आज का हमारा विषय है केरल की राजधानी क्या है और इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण बाते जो आपको जानना जरूरी है ताकि आप केरल को सही ढंग से घर बैठे जान सके।
केरल भारत के दक्षिणतम राज्यो मे से एक है जो कि सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण राज्य हैं।
इसके उत्तर में कर्नाटक और इसके पूर्व में तमिलनाडु राज्य अवस्थित हैं। केरल के पश्चिम में विशाल अरब सागर तो दक्षिण में मनार की खाड़ी और श्रीलंका अवस्थित हैं।
इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर आप सभी दंग रह जाएंगे क्योंकि यहां प्रकृति पर किसी भी बाहरी तत्व का प्रभाव नही है और यहां प्रकृति अपने यौवन रूप में नजर आती है।
केरल की (Capital) मे इस राज्य की सम्पूर्ण प्रशासनिक गतिविधियां संचालित होती हैं।
आज के इस लेख में हम kerala ki Rajdhani के बारे मे संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले हैं जैसे कि इसकी स्थापना किसने और कब की, इसके महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल, इसकी भौगोलिक दशाये आदि।

केरल की राजधानी क्या है (kerala ki Rajdhani Kya Hai)
केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम है जो कि केरल के दक्षिणतम भाग में स्थित हैं।
ये अरब सागर के पूर्व में स्थित हैं। तिरुवंतपुरम का एक और अन्य नाम त्रिवेंद्रम है जो कि कई लोगों को नही पता है
क्योंकि तिरुवंतपुरम का ये नाम केवल रेलवे स्टेशन पर ही लिखा मिलता है। इसी राजधानी शहर से सम्पूर्ण केरल की प्रशासनिक व्यवस्था को संभाला जाता है।
ये शहर केरल की संस्कृति और सभ्यता का परिचायक है और साथ ही ये केरल का एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है।
तिरुवंतपुरम केरल की राजधानी कब बना था
1956 मे जब केरल राज्य की स्थापना हुई तब से ही तिरुवंतपुरम इसकी राजधानी बना था।
ये शहर दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट पर स्थित हैं जो की प्राचीनकाल मे भारत की सांस्कृतिक विरासत का स्थल रहा था और आज भी हैं।
राजधानी बनने से पूर्व इसका नाम त्रिवेंद्रम था जिसे की बाद में बदलकर तिरुवंतपुरम कर दिया गया था।
तिरुवंतपुरम मे कोनसे राजवंशों का शासन रहा था
दक्षिण भारत मे कई सारे राजवंशों ने शासन किया था जिनमे से कुछ प्रमुख राजवंश थे चोल, पांड्या, चेर , संगम आदि।
इन्ही राजवंशों द्वार कालांतर में केरल और उसकी राजधानी क्षेत्र पर शासन किया गया था।
आधुनिक भारत मे केरल और उसकी राजधानी पर अंग्रेजो, डचो और पुत्रगालियो का शासन रहा था।
प्राचीनकाल मे केरल पर अरबों और यवनों का शासन रहा था। इस प्रकार तीनो कालो में केरल पर विदेशी ताकतों का शासन रहा था।
यहां पर आदिशंकराचार्य का जन्म हुआ था जो कि केरल के इतिहास की एक प्रमुख घटना मानी जाती हैं और उनके द्वारा केरल मे कई सारे मठों का निर्माण कराया गया था।
केरल पर इतिहास के तीनो कालो मे अलग अलग राजवंशों और अलग अलग विदेशी ताकतों ने हुकूमत की पर इसके मूल अस्तित्व को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा।
प्राचीन काल में केरल को तमिल साम्राज्य का ही अंग माना जाता था परन्तु बाद मे इस पर शोध किया गया तब ये सिद्ध हुआ की ये एक अलग राज्य के रूप मे था।
तिरुवंतपुरम का शाब्दिक अर्थ क्या है
जैसा की हम जानते है कि आजादी के बाद से ही सन ,1956 से ही तिरुवंतपुरम kerala ki rajdhani रहा है
और आज तक भी यही इसकी राजधानी है परन्तु क्या आप तिरुवंतपुरम का शाब्दिक अर्थ जानते हैं या नहीं।
तिरुवंतपुरम का शाब्दिक अर्थ हमे हिंदू धार्मिक ग्रंथों और किताबों में मिलता है
इसका सब्दिक अर्थ होता है भगवान अनंत का निवास स्थान अर्थात जहां भगवान अनंत रहते हैं।
भगवान अनंत वास्तव मे शेषनाग के अवतार माने जाते हैं और केरल में इनकी पूजा अर्चना भी बहुतायत में की जाती हैं। साथ ही शेषनाग जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
इस प्रकार यहां पर भगवान अनंत आसन की मुद्रा में बैठे थे इसलिए इसका नाम तिरुवंतपुरम पड़ा था।
तिरुवंतपुरम से पूर्व कौनसी हुआ करती थी
प्राचीन काल में केरल की अनेक राजधानियां रही थी परंतु इनका उचित वर्णन ना होने के कारण इनके बारे मे ज्यादा जानकारियां प्राप्त नहीं होती हैं।
यहां के संगम राजाओं ने इसकी राजधानी केरल के उत्तर में कर्नाटक और एड्डुकी की ओर स्थापित कराई गई थी।
इसके बाद अन्य शासकों ने समयानुसार अलग अलग स्थानों पर इसकी राजधानी को स्थापित किया था।
1956 मे जब केरल का एकीकरण किया गया था तब केरल अनेक रियासतों मे बांटा हुआ था जिनको मिलाकर तिरूकोची नाम से एक राज्य की स्थापना हुई थी और इसमें कुछ भाग तमिलनाडु राज्य का भी मिलाया गया था।
- अतः तिरुवंतपुरम से पूर्व केरल की कोई राजधानी नहीं रही थी।
तिरुवंतपुरम मे घूमने लायक 10 मशहूर जगह
जैसा कि हम जानते हैं तिरुअनंतपुरम अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती हैं।
इसके पूर्व में विशाल अरब सागर तो यह स्वयं भारत के दक्षिण में पश्चिम घाट पर स्थित है।
ये राजधानी अपने अंदर अनेक राजो को छुपाए और समेटे हुए है और समय के साथ साथ ये इनको उजागर भी कर रही है।
यहां पर घूमने लायक अनेक स्थल और जगह है और अगर आप भी इस जन्नत भरी जगह मे घूमने का मन बना रहे हैं तो आपको इन स्थलों का एक बार विचरण जरुर करना चाहिए।
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तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभस्वामी मंदिर :
यह मंदिर तिरुअनंतपुरम में स्थित हिंदुओं का एक विशाल मंदिर है
जो हिंदुओं की वैष्णव वाद की परंपरा का परिचायक है। जो व्यक्ति हिंदुओं की वैष्णव वाद परंपरा में विश्वास करता है उनके लिए यह एक बहुत ही बड़ा धार्मिक स्थल हैं और यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं।
तिरुअनंतपुरम के इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि इस पर सोने की परत चढ़ी हुई है और इस की मूर्ति पर भी सोने की बहुत ही अच्छी प्रकार से कलाकारी की गई है।
- इसकी और एक खास विशेषता यह है कि यहां पर केवल हिंदुओं को प्रवेश दिया जाता है।
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तिरुअनंतपुरम में स्थित वेली बीच :
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तिरुअनंतपुरम मालाबार तट पर स्थित है
और इसके पूर्व में अरब सागर स्थित है इसलिए यहां का एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी वेली बीच है।
इसकी खास विशेषता यह है कि सन सेट और सनराइज के समय इसका माहौल काफी खुशनुमा होता है इसलिए यहां पर्यटक पीछे चले आते हैं।
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तिरुअनंतपुरम में स्थित कोवलम बीच :
तिरुअनंतपुरम में एक और अन्य बीच है जिसका नाम है कोवलम बीच।
इसकी यह विशेषता है कि यहां पर आप सर्फिंग और डाइविंग का आनंद उठा सकते हैं क्योंकि यहां पर काफी ऊंची ऊंची लहरे हमें दिखाई देती हैं।
अरब सागर के काफी पास होने के कारण यहां पर तेज हवाएं चलती हैं और ऊंची ऊंची लहरें उठती हुई दिखाई देती है जो कि पर्यटकों को अपने आनंद से सराबोर कर देती हैं।
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तिरुअनंतपुरम का सबसे पुराना बाजार चलाई बाजार :
यह बाजार तिरुवंतपुरम का सबसे पुराना बाजार माना जाता है क्योंकि यहां पर आज भी जिस प्रकार से गांव में बाजार लगाए जाते हैं उसी प्रकार से यहां पर हॉट लगाई जाती हैं।
चलाई बाजार में जरूरत का हर सामान उपलब्ध है जो कि हमारी घरेलू आवश्यकता को पूरा करता है। आजकल यहां पर इलेक्ट्रॉनिक सामान और फल फ्रूट भी उपलब्ध होने शुरू हो गए हैं।
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वेल्याणी झील :
तिरुअनंतपुरम में स्थित है यह वैलायनी झील एक खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं। यहां पर लोग मछली पकड़ने के लिए और अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में आते हैं।
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तिरुवंतपुरम का नेपियर संग्रहालय :
अपने अंदर ऐतिहासिक इतिहास को समाए हुए यह संग्रहालय kerala ki rajdhani तिरुअनंतपुरम में अवस्थित हैं।इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों के एक अधिकारी द्वारा कराया गया था।
इस संग्रहालय के अंदर केरल राज्य के संपूर्ण इतिहास और उसकी कला और संस्कृति के बारे में बताया गया है, आप इस संग्रहालय में भ्रमण करके संपूर्ण केरल के इतिहास और कला संस्कृति को बहुत ही आसानी से समझ पाएंगे।
इस संग्रहालय में कोई भी भारतीय नागरिक मात्र ₹20 का शुल्क देकर इस संपूर्ण संग्रहालय का भ्रमण कर सकता है और केरल के इतिहास और कला संस्कृति को जान सकता है।
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तिरुअनंतपुरम में स्थित भारत का सबसे पुराना जूलॉजिकल पार्क :
तिरुअनंतपुरम में स्थित यह पाक भारत का सबसे पुराना जूलॉजिकल पार्क माना जाता है इसमें पशु और पक्षियों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियां निवास करती हैं।
यहां पर संपूर्ण दुनिया के लगभग हर महाद्वीप के पशु पक्षी और अन्य प्रकार की प्रजातियां आपको देखने को मिलेगी, जैसे कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, ऑस्ट्रेलियन स्पीशीज आदि प्रकार की दुर्लभ और जातियां भी यहां पर देखने को मिलती है।
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तिरुवंतपुरम में स्थित सौर वेधशाला :
प्राचीन काल में समय की गणना करने के लिए विभिन्न राजा और महाराजा वो द्वारा अनेक प्रकार की सौर वेधशाला का निर्माण अनेक स्थानों पर कराया गया था।
उनमें से एक राजा द्वारा तिरुअनंतपुरम में भी सौर वेधशाला का निर्माण करवाया गया।
इस सौर वेधशाला का निर्माण 1837 में स्वार्थी थिरुमल राम वर्मा द्वारा करवाया गया था जो कि आज पर्यटकों के लिए एक दर्शनीय स्थल बना हुआ है।
एक बहुत बड़ी ऊंचाई पर स्थित होने के कारण आप इस पर चढ़कर संपूर्ण तिरुअनंतपुरम के नजारे को अपनी आंखों से देख सकते हैं और उस का आनंद उठा सकते हैं।
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प्रियदर्शनी तारामंडल :
तिरुअनंतपुरम में स्थितियां प्रियदर्शनी तारामंडल भी पर्यटकों के घूमने के लिए एक बहुत अच्छा स्थान माना जाता है।
1994 में इस प्रियदर्शनी तारामंडल को पर्यटकों के लिए खोला गया था और यहां पर एक ही स्थित है,
जिसके द्वारा ग्रहों और नक्षत्रों को देखा जाता है। हमारे ब्रह्मांड में होने वाली गतिविधियों को देखने के लिए और अंतरिक्ष के भूगोल को समझने के लिए यह एक उचित स्थान माना जाता है।
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तिरुवनंतपुरम के आसपास में फैली हुई इलायची पहाड़ियां या अगस्त मलाई की पहाड़ियां :
तिरुअनंतपुरम के आसपास बहुत बड़ी मात्रा में इलायची की खेती की जाती हैं
इस कारण इसके आसपास में स्थित पहाड़ियों को इलायची पहाड़ियां कहा जाता है जो कि पर्यटको के घूमने के लिए एक बहुत अच्छा स्थान माना जाता है।
वहीं अगर बात की जाए अगस्त मलाई की पहाड़ियों की तो यह स्थान ट्रेकिंग के लिए बहुत आनंददायक माना जाता है,
लोग यहां ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ाई करने के लिए आते हैं। ये पहाड़िया केरल की सबसे ऊंची पहाड़ियों में से एक मानी जाती हैं।
केरल की (Rrajdhani) तिरुअनंतपुरम तक कैसे पहुंच सकता है
इस लेख को पढ़ते हुए अगर आपका मन भी तिरुअनंतपुरम में घूमने का हो रहा है तो आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि हम कैसे तिरुअनंतपुरम तक पहुंच सकते हैं।
इस सुंदर जगह तक पहुंचने के लिए आप हवाई सफर या रेल मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर आप किसी रेलगाड़ी के द्वारा सफर करते हैं तो आपको इसके रेलवे स्टेशन त्रिवेंद्रम पर उतरना होगा और अगर आप हवाई सफर द्वारा यहां आ रहे हैं तो आपको तिरुअनंतपुरम एयरपोर्ट पर उतरना होगा।
FAQs – kerala ki Rajdhani(Capital)ka Naam
सवाल : केरल की राजधानी क्या है।
तिरुवंतपुरम या त्रिवेंद्रम है।
सवाल : तिरुअनंतपुरम को केरल की राजधानी कब बनाया गया था।
तिरुअनंतपुरम को 1 नवंबर 1956 में बनाया गया था जब केरल राज्य की स्थापना की गई थी।
सवाल : तिरुअनंतपुरम का अन्य उपनाम क्या है।
तिरुअनंतपुरम का अन्य उपनाम त्रिवेंद्रम है जो कि इसके रेलवे स्टेशन पर हमें लिखा मिलता है।
सवाल : तिरुवनंतपुरम की भौगोलिक स्थिति कैसी हैं।
तिरुवनंतपुरम की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है और इसके पूर्व में अरब सागर विद्यमान है।
सवाल : केरल दक्षिण भारत में किस घाट पर स्थित हैं।
केरल दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट पर स्थित है।
सवाल : तिरुअनंतपुरम में कौन-कौन से समुद्री बीच स्थित है।
यहां पर कोवलम बीच और वेली बीच स्थित है जो कि अरब सागर के पश्चिमी छत पर स्थित हैं।
सवाल : भारत का सबसे बड़ा जूलॉजिकल पार्क कहां स्थित है।
भारत का सबसे बड़ा जूलॉजिकल पार्क तिरुअनंतपुरम में स्थित है।
सवाल : तिरुअनंतपुरम के सबसे बड़ी झील कौन सी है।
फिर वन्नाप्पुरम के सबसे बड़ी झील वेल्याणी झील हैं।
Conclusion
आज के इस लेख में हमने केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के बारे में वह सभी जानकारियां एकत्रित की है और उनको जाना है जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।
जैसे कि (kerala ki rajdhani) की स्थापना कब और किसने की, इस का उपनाम क्या है, तिरुअनंतपुरम में घूमने लायक कौन कौन से पर्यटक स्थल अवस्थित है और इससे संबंधित अन्य वे सभी तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी थे।
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