France ki kranti kab hui thi : हम सबने अपने इतिहास के बारे में कभी न कभी तो सुना ही होगा उसी इतिहास में एक ऐसी घटना भी दर्ज है जिसका ज़िर्क इतिहास की किताबों में भी बहुत ही प्रचलित विषय के रूप में है जिसे हम फ्रांस की क्रांति (French Revolution) के नाम से जानते है
फ्रांस की क्रांति एक ऐसी क्रांति थी जिसने अनेकों यूरोपी शहरों को प्रेरणा दी हमारे देश भारत के संविधान में भी फ्रांस की क्रांति के अवशेष मिले है
फ्रांस की क्रांति के दौरान एक नारा जो बहुत ही ज्यादा प्रचलित हुआ जिसको हमारे भारत के संविधान के प्रस्तावना में भी दर्शाया गया है वह नारा है
- स्वतंत्रता, समता और बंधुता
प्रस्तावना में जिस तरह से दर्शाया गया है उससे ये साफ साफ मालूम पड़ता है कि भले ही फ्रांस की क्रांति बहुत पहले ही खत्म हो चुकी हो परंतु उसके अवशेष आज भी हम सब को कहीं न कहीं मिल ही जायेंगे
तो अब सवाल आता है की फ्रांस की क्रांति कब हुई और क्यों हुई आज हम इन सभी सवालों के जवाब विस्तार में जानने की कोशिश करेंगे तो चले शुरू करते है
France ki kranti kab hui thi – फ्रांस की क्रांति कब हुई थी
फ्रांस की क्रांति आज से करीब 233 साल पहले 5 जुलाई सन् 1789 को फ्रांस में शुरु हुई और इसका अंत उसके 10 साल बाद 9 नवंबर 1799 को हुआ कहते है कि जिस तरह का संघार फ्रांस की क्रांति में हुआ वह बहुत ही ज्यादा दर्दनाक था
अनेकों जान इस फ्रांस की क्रांति में गई और आप लोगों को बता दे कि 1789 की फ्रांस की क्रांति का अंत उस वक्त के राजा लुई सोलहवें और उनकी पत्नी मैरी एंटोनेट के सिर को धड़ से अलग करके ही फ्रांस की क्रांति का अंत हुआ
यह एक ऐसा दौर था जिसके कारण ही राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन हो रहे थे इस क्रांति ने ही फ्रांस में बड़े बड़े बदलाव लाये और उन सब नियमों को हटाया जो लोगों के लिए ठीक नही थे इसी क्रांति ने और देशों को अपने लिए खड़े होने की हिम्मत दी
फ्रांस की क्रांति के होने का मुख्य कारण कौन से लोग थे
बहुत से ऐसे लोग थे जिनके बुरे कर्मो के कारण फ्रांस में इतना बड़ा विध्वंश हुआ हमने नीचे मुख्य लोगों के बारे में बताया है
फ्रांस की क्रांति कब हुई इसके बारे में तो आप जान ही चुके है आइये इस क्रांति से जुड़े मुख्य लोगों के बारे में जानते है
लुई सोलहवें कौन था
लुई सोलहवें
लुई सोलहवें का जन्म 23 अगस्त 1754 को पैलेस ऑफ़ वर्सेलिस, वर्साइ, फ़्रान्स में हुआ लुई सोलहवें लुई पंद्रहवें का पौत्र था
लुई पंद्रहवें के बाद ही उनके पौत्र लुई सोलहवें ने राज गद्दी संभाली कहते है कि लुई सोलहवें का इसमें सबसे बड़ा दुर्भाग्य था क्योंकि लुई पंद्रहवें की गलतियों का भुगतान लुई सोलहवें ने अपनी प्राणों की आहूति देकर किया
- लुई सोलहवें का धर्म रोमन कैथोलिकवाद था
- उनकी माता का नाम मारिया जोसेफा और उनके पिता का नाम लुई फर्डिनेंड था
- लुई सोलहवें अपने माता–पिता का तीसरा बेटा था
- लुई सोलहवें की पत्नी का नाम मैरी एंटोनेट था
- लुई सोलहवें वहीं राजा था जिसकी वजह से फ्रांस में क्रांति ने बड़ा रूप लिया उसी की वजह से फ्रांस में इतना बड़ा संघार हुआ
आप सभी को बता दें कि अमेरिका की आजादी के पीछे लुई सोलहवें का बहुत बड़ा हाथ था लुई सोलहवें की वजह से ही अमेरिका जैसा देश आजाद हो पाया था,
लुई सोलहवें ही अपने साम्राज्य के आखिरी राजा थे उनके बाद नेपोलियन ने अपनी सत्ता फ्रांस पर जमा ली थी
मैरी एंटोनेट कौन थी
मैरी एंटोनेट
- मैरी एंटोनेट का पूरा नाम मारिया एंटोनिया जोसेफा जोहाना है मैरी एंटोनेट लुई सोलहवें की पत्नी थी
- मैरी एंटोनेट का जन्म 2 नवंबर 1755 को हॉफबर्ग पैलेस, वियना, ऑस्ट्रिया में हुआ था
फ्रांस की क्रांति से पहले मैरी एंटोनेट फ्रांस की आखिरी रानी थी जो फ्रांस की क्रांति की वजह से अपने पति लुई सोलहवें के साथ मारी गई थी,
उन दोनों को मौत की सजा सुना कर मैरी एंटोनेट और लुई सोलहवें के सिर को धड़ से अलग कर दिया गया था फ्रांस की क्रांति के दौरान मैरी एंटोनेट का नाम बहुत सी घटनाओं में जोड़ा गया
मैरी एंटोनेट ने कभी भी फ्रांस के भले के बारे में नहीं सोचा वह हमेशा अपने बारे में सोचती थी जिस वक्त फ्रांस में हर वस्तु महंगी हो रही थी जहां की अर्थव्यवस्था उथल पुथल हो रही थी वही दूसरी ओर मैरी एंटोनेट हमेशा की तरह अच्छे अच्छे पकवान खा रही थी
हर साल मैरी एंटोनेट तीन सौ से चार सौ कपड़े अपने लिए खरीदती थी कहते है कि मैरी एंटोनेट इत्र की बहुत बड़ी शौकीन थी उनके पास अलग अलग तरह के इत्र हमेशा रहते थे
फ्रांस की क्रांति कब हुई थी और उसके कारण
लोग अक्सर पूछते है कि france ki kranti kab hui thi और उसके कारण क्या थे कहा जाता है
कि फ्रांस की क्रांति पूरे यूरोप के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी जिस घटना की वजह से आज फ्रांस की क्रांति (French Revolution) के निशान हम सब को पूरी दुनिया में दिखाई देते है
आप सभी को बता दें कि फ्रांस की क्रांति का असर केवल यूरोप पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर दिखाई दिया फ्रांस की क्रांति में ही पहली बार स्वतंत्रता समता और बंधुता का जिक्र हुआ,
और इसी की वजह से आज ज्यादातर हर देश फ्रांस की क्रांति के नारे को अपने देश में भी प्रकाशित करते है
फ्रांस की क्रांति की चिंगारी पहले ही लग चुकी थी परंतु 1789 के दिन ये चिंगारी आग बन कर उठी और इसी से ही फ्रांस में क्रांति का माहोल बना
फ्रांस की क्रांति के तीन प्रमुख कारण थे जिसकी वजह से फ्रांस में क्रांति का माहोल बना
- राजनीतिक कारण
- आर्थिक कारण
- सामाजिक कारण
फ्रांस की क्रांति का राजनीतिक कारण
फ्रांस एक ऐसा देश रहा है जहां हमेशा से राजाओं का शासन रहा था फ्रांस के राजा ही पूरी तरह से राजनीति को अपने वश में रखे थे,
युद्ध के दौरान फ्रांस की अर्थव्यवस्था इस कदर बिगड़ी कि फ्रांस पूरी तरह से कंगाल हो गया था अर्थव्यवस्था की वजह से फ्रांस में कर की मांग आसमान को छू रही थी महंगाई दिन व दिन बढती ही जा रही थी
फ्रांस की अर्थव्यवस्था इस कदर खराब हो चुकी थी कि वहां के किसान जो मंहगाई के चलते परेशान थे उनके मन में क्रांति की भावना जाग उठी लुई पंद्रहवें फ्रांस के सबसे असफल राजा थे !
आप सभी को बता दे कि लुई पंद्रहवें की वजह से बहुत बड़ी फ्रांस की जमीन फ्रांस के हाथों से निकल चुकी थी जिस तरह से लुई पंद्रहवें का शासन काल रहा उससे फ्रांस के लोगों का बहुत नुस्कान हुआ
देश बर्बादी की कगार पर था परंतु लुई पंद्रहवें के बाद शासन में आए लुई सोलहवें ने भी सिर्फ और सिर्फ खुद के बारे में सोचा और
जब मन चाहा कुछ भी किया राजनीतिक फैसलों पर भी लुई सोलहवें का हाथ तंग था लुई सोलहवें का जो मन करता वह वही करता वह इस तरह का शासक था कि न तो कभी उसने जनता के दुख दर्द को देखा और न ही समाज को देखा
जिस तरह का लुई सोलहवें था वह हमेशा खुद को सर्वोच्च मानता था कहा जाता है कि लुई सोलहवें के कार्यकाल में वह एक ऐसा राजा था जो सिर्फ खुद की राजनीति देखता था
उसका जब भी मन करता वह तुरंत ही कोई भी कानून बना देता फ्रांस के कोने कोने में अलग अलग तरह के कानून थे और अगर कोई भी गलत काम करते हुए पकड़ा जाता तो वह तुरंत उसको मौत की सजा सुना देता
वहां पर कर भी अपने मन मर्जी के मुताबिक वसूला जाता था न्याय प्रणाली की बात करे तो वहां की न्याय प्रणाली भी अस्त व्यस्त थी वहां पर किसी को भी कभी भी कैद कर लिया जाता था
वहां के कुलीन वर्ग के लोग और पादरी लोग कर नहीं देते थे कर सिर्फ और सिर्फ वहां की जनता देती थी जनता जो ये सब देख रही थी वह जानती थी !
इस तरह से सारी पूंजी कर में ही निकल जायेगी ये देखते ही जनता आक्रोश में आ रही थी और ये भी एक फ्रांस की क्रांति का मुख्य कारण था
फ्रांस की क्रांति का आर्थिक कारण
फ्रांस की क्रांति का ये भी एक महत्वपूर्ण कारण था क्योंकि फ्रांस के राजा के लिप्त होने की वजह से फ्रांस की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो रही थी जिस तरह से फ्रांस के राजा हमेशा से खुद के बारे में और अपने बच्चों के बारे में ज्यादा सोचते थे !
इससे वह हमेशा निचले वर्ग के लोगों को भूल ही जाते थे और उन सबकी अय्याशी की वजह से भी आर्थिक स्थिति बदतर बन चुकी थी
जिस तरह की आर्थिक व्यवस्था फ्रांस की हो गई थी और वही दूसरी तरफ महंगाई आसमान छू रही थी
फ्रांस के राजा ने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अमेरिका देश को आजाद कराया कहा जाता है कि लुई सोलहवें एक ऐसे राजा थे जिन्होंने अमेरिका को आजाद कराने में अपनी भूमिका निभाई ये भी एक कारण था जिससे कि आर्थिक व्यवस्था बिगड़ रही थी उसकी वजह से वहां पर रहने वाले लोगों पर करों का भार और भी ज्यादा लग रहा था
वहां के कुलीन और पादरी वर्ग के लोग कर से पूरी तरह से मुक्त थे परंतु साधारण जनता जिन पर कर का बोझ भड़ता ही जा रहा था ये सब जब राजा ने देखा तो उनको सलाह दी गई कि वह कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग के लोगों से भी कर ले ये सब देख कर राजा ने ऐसा ही किया
उन्होंने कुलीन और पादरी वर्ग के लोगों की सभा बुला कर दोनों वर्गों को कर देने के प्रस्ताव की अपील की परंतु कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग के लोगों ने साफ मना किया राजा ने प्रयत्न किया परंतु पेरिस की संसद ने राजा के इस प्रस्ताव को निष्कासित कर दिया
राजा ने जो भी नए कर के कानून बनाए थे उसको पेरिस की संसद ने इंकार कर दिया राजा जी ने संसद पर विरोध कर दिया इसी कारण से जनता के अंदर आक्रोश उत्पन्न हुआ राजा के दरबार में पहरा देते लोगों ने भी राजा जी का विरोध किया
और ये भी एक कारण था फ्रांस की क्रांति का जिसकी वजह से इतना बड़ा संघार हुआ यहां पर एक आर्थिक कारण बनता है जिससे फ्रांस के राजाओं के खिलाफ क्रांति हुई
फ्रांस की क्रांति का सामाजिक कारण
सामाजिक कारण भी एक बहुत बड़ा कारण बना फ्रांस की क्रांति को लेकर, राजा की खराब राजनीति की वजह से वहां पर रहने वाले लोगों के बीच में वर्गों का विभाजन हुआ कुलीन और पादरी वर्ग के लोग और साधारण और निम्न वर्ग के लोग कहा जाता है
कि वहां पर कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग दोनों को ऐसे बहुत से अधिकार दिए जो साधारण और निम्न वर्ग के लोगों के पास नहीं थे
कुलीन और पादरी वर्ग के लोग पूरी तरह से आजाद थे उनको कर भी नहीं देना पड़ता था जहां कुलीन और पादरी वर्ग के लोग कर से आजाद थे वही दूसरी ओर साधारण और निम्न वर्ग के लोग कर के बोझ तले दबे थे साधारण और निम्न वर्ग के लोगों को बहुत अत्याचार सहना पड़ता था
वह जब भी काम करते तो उसके काम के बराबर की मजदूरी भी नहीं मिलती और तो और राजा ने अनेकों तरह के करों से लाद दिया था
वहां के साधारण और निम्न वर्ग के लोगों को जिस तरह से कर का भार बढ़ता जा रहा था उसी प्रकार से वहां के लोगों के अंदर आक्रोश की सीमा बढ़ती जा रही थी
मेडेलन के अनुसार : असमानता ही फ्रांस की क्रांति का सबसे बड़ा कारण था
FAQs – France ki kranti kab hui thi in Hindi
सवाल : फ्रांसीसी क्रांति कब हुई थी
5th may 1789 AD
सवाल : फ्रांस की क्रांति के शुरुआती समय में राजा कौन था?
लुई सोलहवें
सवाल : लुई सोलहवें की पत्नी का नाम क्या था?
मैरी एंटोनेट
सवाल : france ki क्रांति कब हुई थी और कब तक चली?
5th may 1789 to 9th nov 1799
सवाल : फ्रांस में क्रांति के किन कारणों की वजह से क्रांति हुई?
• सामाजिक कारण
• आर्थिक कारण
• राजनीतिक कारण
सवाल : फ्रांस के आखिरी राजा कौन थे?
लुई सोलहवें
सवाल : फ्रांस की आखिरी रानी कौन थी?
मैरी एंटोनेट
सवाल : कौन से वर्ग के लोग कर नहीं देते थे?
कुलीन और पादरी वर्ग के लोग
सवाल : फ्रांस की क्रांति का नारा क्या था?
स्वतंत्रता, समता और बंधुता
Conclusion
हम आशा करते है कि France ki kranti kab hui thi विषय का आज का लेख आप सभी को पसंद आया होगा जो भी जानकारी आप ढूंढ रहे है हमें आशा है आपको मिल गई होगी
अगर कोई भी सवाल या फिर कोई भी सुझाव जो आप हमें देना चाहते है आप नीचे comment में बताइए और आपको ये आज का Article कैसा लगा ये भी comment करके बताइए इस जानकारी को और लोगों तक पहुचाने के लिए share करे, धन्यवाद