Germany ka ekikaran kab aur kaise hua : प्रत्येक राष्ट्र के इतिहास को जब हम देखते हैं तो हमें उसमें कई अनसुने किस्से और कई कहानियां देखने को मिलती हैं
आज इस दुनिया में मौजूद 195 देशों को देखा जाए तो उन्हें बनने में कितना समय लगा और वे किस प्रकार से बने इस में इतिहास के कई सारे पन्ने छुपे हुए हैं
प्रत्येक राष्ट्र का एकीकरण होने में और उसे वर्तमान स्वरूप प्रदान करने में कई सारी दिक्कतों और कई सारे युद्ध का परिणाम देखने को मिलता है
जिस तरह से भारत ने अपना एकीकरण 1956 में पूरा किया तो कुछ इसी प्रकार से कुछ यूरोप के देशों ने भी अपने एकीकरण को पूरा किया था
हम सभी ने विश्व इतिहास में जर्मनी के एकीकरण के बारे में जरूर पढ़ा होगा
साथ ही यह भी यह देखा होगा कि आज जो जर्मनी हमें दिखाई देता है वह किस प्रकार से बना था और उसका एकीकरण कैसे हुआ था
आज के इस लेख में हम उसी यूरोप के राष्ट्र जर्मनी के एकीकरण के बारे में पड़ेंगे
हमारे आज के इस लेख का मुख्य विषय रहेगा Germany ka ekikaran kab aur kaise hua
जर्मनी जो कि यूरोप के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है उसे भी अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त करने में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, जिनके बारे में हम उसके एकीकरण के द्वारा समझने का प्रयास करेंगे

Germany ka ekikaran kab aur kaise hua

जर्मनी का एकीकरण 18 जनवरी 1871 पूरा हुआ था और उस समय वहां के राजा विलियम प्रथम को बनाया गया था और यही आगे चलकर जर्मनी के सम्राट कहलाए
जर्मनी के एकीकरण के समय उसके कुछ राज्यों जैसे कि बवेरिया, बाडेन, हेंस और बूटमवर्ग को वर्तमान जर्मनी में शामिल कर लिया गया था
जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के द्वारा किया गया था जो कि जर्मनी के राज्य परसा के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री हुआ करता था और कुछ समय तक यह परसा राज्य ही जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य था
जर्मनी के एकीकरण के बीज 1830 और 1848 ईस्वी में हुई फ्रांस की क्रांतियों से उपजे थे क्योंकि अब जर्मनी के लोगों में भी राजनीतिक चेतना जागृत हो रही थीं
अपनी एकीकरण के समय जर्मनी 39 राज्यों में बटा हुआ था और इन सभी राज्यों में आपस में बाद विवाद होते रहते थे
उस समय ऑस्ट्रेय व परसा साम्राज्य का यूरोप पर काफी प्रभाव था और वह आर्थिक रूप से और राजनैतिक रूप से भी काफी ज्यादा मजबूत थे
जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका – Germany kai ekkikaran mai bismark ki bhumika

जर्मनी को एक करने के लिए बिस्मार्क की भूमिका को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है
इसका पूरा नाम ऑटोएडवर्ड लियोपोल्ड बिस्मार्क था
उस समय बिस्मार्क का मुख्य लक्ष्य था कि ऑस्ट्रिया को जर्मन संघ से बाहर किया जाए और साथ ही परसा को मिलाकर जर्मनी का एकीकरण किया जाए
अपने इसी लक्ष्य को पाने के लिए ओल्ड मैन बिस्मार्क ने डेनमार्क के साथ युद्ध किया था और उसे सफलता भी हासिल हुई थी
इसी डेनमार्क युद्ध के पश्चात 14 अगस्त 1865 को एक समझौता हुआ, जिसका नाम था गैस्टिन समझौता
इसी गैस्टीन समझौते द्वारा डेनमार्क में शामिल दो प्रदेशों स्लासविग और होल्सटीन को अलग-अलग भागों में बांट दिया गया और इसमें से स्लैशविग परसा को दे दिया गया और होल्सटीन पर ऑस्ट्रिया का अधिकार मान लिया गया
ओल्ड मैन बिस्मार्क को अपने रक्त और लोहे की नीति के लिए भी जाना जाता है क्योंकि उसे संसदीय शासन व्यवस्थाओं में और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में बिल्कुल भी विश्वास नहीं था
इस तरह से जर्मनी के एकीकरण से पहले कई घटनाओं ने अंजाम दिया जो कि निम्नलिखित हैं
- गैस्टिन समझौता
- जर्मन राज संघ की स्थापना
- स्पेन की राजगद्दी का लड़खड़ाना
- सिडान का युद्ध
- जर्मन राज्यों का एकीकरण
जर्मनी का एकीकरण किन-किन चरणों में पूरा हुआ – germany ka ekkikaran kin kin charno mai pura hua
जर्मनी के एकीकरण होने से पहले इसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि को समझना भी जरूरी है और साथ ही साथ यह समझना भी जरूरी है कि किस प्रकार से जर्मनी के एकीकरण से पहले विविध प्रकार के घटनाक्रम घटित हुए
जर्मनी के एकीकरण से पहले हुए विविध प्रकार की घटना क्रम निम्नलिखित हैं
- जर्मन राज्य के लिए सिथिल संघ की स्थापना
ऑस्ट्रिया की वर्तमान राजधानी वियना में पहले वियना कांग्रेस चलती थी जिनके द्वारा जर्मन राज्यों के लिए एक प्रकार की नई व्यवस्था को जन्म दिया गया जिसका नाम सिथील संघ था
इसी सीथिल संघ में विभिन्न राज्यों के पुनरुद्धार के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और एक संघीय सभा का भी गठन किया गया था
इस संघीय सभा का प्रतिवर्ष अधिवेशन फ्रैंकफर्ट में होता था जो कि जर्मनी में स्थित है और साथ ही साथ इस के विविध अधिवेशन ओं में इन सभी राज्यों के आपसी मतभेदों को भी सुलझाया जाता था और इनके बारे में चर्चा भी की जाती थी
इस संघ के सभा के सभी सदस्य जनता द्वारा तो निर्वाचित नहीं किए जाते बल्कि इसके स्थान पर उन सभी राज्यों के राजाओं द्वारा इन्हें मनोनीत किया जाता था और इसी कारण से जर्मन राज्य की जनता में यह लोकप्रिय हो गई
क्योंकि जर्मनी राज्य की जनता में राष्ट्रीयता का भाव और स्वतंत्रता का भाव कूट-कूट कर भरा था और वह नहीं चाहते थे कि यहां पर लोकतंत्र की हत्या की जाए
- जर्मनी के एकीकरण पर फ्रांस की क्रांति का प्रभाव भी निश्चित था
जर्मनी के एकीकरण से पहले फ्रांस की क्रांति हुई थी जोकि 1830 से 1848 तक चली थी और इसी क्रांति के प्रभाव स्वरूप जर्मन राज्य की जनता पर भी इसका प्रभाव पड़ा
फ्रांस की क्रांति के बाद जर्मनी की जनता यह जान चुकी थी कि लोकतंत्र उनके लिए कितना ज्यादा जरूरी है
क्योंकि अभी तक जिस शिथिल संघ की स्थापना की गई थी और जिस संघीय सभा की स्थापना की गई थी उनमें जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं होता था
- इटली के एकीकरण का प्रभाव भी जर्मनी के एकीकरण पर पड़ा
एक अन्य यूरोपीय राष्ट्र इटली भी जर्मनी से पहले एकीकरण की राह पर चल पड़ा था और सन 1860 में इटली का एकीकरण का कार्य पूर्ण हुआ था
1860 में हुआ इटली का यह एकीकरण पीडमैंट के राजा के नेतृत्व में हो रहा था और उनके द्वारा ही जनता को इस एकीकरण के लिए आगे लाया गया था
वहीं दूसरी ओर जर्मनी का एकीकरण वहां के एक राज्य परसा के नेतृत्व में किया जा रहा था
इस प्रकार से इटली के एकीकरण ने भी जर्मनी के एकीकरण में काफी सहायता दी थी
- जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क का उदय
रक्त और लौह की नीति पर चलने वाले बिस्मार्क का उदय भी जर्मनी के एकीकरण के दौरान हुआ था और यह उस समय प्रधानमंत्री के पद पर हुआ करता था
वह पूरी जर्मन सेना और शास्त्रों के दम पर ही जर्मनी के एकीकरण को पूरा करना चाहता था और उसका मकसद था कि जल्द से जल्द जर्मनी को इटली की भांति एक कर दिया जाए ताकि अन्य राज्यों पर जर्मनी का एकाधिकार स्थापित हो सके
ओल्ड मैन बिस्मार्क के दो मुख्य लक्ष्य थे
- ऑस्ट्रिया को जर्मन संघ से बाहर करना और उनके अस्तित्व को समाप्त करना
- परसा राज्य के नेतृत्व में जर्मनी का एकाधिकार स्थापित कर उसका एकीकरण करना
- डेनमार्क का युद्ध भी जर्मनी के एकीकरण का महत्वपूर्ण चरण था
जब ओल्ड मैन बिस्मार्क द्वारा यह धारणा बना ली गई थी कि अब संपूर्ण जर्मनी की जनता और सेना की मदद से जर्मनी का एकीकरण करना जरूरी हो गया है
तब उनका सबसे पहला सफल कदम यही डेनमार्क का युद्ध बना
इस डेनमार्क के युद्ध के परिणाम स्वरूप डेनमार्क के दो प्रदेश हथिया लिए गए जिनमें से एक था स्लासवार्ग और दूसरा होल्सटीन था
परंतु 14 अगस्त 1865 को गैस्टिन का समझौता किया गया जिसके तहत स्लासवार्ग का प्रदेश परसा को दे दिया गया और होल्सटीन पर ऑस्ट्रिया का अधिकार मान लिया गया
इस प्रकार से अब जर्मनी द्वारा डेनमार्क को हराकर पश्चिमी यूरोप में अपना दबदबा और अपने एकीकरण की राह को और भी ज्यादा आसान बना दिया था
- स्पेन की राजगद्दी का लड़खड़ाना
जहां एक और ओल्ड मैन बिस्मार्क के नेतृत्व में जर्मनी द्वारा पहले ही डेनमार्क को हरा दिया गया था
वहीं दूसरी और स्पेन की राजगद्दी पर भी अव्यवस्था का माहौल व्याप्त था और इसी को नजर में रखते हुए जर्मनी ने अपने एकीकरण की राहों में से एक-एक करके सभी पत्थरों को हटा दिया
1863 में स्पेन की जनता ने विद्रोह करते हुए गृह युद्ध की स्थितियां उत्पन्न कर दी और अंततः ग्रह युद्ध प्रारंभ भी हो गया
स्पेन की जनता ने वहां की रानी इसाबेल द्वितीय को स्पेन से निकाल दिया और उसके स्थान पर जर्मनी के राज्य परसा के सम्राट के रिश्तेदार लियो पोलार्ड को वहां का नया शासक बनाने का विचार करने लगी
- सिडान का युद्ध भी जर्मनी के एकीकरण में सहायक रहा
जर्मनी के एकीकरण से पहले जब सिडान का युद्ध हुआ तो इससे यह स्पष्ट हो चुका था कि अब जर्मनी का एकीकरण कोई भी नहीं रोक सकता है
सिडान के युद्ध के बाद जर्मनी के दक्षिण में स्थित कुछ राज्यों को जर्मन संघ में शामिल कर लिया गया जैसे कि बवेरिया, बाडेन, बूटुमवर्ग और हैंस थे
इन सभी राज्यों के एकीकरण के बाद परसा के राजा को जर्मनी का भी शासक मान लिया गया और इस प्रकार से 18 जनवरी 1871 ईसवी को जर्मनी का एकीकरण पूर्ण हुआ
राज्य अभिषेक के बाद विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट बनाया गया था
एकीकरण के बाद जर्मनी में क्या हुआ – Ekkikaran kai baad kya hua
1871 में आखिरकार जर्मनी का एकीकरण ओल्डमैन बिस्मार्क और वहां की जनता के नेतृत्व में पूर्ण कर लिया गया था
एकीकरण के पश्चात वहां पर शासक की पद्धति को समाप्त करते हुए चांसलर पद्धति को स्थापित किया गया अर्थात कि अब वहां के शासक को चांसलर कहा जाएगा
जर्मनी के एकीकरण के बाद ऑटोफन बिस्मार्क वहां के प्रथम चांसलर बने
जर्मनी की चांसलर पद्धति आज तक भी संचालित की जा रही है और वर्तमान में एंजेला मर्केल जर्मनी की चांसलर बनी हुई है
जर्मनी के एकीकरण के पश्चात निम्नलिखित परिवर्तन यूरोप में देखने को मिले
- ऑस्ट्रिया का वर्चस्व यूरोपीय राज्यों पर से खत्म हो गया था और अब वह एक शक्तिहीन राज्य के रूप में जनता के सामने रह गया था
- 1860 में इटली का एकीकरण होना व 1871 में जर्मनी का एकीकरण होना यूरोपीय महाद्वीप में दो प्रमुख शक्तियों के उदय होने के संकेत थे
- जर्मनी के एकीकरण के पश्चात वहां पर लोकतंत्र की स्थापना की गई वह लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी अपनाया गया
- अन्य यूरोपीय राज्यों पर भी जर्मनी के एकीकरण का विशेष प्रभाव पड़ा और उनके द्वारा भी अपने आप को संगठित करने का प्रयास शुरू कर दिया गया
- एकीकरण के पश्चात जर्मनी का पूंजीपति वर्ग और साथ ही किसान वर्ग दोनों ही साथ मिलकर कार्य करने लगे और जर्मनी को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दे
FAQs : Germany ka ekikaran kab aur kaise hua
सवाल : जर्मनी का एकीकरण कब हुआ?
जर्मनी का एकीकरण 18 जनवरी 1871 को किया गया था
सवाल : जर्मनी के एकीकरण के बाद वहां का सम्राट कौन बना था?
जर्मनी के एकीकरण होने के बाद वहां का सम्राट विलियम प्रथम बना था
सवाल : जर्मनी के एकीकरण में सबसे मुख्य भूमिका किसकी रही?
द ग्रैंड ओल्ड मैन बिस्मार्क की जर्मनी के एकीकरण में मुख्य भूमिका रही थी
सवाल : एकीकरण से पूर्व जर्मनी कितने भागों में बटा हुआ था?
एकीकरण से पूर्व जर्मनी दो भागों में बटा हुआ था उत्तर जर्मनी और दक्षिण जर्मनी
सवाल : गेस्टइन का समझौता कब हुआ था?
गेस्टइन का समझौता 14 अगस्त 1865 को हुआ था
सवाल : जर्मनी की वर्तमान स्थिति क्या है?
वर्तमान में जर्मनी यूरोप महाद्वीप में स्थित है और इसकी राजधानी बर्लिन है साथ ही बर्लिन ही इस का सबसे बड़ा शहर भी हैं
सवाल : किन किन राज्यों को मिलाकर 1871 में जर्मनी का एकीकरण किया गया था?
परसा, बवेरिया और सेक्सोनी जैसे स्वतंत्र राज्यों को आपस में मिलाकर 1871 में जर्मनी का एकीकरण किया गया था
Conclusion
तो पाठको हम आशा करते हैं कि आपको आज का हमारा यह लेख Germany ka ekikaran kab aur kaise hua बहुत ज्यादा पसंद आया होगा और इसे पढ़कर आपको उचित जानकारी प्राप्त हुई होगी
हम आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारियां अच्छी लगी होंगी तथा आपको इनसे कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्राप्त हुई होंगी जो कि आगे आपके बहुत काम आ सकेंगी
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