Visheshan kise kahate Hain | विशेषण किसे कहते हैं

Visheshan kise kahate hain : आप सभी ने आपके विद्यालय में सामान्य हिंदी तो जरूर पड़ी होगी और जब यह सामान्य हिंदी पढ़ी होगी तो इसमें आपने संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि हिंदी के अंगों को भी पढ़ा होगा जिसे की हिंदी व्याकरण के नाम से जाना जाता है।

तो आज हम उसी हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण अंग विशेषण की बात करने वाले हैं और जानने वाले हैं की विशेषण किसे कहते हैं और साथ ही विशेषण के कितने भेद होते हैं

और इसके अलावा विशेषण से जुड़ी वे सभी जानकारियां जो शायद आपको हिंदी के इस अंग को समझने में मदद करेगी आपके साथ साझा करने वाले हैं।

हम आशा करते हैं, यह लेख पढ़ने के बाद आपको विशेषण के संबंध में जो भी जानकारियां चाहिए, वह आपको प्राप्त हो जाएगी और इस लेख को पढ़ने के बाद आपको इस विषय के लिए कहीं और से पढ़ने की जरूरत महसूस नहीं होगी।

तो आइए शुरू करते हैं आज के हमारे इस लेख को और जानते हैं Visheshan kise kahate hain और वे सभी जानकारियां जो कि महत्वपूर्ण होने वाली है।

 

 Visheshan kise kahate Hain
Visheshan kise kahate Hain

 

विशेषण किसे कहते हैं (Visheshan kise kahate hain)

अगर हमें विशेषण को सही ढंग से समझना है, तो हमें सबसे पहले उसकी परिभाषा को समझना जरूरी है, क्यों कि विशेषण के परिभाषा में ही इसका संपूर्ण सार छुपा हुआ है।

संज्ञा व सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर हम देखें तो इसे समझना और भी आसान हो जाता है।

  •  उदाहरण : राम बहुत सुंदर लड़का है। 

हम इस उदाहरण को इस परिभाषा के अनुसार समझने की कोशिश करें तो इसमें राम एक संज्ञा है और सुंदर एक विशेषण है

और इस प्रकार से इस वाक्य में यह ‘सुंदर’ विशेषण राम की विशेषता को प्रकट कर रहा है, अर्थात कि यह राम की विशेषता बता रहा है

इसीलिए यह विशेषण कहलाता है, क्योंकि हम जानते हैं कि वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहा जाता है।

  •  उदाहरण :  आप बहुत अच्छे हो। 

इस उदाहरण द्वारा हम यह समझ सकते हैं कि विशेषण सर्वनाम शब्दों की भी विशेषता बताते हैं

उपरोक्त उदाहरण में ‘आप’ शब्द एक सर्वनाम हैं और इसकी विशेषता ‘अच्छे’ से बताई जा रही है और इससे यह प्रकट हो रहा है कि जिस व्यक्ति के विषय में बात की जा रही है वह बहुत ही अच्छा है।

यह परिभाषा सुनने के बाद आपको विशेषण के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो हो गई होगी। अगर आपने हिंदी में संज्ञा और सर्वनाम को पढा है तो शायद आपको यह परिभाषा समझ में आ गई होगी।

विशेषण को समझने के लिए हमें संज्ञा और सर्वनाम के बारे में सामान्य जानकारी होनी चाहिए और साथ ही हमें इनके उदाहरणों का भी पता होना चाहिए कि इनमें से कौन सी संज्ञा है और कौन सा सर्वनाम है।

विशेषण को समझने के लिए जिन जिन तत्वों की आवश्यकता होती है उनमें से महत्वपूर्ण दो तत्व हैं विशेष्य और प्रविशेषण

हम इन दोनों को समझ कर भी विशेषण के बारे में कुछ जानकारियां जान सकते हैं तो अब हम समझने वाले हैं कि विशेष्य और विशेषण में क्या अंतर है।

 

विशेष्य किसे कहते हैं – Visheshya Kise kahate hai 

विशेष्य की परिभाषा को समझने के बाद शायद हम विशेषण को भी अच्छे प्रकार से समझ सकते हैं क्योंकि यह वह अंग हैं जिस की विशेषता वाक्य में बताई जाती हैं।

जिस की विशेषता वाक्य में बताई जाती हैं, उसे विशेष्य कहा जाता है।

 उदाहरण : राम सुंदर लड़का है। 

इस उदाहरण के द्वारा हम विशेष्य को समझने की कोशिश करें तो यहां पर राम शब्द को विशेष्य माना गया है और सुंदर शब्द एक विशेषण है, अर्थात की यह सुंदर शब्द राम की विशेषता को बता रहा है तो इसमें राम एक विशेष्य माना जाएगा।

साधारण शब्दों में बात की जाए तो विशेषण का प्रभाव जिसके ऊपर पड़ता है, उसे ही विशेष्य कहा जाता है और यह आमतौर पर वाक्य का कर्ता ही होता है।

 

प्रविशेषण किसे कहते हैं – Pravisheshan Kise kahate hai 

किसी वाक्य में विशेषण की भी विशेषता बताने वाले शब्दों को प्रविशेषण कहा जाता है

अभी तक हमने विशेषण की परिभाषा में पढ़ा था कि जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है परंतु अगर यही परिभाषा विशेषण के ऊपर लागू की जाए तो विशेषण की विशेषता जो शब्द बताते हैं उन्हें प्रविशेषण कहा जाता है।

 उदाहरण : राम बहुत सुंदर लड़का है। 

इस उदाहरण में राम एक संज्ञा शब्द हैं, परंतु यहां पर हम उस शब्द को खोजेंगे जो कि विशेषण की भी विशेषता बता रहा है,

यहां पर सुंदर शब्द एक विशेषण है जो कि राम की विशेषता को बता रहा है और सुंदर शब्द से पहले लगा हुआ शब्द बहुत सुंदर की भी विशेषता बता रहा है जो कि एक प्रविशेषण कहलाएगा।

इस प्रकार से विशेषण को समझने से पहले विशेष्य और प्रविशेषण को समझने पर हमें विशेषण को समझने में भी बहुत सहायता प्राप्त होगी।

 

विशेषण कितने प्रकार के होते हैं – Visheshan ke Prakar 

visheshan kise kahate hain, यह समझने के अलावा हमें यह जानना भी जरूरी है कि विशेषण कितने प्रकार के होते हैं क्योंकि इन्हीं आधारों पर हम किसी भी शब्द की व्याख्या कर सकते हैं कि वह विशेषण के कौन से अंग का भाग है।

विशेषण चार प्रकार के होते हैं।

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक विशेषण
  4. परिमाणवाचक विशेषण

 

हिंदी के कुछ विद्वानों द्वारा विशेषण के 5 प्रकार भी माने जाते हैं और उनके द्वारा विशेषण का पांचवा प्रकार जो माना जाता है वह है ‘ व्यक्तिवाचक ‘ विशेषण परंतु आधुनिक हिंदी में इन्हीं 4 विशेषण को विशेषण के प्रकार माना जाता है।

अंग्रेजी  में विशेषण को ‘ एडजेक्टिव ‘ कहा जाता है जो कि हिंदी की तरह ही अंग्रेजी शब्दों में और अंग्रेजी वाक्यों में भी काम करता है।

अब हम एक-एक करके इन विशेषनो के सभी प्रकार को समझने की कोशिश करेंगे और साथ ही उदाहरणों द्वारा यह देखेंगे कि इन में मुख्यता क्या अंतर है।

 

1) गुणवाचक विशेषण – Gunvachak Visheshan

जो शब्द किसी व्यक्ति वस्तु के गुण, दोष, दशा, स्थिति, आकार, स्वाद, रंग, रूप, गंध आदि का बोध कराते हो वह गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

साधारण शब्दों में देखा जाए तो यह किसी व्यक्ति या वस्तु के उस गुण को दर्शाते हैं जो कि उसमें विद्यमान हैं और वह गुण उपयुक्त भी हो सकता है और अनुपयुक्त भी हो सकता है।

  • गुणबोधक : अच्छा, शिष्ट, भला, सभ्य, सुशील नम्र आदि।
  • दोषबोधक : असभ्य, उदंड, दुशील, बुरा आदि।
  • रंग बोधक : सफेद, काला, मटमैला, गुलाबी, नीला पीला, हरा आदि।
  • काल बोधक : नया, पुराना, ताजा, प्राचीन आदि।
  • स्थान बोधक : भारतीय, चीनी, राजस्थानी, जापानी, नेपाली, अमेरिकी आदि।

 

इस प्रकार अलग अलग गुणों के आधार पर इस गुण वाचक विशेषण का पता लगाया जा सकता है

अगर हम चाहे तो गुणवाचक विशेषण का पता लगाने के लिए वाक्य से “कैसा या कैसी” का प्रश्न भी कर सकते हैं और ऐसा करने पर हमें गुणवाचक विशेषण का पता भी बेहद ही आसानी से लग जाएगा।

 उदाहरण : राधा होशियार लड़की है। 

अगर हम इस वाक्य में यह पता लगाना चाहते हैं कि इसमें गुणवाचक विशेषण है या नहीं तो हमें वाक्य से कैसाया कैसी का प्रश्न करना है, क्योंकि इस वाक्य में राधा एक स्त्रीलिंग है इसलिए हमें वाक्य से कैसी लगाकर प्रश्न करना है।

अगर हम इस वाक्य में कैसी लगाकर प्रश्न करते हैं तो हमें इसका उत्तर होशियार प्राप्त होता है,

उदाहरण के तौर पर राधा कैसी लड़की हैं तो हमें उत्तर प्राप्त होगा राधा एक होशियार लड़की है और यह होशियार राधा के गुण को बता रहा है इसलिए इस वाक्य में गुणवाचक विशेषण विद्यमान है।

 उदाहरण : सुदामा गरीब व्यक्ति हैं। 

अगर हमें इस वाक्य में गुणवाचक विशेषण का पता लगाना है, तो हमें इसमें कैसा या कैसी लगाकर प्रश्न करना होगा,

जैसा कि हम जानते हैं कि इस वाक्य का कर्ता सुदामा एक पुलिंग है तो हमें यहां पर कैसा लगा कर प्रश्न करना होगा और जब हम यहां पर कैसा लगा कर प्रश्न करते हैं तो हमें इसका उत्तर गरीब प्राप्त होता है जो कि एक गुणवाचक विशेषण है।

अन्य उदाहरण :

  • यह फूल खुशबूदार हैं।
  • यह आदमी बहुत अच्छा है।
  • आम मीठा है।
  • इस आदमी के कपड़े बहुत गंदे हैं।
  • वह आदमी बहुत मटमैला है।

Note : इस गुणवाचक विशेषण का पता लगाने के लिए वाक्य से कैसा या कैसी लगाकर प्रश्न करना चाहिए उत्तर हमें गुणवाचक में ही प्राप्त होगा।

2) संख्यावाचक विशेषण – Sankhya Vachak Visheshan 

आप शायद इसके नाम से ही जान गए होंगे कि वह विशेषण जो हमें संख्याओं का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है परंतु इसकी परिभाषा को जानना भी उतना ही ज्यादा जरूरी है जितना कि इसके अर्थ को।

वह विशेषण शब्द जिनके द्वारा हमें संख्या संबंधी विशेषता का बोध होता है उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है और यह संख्या अनिश्चित भी हो सकती हैं और निश्चित भी हो सकती हैं।

 उदाहरण : मैदान में 5 लड़के खेल रहे हैं। 

इस वाक्य में जो संख्या दी गई है वह हमें एक निश्चित संख्या बताई गई है इसलिए यहां पर संख्यावाचक विशेषण तो है ही है उसके साथ ही यह एक निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी माना जाएगा।

 उदाहरण : हमारी कक्षा में कुछ छात्र बैठे हैं। 

अगर इस वाक्य को देखा जाए तो यहां पर छात्रों की संख्या अनिश्चित है अर्थात कि यह नहीं बताया गया है कि हमारी कक्षा में कुल कितने छात्र बैठे हैं, इसलिए यहां संख्यावाचक विशेषण होने के साथ ही अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण भी हैं।

इस प्रकार से उपरोक्त दोनों उदाहरणों को समझने के बाद हम संख्यावाचक विशेषण को भी दो भागों में बांट सकते हैं जो कि निम्नलिखित हैं।

  1. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
  2. निश्चित संख्यावाचक विशेषण

 

3) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – Sankhyavachak Visheshan

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि जो विशेषण अनिश्चित संख्या को बताता है, उसे  अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है

परंतु इसकी परिभाषा के रूप में हम कह सकते हैं कि जिन जिन विशेषण शब्दों से हमें वाक्य में अनिश्चित संख्या का बोध होता है, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है

और यदि संक्षेप में बात की जाए तो यह विशेषण जिस भी वाक्य में होता है, उस वाक्य में कोई भी संख्या निश्चित नहीं होती है।

इसमें कुछ, थोड़े, बहुत, लगभग आदी शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो कि अनिश्चितता का बोध कराते हैं।

उदाहरण :

  • आज भी देश में लाखों लोग पोलियो के शिकार हैं।
  • कला सभा में लगभग 1000 व्यक्ति थे।
  • बाहर मैदान में कुछ लड़के खेल रहे हैं।

 

4) निश्चित संख्यावाचक विशेषण – Nishchit Visheshan

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट हैं, वह विशेषण जिसके द्वारा हमें किसी भी निश्चित संख्या का बोध होता है,

उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है या फिर वे विशेषण शब्द जो हमें वाक्य में एक ही निश्चित संख्या का बोध कराते हैं उन्हें निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है।

उदाहरण :

  • 100 लड़के हमारे पास आए थे।
  • मेरे पास राम से दुगुना धन है।
  • तुम दोनों जाओ।
  • कक्षा का हर दूसरा बालक होशियार हैं।

अगर हम इन सभी वाक्यों को देखें तो हम पाएंगे कि इन सभी वाक्यों में एक निश्चित संख्या को बताया गया है, जो यह दर्शाता है कि इन वाक्यों में निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

 

इस निश्चित संख्यावाचक विशेषण के चार भेद होते हैं।

1) गणना वाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण ( इस विशेषण में एक, दो, तीन, चार इत्यादि करके संख्याओं की गणना की जाती है )

2) क्रम वाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण ( इस विशेषण में पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा करके किसी भी एक निश्चित क्रम की बात की जाती है )

3) आवृत्ति वाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण ( इस विशेषण में किसी भी शब्दों की आवर्ती को देखा जाता है जैसे दोगुना, तीगुना, चोगुना आदि )

4) समुदाय वाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण ( इस विशेषण में शब्दों के समुदाय को देखा जाता है जैसे कि आप दोनों, आप तीनों, आप चारों आदि )


सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक विशेषण 

जब किसी वाक्य में कोई सर्वनाम किसी संज्ञा के पहले आकर उस संज्ञा की विशेषता बताएं तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है।

आमतौर पर यदि देखा जाए तो वाक्यों के क्रम में सबसे पहले संज्ञा आती हैं और उसके बाद कोई भी विशेषण का प्रयोग किया जाता है,

परंतु इस विशेषण के अंतर्गत कोई भी सर्वनाम शब्द किसी संज्ञा के पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट कर जाता है, इसीलिए ऐसे विशेषण को सार्वनामिक विशेषण यहां संकेतवाचक विशेषण कहा जाता है।


Note : अगर हम बात करें कि सार्वनामिक विशेषण को संकेतवाचक विशेषण क्यों कहा जाता है तो इसका कारण है कि इसके प्रत्येक वाक्य में संकेत पाया जाता है इसलिए इसे संकेतवाचक विशेषण कहा जाता है।

उदाहरण :

  • इस गेंद को मत फेंको।
  • उस गाय को चारा डालो।
  • उस देवी को मैं आज भी याद करता हूं।

अगर हम इन सभी वाक्यों को देखें तो हम पाएंगे कि इन सभी वाक्यों में कोई ना कोई संकेत दिया गया है ना कि पूर्ण रूप से किसी का नाम लिया गया है।

 

परिमाणवाचक विशेषण – Pariman Vachak Visheshan

अगर बात की जाए परिमाणवाचक विशेषण की तो जिन विशेषण शब्दों से हमें नापतोल संबंधी विशेषता का बोध होता है, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। इस विशेषण के अंतर्गत हमें किसी वस्तु के आकार और उसके नाप तोल संबंधित ज्ञान का पता चलता है।

 

परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद होते हैं।

2) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण :

जिन जिन विशेषण शब्दों से हमें निश्चित मात्रा का बोध होता है उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहा जाता है जो कि उपरोक्त हैं।

उदाहरण :

  • हमें 5 लीटर दूध दो।
  • मैंने बाजार से 5 मीटर कपड़ा खरीदा।

अगर हम इन दोनों वाक्यों को देखें तो इसमें प्रथम वाक्य में 5 लीटर दूध और दूसरे वाक्य में 5 मीटर कपड़ा दोनों ही एक निश्चित संख्या को दर्शाते हैं इसलिए यहां पर निश्चित परिमाणवाचक विशेषण माना जाएगा।


2) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण :

वह विशेषण जिससे हमें किसी निश्चित मात्रा का बोध नहीं होता है, उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहा जाता है।

उदाहरण :

  • कुछ मीटर कपड़ा मैंने खरीदा।
  • थोड़ा घी लगाओ।

अगर हम इन दोनों वाक्यों को देखें तो यहां पर कोई भी एक निश्चित संख्या हमें दिखाई नहीं दे रही हैं, बल्कि केवल संकेतों के माध्यम से ही बताया जा रहा है, इसलिए यहां पर अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण होगा।

 

व्यक्तिवाचक विशेषण – Vyaktivachak Visheshan(Adjective)

जैसा कि हम इस बात की प्रारंभ में ही चर्चा कर चुके हैं कि हिंदी के कुछ विद्वानों द्वारा 5  विशेषण भी माने जाते है और वह विशेषण है व्यक्तिवाचक विशेषण परंतु आधुनिक हिंदी में इसे विशेषण का प्रकार नहीं माना जाता है।

वे विशेषण जो व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहा जाता है

और यह बात स्पष्ट है कि यदि हम इस विशेषण को समझना चाहते हैं तो हमें व्यक्तिवाचक संज्ञा के बारे में अच्छे प्रकार से पता होना चाहिए कि व्यक्तिवाचक संज्ञा क्या होती हैं और उसका वाक्य में किस प्रकार से प्रयोग किया जाता है।

 उदाहरण : यह बीकानेरी भुजिया बहुत अच्छा है। 

अगर यहां पर बात की जाए तो यह बीकानेरी शब्द बीकानेर से बना है जो कि एक व्यक्ति वाचक संज्ञा है, अत यहां पर व्यक्तिवाचक विशेषण होगा।

 उदाहरण : यह कश्मीरी शॉल बहुत अच्छा है 

अगर यहां बात की जाए तो यह कश्मीरी शब्द कश्मीर से बना है जो कि एक व्यक्ति वाचक संज्ञा हैं अत यहां पर भी व्यक्तिवाचक विशेषण ही होगा।

हम सभी ने यह तो जान लिया की visheshan kise kahate hain और विशेषण कितने प्रकार के होते हैं,

परंतु विशेषण को और भी अच्छे प्रकार से जानने के लिए हमें इस विशेषण की अवस्थाओं का पता होना जरूरी है तो अब हम जाने वाले हैं कि विशेषण की मुख्य कितनी अवस्थाएं होती हैं और उनके उदाहरण कौन-कौन से हैं।

विशेषण की मुख्यता तीन अवस्थाएं होती हैं।

  • मूल अवस्था
  • उत्तरावस्था
  • उत्तमा अवस्था

1) मूल अवस्था : इसके अंतर्गत विशेषण अपनी असली अवस्था में रहता है अर्थात की इसकी तुलना किसी के साथ नहीं की जाती है, इसलिए इस अवस्था को विशेषण की लघु अवस्था भी कहा जाता है।

 उदाहरण : राम सुंदर हैं। 

यहां पर राम की तुलना किसी के साथ नहीं की गई है, इसलिए यह विशेषण अपनी मूला अवस्था में हैं और इसलिए इसको विशेषण की मूल अवस्था भी कहा जाता है।


2) उत्तरावस्था : जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना की जाती है तो उसे उत्तरा वस्था कहा जाता है।

यह विशेषण की व्यवस्था है जिसमें इसकी तुलना किसी अन्य व्यक्ति के साथ की जाती है।

 उदाहरण : राम श्याम से सुंदर है। 

यहां पर राम की सुंदरता की तुलना श्याम के सुंदरता से की गई है और राम को श्याम से भी सुंदर बताया गया है।


3) उत्तम अवस्था : यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है, इसमें केवल एक व्यक्ति को ही सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है।

 उदाहरण : राम सबसे सुंदर हैं। 

यहां पर इस उदाहरण में राम को सबसे सुंदर बताया गया है और उसकी तुलना और किसी अन्य के साथ भी नहीं की गई है इसलिए यहां पर विशेषण की उत्तम अवस्था लागू होती हैं और इससे विशेषण की लघुतम अवस्था भी कहा जाता है।

इस प्रकार से Visheshan kise kahate hain और ये कितने प्रकार के होते हैं

और साथ ही वे कौन कौन से उदाहरण है, जो विशेषण को समझने के लिए जरूरी है। वह सभी हमने आपको आज के इस लेख में बताएं हैं और इसे पढ़ने के बाद आपको विशेषण के बारे में वे सभी उपयुक्त जानकारियां प्राप्त हो गई होंगी जो शायद आप जानना चाहते होंगे।

 

FAQ : Visheshan (Adjective) kise kahate hain in Hindi 

सवाल : विशेषण (Visheshan) किसे कहते हैं।

वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहा जाता है।

सवाल : विशेषण कितने प्रकार के होते हैं।

विशेषण चार प्रकार के होते हैं।

सवाल : हिंदी के कुछ विद्वानों द्वारा पांचवा विशेषण कौन सा बताया गया है।

हिंदी के विद्वानों ने व्यक्तिवाचक विशेषण को पांचवा विशेषण बताया है।

सवाल : विशेषण की कितनी अवस्थाएं होती हैं।

विशेषण की तीन अवस्थाएं होती हैं।

सवाल : राम बहुत सुंदर लड़का है इसमें से विशेषण कौन सा शब्द है।

यहां पर सुंदर शब्द एक विशेषण शब्द है जो कि राम की विशेषता बता रहा हैं और राम यहां पर संज्ञा शब्द हैं।

 

conclusion

आज के इस लेख में हमने विशेषण किसे कहते हैं के बारे में वह सभी जानकारियां एकत्रित की जिन्हे जानना आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।

इसके अलवा यदि आप को व्याकरण संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करनी है तो आप Nolejtak के व्याकरण श्रेणी में पब्लिश किये लेख को हिंदी भाषा में विस्तार में पढ़ सकते है

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