आप सभी का हार्दिक स्वागत है हमारी वेबसाइट नॉलेज तक में आज का हमारा विषय सामान्य हिंदी से संबंधित होने वाला है और उस विषय का नाम है सर्वनाम और उसके भेद या sarvanam ke kitne bhed hote hain हैं।
हम सभी बचपन से सामान्य हिंदी को पढ़ते आए हैं और सामान्य हिंदी में हम सभी ने इसके सामान्य विषयों को भी पढ़ा है जैसे संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, अव्यय, उपसर्ग आदि |
इन सभी को हिंदी में वाक्य के अंग कहा जाता है अर्थात की हिंदी के किसी भी वाक्य में यदि कोई शब्द लिखा जाता है तो वह इनमें से ही कोई एक होता है।
- उदाहरण के लिए एक वाक्य है : राम ने खाना खाया और वह सो गया।
उपयुक्त वाक्य में राम इस संपूर्ण वाक्य का कर्ता है, कर्ता होने के साथ ही वह हिंदी में संज्ञा का एक रूप है और साथ ही संज्ञा की पुनरावृति रोकने के लिए ‘वह’ सर्वनाम का इस्तेमाल किया गया है।
तो आज के इस लेख में हम इसी प्रकार के उदाहरणों द्वारा सर्वनाम के कितने भेद होते हैं इस को जानेंगे और साथ ही सर्वनाम से संबंधित उन सभी जानकारियों को भी जानेंगे जो आपको सामान्य हिंदी के लिहाज से जानना बेहद आवश्यक है।
सामान्य हिंदी में जो संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि होते हैं
इन्हें अंग्रेजी में पार्ट्स ऑफ स्पीच कहा जाता है और उसका हिंदी में अर्थ होता है वाक्य के अंग जो कि विभिन्न विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, उन्हीं वाक्य के अंग में से सर्वनाम एक हैं।
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं (Sarvanam kai kitne bhed Hote Hai)

सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ क्या होता है
अगर हम सर्वनाम के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो इसका अर्थ होता है सभी का नाम।
इस का संधि विच्छेद करने पर हमें इस का संधि विच्छेद सर्व + नाम मिलेगा। इसका अर्थ भी होता है सभी का नाम।
अत: हम यह जान गए हैं कि सर्वनाम का मूल रूप से यह काम है कि यह किसी एक नाम की पुनरावृति को रोके।
आमतौर पर संज्ञा की पुनरावृति को रोकने के लिए सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है और इसी के लिए इसकी उत्पत्ति हिंदी में हुई है।
अगर किसी वाक्य में बार-बार एक ही संज्ञा शब्द की पुनरावृति होगी तो इससे उस वाक्य की जो लय और ताल हैं वह अनुचित हो जाएगी और साथ ही उस वाक्य को पड़ने वाले पाठक को भी उस में रुचि नहीं होगी।
- उदाहरण के लिए एक वाक्य हैं : एक राजा था वह जंगल में रहता था और उसके पास एक बहुत बड़ी सेना थी और वह बड़े-बड़े महलों में रहता था।
उपयुक्त वाक्य को देखा जाए तो इसमें राजा शब्द की पुनरावृति को रोकने के लिए जिस सर्वनाम का इस्तेमाल किया गया है वह सर्वनाम है ‘वह’।
इस वाक्य में ‘वह’ सर्वनाम राजा के लिए इस्तेमाल किया गया है और इसे ही सर्वनाम कहा जाता है।
जो सर्वनाम का मूल कार्य होता है संज्ञा के पुनरावृति को रोकना उसी कार्य को सहजता के साथ इस वाक्य में इस सर्वनाम द्वारा किया गया है।
सर्वनाम की परिभाषा
हम सभी सर्वनाम की परिभाषा को बचपन से पढ़ते आए हैं और आज भी उसी परिभाषा का इस्तेमाल हमारे बीच में सर्वनाम के लिए किया जाता है
इसकी जो सबसे उपयुक्त परिभाषा है वह यह है कि संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं या ऐसे शब्द जो संज्ञा की परवर्ती को रोकने का कार्य करते हैं उन्हें सर्वनाम कहा जाता है।
आज की पारंपरिक हिंदी में सर्वनाम की परिभाषा में कुछ हद तक परिवर्तन आया है और जो परिभाषा आज इस्तेमाल की जाती हैं वह निम्नलिखित हैं ‘
किसी वाक्य में एक संज्ञा शब्द को रोकने के लिए और साथ ही उस वाक्य में पाठक के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए जिन जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें सर्वनाम कहा जाता है ‘
सर्वनामो की संख्या कितनी होती है
हिंदी में sarvanam kai kitne bhed hote hai इन को जानने से पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि हिंदी में सर्वनामो की संख्या कितनी होती है।
आधुनिक हिंदी में सर्वनामो की संख्या 11 मानी गई है और यह सर्वनाम अधोलिखित हैं :
मैं, तुम, आप, यह, वह, कुछ, कोई, जो, सो, कौन, क्या।इन्हीं सर्वनाम शब्दों के द्वारा किसी वाक्य में संज्ञा की पुनरावृत्ति को रोका जाता है।
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं उदाहरण सहित
हिंदी में सर्वनाम के 6 भेद होते हैं। यह 6 भेद अधोलिखित हैं।
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निज वाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
इन्हीं छह प्रकारों में हिंदी के सर्वनामों को बांटा गया है तो अब हम एक-एक करके इन सभी सर्वनामो के बारे में संपूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त करेंगे।
हिंदी में इन्हें सर्वनाम के प्रकार भी कहा जाता है और कहीं-कहीं इन्हें सर्वनाम के भेद भी कहा जाता है।
1) पुरुषवाचक सर्वनाम :
सर्वनाम के 6 भेदों में से जो सबसे पहला प्रकार हैं वह है पुरुषवाचक सर्वनाम।
जिन-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता, श्रोता या किसी अन्य के लिए किया जाए उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहा जाता है (स्त्री पुरुष या अन्य हेतु)
- उत्तम पुरुष (वक्ता) : मैं, हम
- मेरा, मेरी, मुझे, मुझको, मुझसे
- हमारा, हमारी हमारे, हमें, हमको, हमसे
यह एकवचन है यह सभी इनके बहुवचन रूप हैं।
- मध्यम पुरुष ( श्रोता ) : तू, आप
- तुम, तुम्हारा, तुम्हारी, तुमको
- आपका, आपकी, आपके, आपको
यह एकवचन है वह यह सभी इनके बहुवचन रूप हैं।
- अन्य पुरुष (अन्य) : वह, वे, ये, उनका, उनकी, उनके, उनसे।
यह सभी सर्वनाम शब्द अन्य पुरुष कहलाते हैं अर्थात कि इनका संबंध वक्ता और श्रोता से नहीं होता है यह केवल सुनने वाले होते हैं जिनका जिक्र वाक्य में नहीं किया जाता है।
नोट : तुम का प्रयोग केवल स्वयं के लिए होता है अर्थात की अपने आप के लिए।
2) निजवाचक सर्वनाम :
सर्वनाम के 6 भेदों में से जो दूसरा प्रकार हैं वह है निजवाचक सर्वनाम।
जिन-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता स्वयं के लिए करता है उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहा जाता है।
इसमें स्वयं, स्वत, खुद, अपने आप आदि शब्द आते हैं।
उदाहरण :
- यह कार्य में स्वयं कर लूंगा।
- मैं स्वता ही चला जाऊंगा।
- यह गाड़ी में अपने आप उठा लूंगा।
Note : सर्वनाम ‘आप’ का प्रयोग 3 सर्वनामों में होता है।
पहला प्रयोग : अगर ‘आप’ का प्रयोग श्रोता के लिए होता है तो यह मध्यम पुरुष होता है। इसमें ‘आप’ का प्रयोग पुरुषवाचक सर्वनाम के रूप में हुआ है।
उदाहरण :
- आप कल मेरे घर अवश्य पधारिए।
- आप स्कूल से कब लौटे।
दूसरा प्रयोग : अगर आप का प्रयोग आदर सूचक के रूप में किसी अन्य के लिए किया जाए तब वह अन्य पुरुष होता है।
उदाहरण :
- सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के महान सम्राट है,
- आप भावी क्रिकेटरों के पथ प्रदर्शक हो।
- महात्मा गांधी राष्ट्रपिता कहलाते हैं,
- आप स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत हैं।
तीसरा प्रयोग : अगर आप का प्रयोग कर्ता के लिए हो तो वह निजवाचक सर्वनाम के रूप में प्रयोग होता है।
उदाहरण :
- मैं अपना ग्रह कार्य आप कर लूंगा।
- वह अपने आप आ जाएगा।
3. प्रश्नवाचक सर्वनाम
सर्वनाम के छह भेदों में से जो तीसरा प्रकार हैं वह है प्रश्नवाचक सर्वनाम।
जिन-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहा जाता है।
इस सर्वनाम के शब्दों द्वारा वाक्य में प्रश्नों को पूछा जाता है और इनका प्रयोग करके किसी का उत्तर खोजा जाता है।
- इसमें कौन / क्या / किससे / किसको / क्यों / कब / आते हैं।
इस सर्वनाम के वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है ताकि हम इस का आसानी से पता लगा पाए।
Note : कौन, किसे, किसको, किसने, का प्रयोग सजीव अर्थात कि प्राणी वाचक के लिए किया जाता है जबकि क्या का प्रयोग किसी निर्जीव वस्तु के लिए किया जाता है और यह अधिकांश क व्यंजन से शुरू होते हैं।
इसको पहचानने का जो सामान्य तरीका होता है वह यह है कि यह ‘क’ व्यंजन से शुरू होते हैं अर्थात कि जब इसके वाक्य की शुरुआत होती हैं तो हमें कौन, क्या ऐसे शब्द देखने को मिलते हैं।
उदाहरण :
- दूध में क्या गिर गया
- देखो तो कौन आया
- दाल में क्या गिर गया है
संबंधवाचक सर्वनाम :
सर्वनाम के 6 भेदों में से जो चौथा प्रकार हैं वह है संबंधवाचक सर्वनाम।
जिन जिन सर्वनाम शब्दों से दो वस्तुओं या व्यक्तियों के बीच संबंध बताया जाता है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहा जाता है।
- इसमें जब, तब, जैसा, वैसा, वह, जो, जितना, उतना, जिसकी, उसकी आते हैं।
इस सर्वनाम का प्रयोग तभी किया जाता है जब किन्हीं दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच संबंध बताना होता है अर्थात की किन्हीं भी दो वस्तुओं या व्यक्तियों के बीच में किस-किस प्रकार का संबंध हो सकता है।
उदाहरण :
- वह लड़का जो कल आया था, बहुत चतुर हैं
- जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है
निश्चयवाचक सर्वनाम
सर्वनाम के 6 भेदों में से जो पांचवा प्रकार हैं वह है निश्चयवाचक सर्वनाम।
जिन-जिन सर्वनाम शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु की निश्चिता का बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं
अर्थात कि इस सर्वनाम के द्वारा किसी वस्तु का या किसी व्यक्ति का इस बात से पता लगाया जाता है कि वह वास्तविकता में हैं या नहीं।
यह और वह इस निश्चयवाचक सर्वनाम में आते हैं। यह का बहुवचन ये और वह का बहुवचन वे होते हैं।
निकटता या समीता के लिए ‘यह’ का प्रयोग होता है जबकि किसी दूर की वस्तु के लिए ‘वह’ का प्रयोग किया जाता है।
अगर कोई वस्तु हमारे आसपास ही हैं तो हम उसके लिए ‘यह’ का प्रयोग करेंगे जबकि कोई वस्तु यदि हम से लाखों किलोमीटर दूर है तो उसके लिए ‘वह’ का प्रयोग किया जाएगा।
उदाहरण :
- यह घर मेरा है।
- वह कार मेरी है।
- यह राधा का पेन है।
- वे बुरे व्यक्ति हैं।
- ये बुरे व्यक्ति हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
सर्वनाम के 6 भेदों में से जो छटा प्रकार हैं वह हैं अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
जैसा कि हम इसके नाम को जानकार पहचान गए होंगे कि जिस में कुछ भी निश्चित ना हो वह अनिश्चयवाचक कहलाता है।
जिन-जिन सर्वनाम शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु की अनिश्चितता का बोध होता है उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहा जाता है
अर्थात कि इस सर्वनाम के द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की अनिश्चितता है इसका अनुमान लगाया जाता है।
इसमें कुछ, कोई, किसी आते हैं अर्थात इन शब्दों द्वारा अनिश्चयवाचक सर्वनाम की पहचान आसानी से की जा सकती हैं।
उदाहरण :
- कुछ लोग आए।
- कोई आदमी आया।
- किसी ने पर्स चुरा लिया।
- बाहर देखो दरवाजे पर कोई आया है।
उदाहरण :
- उसके हाथ में कुछ है
- दरवाजे पर कोई खड़ा है
- किसी ने सच ही कहा है, सत्य की जीत होती हैं
इस प्रकार से सर्वनाम के यह 6 भेद होते हैं और इन्हें अलग-अलग भागों में बांटा गया है जिन्हे की हमने उदाहरणों के साथ बहुत अच्छे प्रकार से समझा हैं।
हम सभी जानते हैं सर्वनाम को समझने के लिए केवल इतना आवश्यक नहीं है कि सर्वनाम में कितने भेद होते हैं
जबकि सर्वनाम को समझने के लिए यह भी जरूरी है कि उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष क्या होते हैं इनके बगैर सर्वनाम को समझना लगभग नामुमकिन है
उत्तम पुरुष क्या होता है
उत्तम पुरुष का अर्थ वाक्य में कर्ता स्वयं होता है अर्थात की यदि किसी वाक्य में कर्ता कोई कार्य कर रहा है तो उसमें कर्ता उत्तम पुरुष कहलाएगा।
- उत्तम पुरुष में करता स्वयं को मैं, मेरा, मुझको, मुझसे आदि द्वारा संबोधित करता हुआ दिखाई देता है।
उत्तम पुरुष में वक्ता अपने नाम के स्थान पर इसका प्रयोग करता है ताकि संज्ञा की पुनरावृत्ति ना हो। हम कुछ उदाहरणों द्वारा उत्तम पुरुष को समझने की कोशिश कर रहे हैं वे उदाहरण अधोलिखित हैं।
उदाहरण :
- मैं पानी पी रहा हूं।
- मैं खाना खाना चाहता हूं।
- मेरा नाम अनुराधा सिंह है।
मध्यम पुरुष क्या होता है
मध्यम पुरुष का अर्थ वाक्य में सुनने वाला होता है अर्थात कि जो वाक्य में श्रोता होता है वह मध्यम पुरुष कहलाता है।
श्रोता के नाम के स्थान पर मध्यम पुरुष का प्रयोग किया जाता है जो कि सर्वनाम में आमतौर पर होता है।
हम मध्यम पुरुष को उदाहरणों के द्वारा बेहद आसानी से समझ सकते हैं, इसके उदाहरण अधोलिखित हैं।
उदाहरण :
- मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूं
- आप मुझे पसंद हो
- आपको किसी दूसरी जगह जाना चाहिए
अन्य पुरुष क्या होता है
अन्य पुरुष का शाब्दिक अर्थ होता है जो ना तो वक्ता हैं और ना ही श्रोता अर्थात कि हम किसी वाक्य में ना तो किसी वक्ता की बात कर रहे हैं
और ना ही किसी श्रोता कि जब वक्ता और श्रोता किसी अन्य व्यक्ति की बात करें तो उसे अन्य पुरुष कहा जाता है अर्थात कि जो उस समय वहां पर ना मौजूद हो।
हम अन्य पुरुष को भी उदाहरणों द्वारा समझ सकते हैं जो अधोलिखित हैं।
उदाहरण :
- वह एक अच्छा आदमी था।
- वे लोग हमारे बारे में क्या बातें बना रहे हैं।
Note : अगर हमें अन्य पुरुष की पहचान करनी हो तो इस में आमतौर पर वह, वे आदि शब्दों का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है।
FAQ : Sarvanam kai kitne bhed hote hai
सवाल : सर्वनाम की सामान्य परिभाषा क्या है।
आमतौर पर सर्वनाम की यह परिभाषा है कि वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर काम आते हैं उन्हें सर्वनाम कहते हैं।
सवाल : किसी भी वाक्य में सर्वनाम का क्या मुख्य कार्य होता है।
अगर किसी वाक्य में सर्वनाम के मुख्य कार्य की बात की जाए तो इसका मुख्य कार्य होता है कि यह संज्ञा के पुनरावृति को रोककर उसके स्थान पर अपना का प्रयोग करें।
सवाल : आधुनिक हिंदी में सर्वनामो की संख्या कितनी मानी गई है।
आधुनिक हिंदी में सर्वनाम ओं की संख्या 11 मानी गई है।
सवाल : आधुनिक हिंदी के 11 सर्वनाम कौन कौन से हैं।
आधुनिक हिंदी के 11 सर्वनाम अधोलिखित हैं : मैं, तुम, आप, यह, वह, कुछ, कोई, जो, सो, कौन, क्या।
सवाल : आधुनिक हिंदी में संज्ञा और सर्वनाम में क्या अंतर है।
हिंदी में संज्ञा का अर्थ किसी व्यक्ति, वस्तु, जाती, स्थान के नाम से होता है
अर्थात की संज्ञा किसी व्यक्ति का नाम भी हो सकती हैं या कोई वस्तु भी हो सकती हैं
इसके विपरीत सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है अर्थात वाक्य में किसी संज्ञा की पुनरावृत्ति ना हो उसके लिए सर्वनाम का प्रयोग आमतौर पर वाक्य में किया जाता है।
सवाल : हिंदी में सर्वनाम की उत्पत्ति क्यों हुई
हिंदी के किसी वाक्य में संज्ञा की पुनरावृत्ति ना हो और इस वाक्य में किसी पाठक की रुचि बनी रहे इसलिए सर्वनाम की उत्पत्ति हुई।
सवाल : आधुनिक हिंदी में सर्वनाम के कितने भेद होते हैं और उन्हें कौन-कौन से भागों में बांटा गया है।
आधुनिक हिंदी में सर्वनाम के 6 भेद होते हैं जो अधोलिखित हैं। पुरुषवाचक सर्वनाम, निजवाचक सर्वनाम, प्रश्नवाचक सर्वनाम, संबंधवाचक सर्वनाम, निश्चयवाचक सर्वनाम, अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
सवाल : निश्चयवाचक सर्वनाम और अनिश्चयवाचक सर्वनाम में मुख्य रूप से क्या अंतर होता है।
अगर किसी वाक्य में कोई व्यक्ति या वस्तु की स्थिति निश्चित होती है तो उसके लिए निश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है
जबकि यदि किसी वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु की स्थिति अनिश्चित होती है तो उसके लिए अनिश्चयवाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है। इसे अंग्रेजी में सर्टेनिटी और अनसर्टिनिटी भी कहा जाता है।
सवाल : उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष में मुख्यता क्या अंतर होता है।
उत्तम पुरुष का प्रयोग आमतौर पर वाक्य में कर्ता स्वयं के लिए करता है और उसके विपरीत मध्यम पुरुष का प्रयोग किसी वाक्य में सुनने वाले श्रोता के लिए किया जाता है, जिसको की वाक्य का कर्ता संबोधित कर रहा है या कोई बात कह रहा है।
सवाल : किसी वाक्य मे अन्य पुरुष क्या होता है।
अगर किसी वाक्य में वक्ता और श्रोता एक दूसरे के बारे में बात ना करते हुए किसी अन्य तीसरे व्यक्ति के बारे में बात करते हैं तो उसे अन्य पुरुष कहा जाता है
यानी कि जिसके बारे में बातचीत की जा रही हैं या जिसके बारे में चर्चा की जा रही है वह अन्य पुरुष होता है।
अन्य पुरुष का आमतौर पर वाक्य में किसी प्रकार का जिक्र नहीं होता है और ना ही वाक्य में इसकी अहमियत होती हैं। इसके बारे में केवल वक्ता और श्रोता द्वारा वाक्य में बातचीत की जाती हैं परंतु इसके बारे में क्या बातचीत हो रही है, वह उसे नहीं पता होता है।
Conclusion
आज के इस लेख में हमने सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं या Sarvanam kai kitne bhed hote hai और हिंदी में सर्वनाम क्या है
इसके बारे में संपूर्ण रूप से चर्चा की है जो कि हिंदी के लिहाज से एक महत्वपूर्ण विषय माना जाता है।
हिंदी में सर्वनाम किसे कहते हैं, सर्वनाम की परिभाषा और साथ ही इससे संबंधित वे सभी महत्वपूर्ण तथ्य जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी हैं इस लेख में हम ने इस विषय पर विस्तार में चर्चा की हैं।
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