अपना सफाई देने का मतलब होता है कि आरोपी को अपने बचाव में अदालत के द्वारा एक मौका दिया जाता है जिसके अंतर्गत उसे अपने आप को बेगुनाह साबित करने के लिए दस्तावेज अपने बचाव से संबंधित लिखित दस्तावेज न्यायालय में जमा करना।

आरोपी को न्यायालय में ऐसे दस्तावेज जमा करना होता है जो उस मामले में उसका बचाव कर सकें और थाने में लिखित बयान भी दर्ज करवा सके और इस दस्तावेज को सबूत के आधार पर जज के सामने भी दिखा सकें।

 

न्यायालय के द्वारा दिया गया आदेश

न्यायालय के आदेश का मतलब होता है न्यायालय के द्वारा लिया गया निर्णय जब न्यायालय में न्यायाधीश दोनों पक्षों का पूरा मामला सुनता है तो उसके बाद अंतिम क्षण में वह अपना आदेश सुनाता है

यह अंतिम चरण वह होता है जब अदालत दोनों पक्षों के बीच मुकदमे की पूरी जानकारी गवाहों और सबूतों के द्वारा प्राप्त कर लेता है तब वह अंत में अपना फैसला सुनाता है।

दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अगर कोर्ट में न्यायाधीश को लगता आरोपी गुनहगार नहीं है तो उसे बरी कर देता है

और अगर न्यायाधीश को लगता है कि आरोपी कहीं न कहीं दोषी जरूर है तो उसे अपना फैसला सुनाते हुए जेल में रखवा देता है और जुर्माना भरने की सजा भी सुनाता है।

अगर कोर्ट को लगता है कि आरोपी कहीं दोषी नहीं है तो आरोपी को बरी कर दिया जाता है, नहीं तो कोर्ट को लगता है कि अगर इस मामले में आरोपी कहीं दोषी पाया जाता है तो कोर्ट को कारावास और जुर्माने की सजा दी जाती है।

 

जमानत का प्रावधान DHARA 323 में क्या होता है?

धारा 323 ने जमानत का प्रावधान किस तरह है कि पहले कोर्ट में वकील की नियुक्ति करनी होती है कोर्ट में वकील को जमानत अर्जी भी देनी होती है सुनवाई की तारीख दिया जाता है और जिस दिन सुनवाई की तारीख रहती है उस दिन दोनों पक्षों को अपने- अपने वकील के साथ कोट आना होता है। इसके बाद दोनों पक्षों की बातों जज बनते हैं और फिर उस आधार पर अपना निर्णय भी देते हैं।

अगर जज के निर्णय लेने के बाद अपराधी को लगता है कि उसकी गिरफ्तारी फिर भी हो सकती है तो वो अपने बचाव के लिए  न्यायालय में जाकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 मैं अग्रिम जमानत का प्रावधान करता है  जिसके बाद जज फिर अगली सुनवाई का तारीख देता है और फिर अगली तारीख पर दोनों पक्षों की बात सुनता है उसके बाद दोनों पक्षों की बात सुनकर जज आदेश देता है कि आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए या नहीं

 

वकीलों की आवश्यकता IPS धारा 323 में क्यों होता है?

जैसा कि हम सभी जानते हैं आजकल हमारे समाज में अपराध होना एक और असमान्य बात है इसीलिए जब कोई अपराधी अपराध करता है तो उसे जेल से छुड़वाने के लिए सबसे पहले वकील की जरूरत पड़ती है

क्योंकि बिना वकील के अपराधियों को जेल से चुराया नहीं जा सकता है इसीलिए किसी भी केस में वकीलों की अहम भूमिका रहती है।

हमारे देश में किसी भी अपराधी को दंड संहिता की IPS DHARA 323 में सजा का प्रावधान होता है ऐसी स्थिति में किसी भी अपराधी को बेगुनाह बताना काफी मुश्किल होता है

ऐसी स्थिति में अपराधी के पास अपना बेगुनाह साबित करने के लिए कितने गवाह और कितने सबूत क्यों न हो फिर भी उसे इन सब चीजों से छुटकारा पाने के लिए किसी  वकील का सहारा लेना पड़ता है।

जो उसे इन मुसीबतों से छुटकारा दिलवा सके इसके लिए वह एक बेहतरीन वकील ढूंढता है जो पहले से बहुत सारे अपराधी मामलों में जीत हासिल कर चुका हो या कोई केस जीत चुका हो ऐसी वकील को नियुक्त करना काफी अच्छा साबित हो सकता है

जो अपराधी को उसके गुनाहों का सजा दिलवाई और आप को बेगुनाह साबित करे। और आपको कोट से वरी करवा सकता है। इन सब चीजों को देखते हुए आपको अपना वकील रखना होगा।

 

FAQs – IPS 341 धारा क्या है ( IPS Dhara in Hindi )

सबाल : धारा 323 किसे कहते है?

धारा 323 हम उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत वैसे अपराधियों को सजा दी जाती है आपको बता दें कि धारा 327 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को जानबूझकर मारता है या परेशान करता है या फिर किसी के शरीर के किसी अंग को नुकसान पहुंचाता है।

सवाल : वकील का क्या काम होता है?

वकील का काम यह है कि अगर कोई अपराधी अपराध करता है तो उसे न्याय दिलाने के लिए सबसे पहले वकीलों की जरूरत होती है क्योंकि बिना वकील के अपराधियों को जेल से छुराया नहीं जा सकता है इसीलिए किसी भी केस में वकीलों की अहम भूमिका रहती है।

सवाल : न्यायालय मे अपराधियों को सजा किस के आधार पर दिया जाता है?

अपराधियों को सजा न्यायालय में सबूत और गवाहों के आधार पर दिया जाता है

सवाल : एफआईआर की के कहते हैं?

एफआईआर हम उसे कहते हैं जब अपराधी को  उसके अपराध के बारे में शिकायत पहली बार पुलिस थाना में लिखवाते  है तो उसे हम एफआईआर कहते हैं।

 

Conclusion

आज के इस लेख में हमने 323 dhara kya Hai के बारे में वह सभी जानकारियां एकत्रित की है और उनको जाना है जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।

जैसे कि IPC Section 323 in Hindi – आईपीसी धारा 323 क्या है जैसे सभी महत्वपूर्ण सवालों का जवाब हमने इस लेख में विस्तार में प्रदान किया है, जिसका आप को वर्तमान तथा भविष्य में जरूर फायदा होगा

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