ISRO ki Sthapna kab hui | इसरो की स्थापना कब हुई

ISRO ki Sthapna kab hui : ISRO इसका नाम तो हर भारतीय को पता ही होगा, आज भारत भौतिक रूप से और विज्ञान में इतनी तरक्की पर पाया है तो इसके पीछे इसरो का बहुत बड़ा योगदान है

इसरो के कारन ही हम मंगल तक पहुच पाए, और इसरो के नाम ही दुनिया में एक साथ सबसे ज्यादा अर्थात 104 सॅटॅलाइट को छोड़ने का रिकॉर्ड दर्ज है

इसरो का खर्चा नासा से बहुत ही हम है पर इसकी उपलब्धियों में कोई कमी नही हैं आज 17 हज़ार से ज्यादा लोग इसमें काम करते है और इस संगठन के कारन ही आज सॅटॅलाइट संचार भारत में हो पाना मुमकिन हुआ है

वैसे तो कहने को तो इसरो का काम बस राकेट लांच करना और सॅटॅलाइट को भेजना है पर यह बहुत छोटी बात नही है, और न ही इसरो का काम बस यही तक सीमित है, आपदा का पता लगा तथा मौसम से जुडी चेतावनी देने का काम भी इसरो का ही है

हर तरह के संचार को बनाए रखना और सॅटॅलाइट की सहायता से देश को देश के बाहर से भी सुरक्षा देना इसरो का ही काम है

आज आप फ़ोन से बात कर पा रहे यह बिना उपग्रह यानी सॅटॅलाइट के मुमकिन नही हो पाता और भी कई चीज़ों के लिए हमें दुसरे देश के संगठन नासा पे आधारित होना पड़ता,  पर हमारे देश के खुद के संगठन के होने से आज़ादी तथा सुविधा दोनों ही मिल रही है

आइए जानते है की हमारे देश के इस महान संगठन को किसने स्थापित किया था तथा ISRO का इतिहास है और इस समय इसको कौन संभाल रहा है

 

ISRO ki Sthapna kab hui

 

ISRO ki Sthapna kab hui | इसरो की स्थापना कब हुई?

  • ISRO – INDIAN SPACE RESEARCH ORGANISATION
  • ISRO – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 

इसका अर्थ है की यह भारत का स्पेस यानी अंतरिक्ष ले ऊपर जाँच करने वाला तथा उससे जुड़े मुख्य उपकरणों को लांच करने वाला तथा भारत को स्पेस उपकरण से संभव  सब सुविधा तथा देने वाला एक संगठन है

यह भारत की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है, और यह अपनी उपलब्धियों से भारत का नाम देश में ही नही बल्कि पूरे विश्व में रोशन करती है, क्या आपको पता है की इसकी सभी गतिविधियों की पूरी जानकारी सीधे प्राइम मिनिस्टर यानी की प्रधानमंत्री के पास जाती है

इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 में किया गया था, इसको की स्थापना करने वाले व्यक्ति का नाम विक्रम अम्बालाल साराभाई है जिन्हें इसरो का जनक भी कहा जाता है और भी कई ऐसे विज्ञानिक थे जिनके बिना इसरो का टिक पाना संभव न होता

आज यह एक मजबूत संगठन के रूप में हमारे समाने है पर इसके पीछे किन किन मजबूत द्रिड निश्चयकरता लोगो का हाथ है इस बात के बारे में भी जानना ज़रूरी है


विक्रम साराभाई : यह तो इसरो के संस्थापक ही है और यह बहुत अच्छे  वैज्ञानिक भी है


वर्धमान शर्मा : यह इसरो के पूर्व अध्यक्ष थे और इन्होने भी इसरो के विकास में और उसके प्रोजेक्ट को सफल बनाने में बहुत योगदान दिया है


डॉ. अब्दुल कलाम : इनके योगदानों के बारे में कौन नही जानता है, इन्होने इसरो के बहुत से बड़े प्रोजेक्ट को सफल बनाया है, जिस समय इसरो के पास बहुत सारी सुख सुविधाएं नही थी पर उसके पास अच्छे और तेजस्वी लोग थे जिन्होंने इसरो के प्रोजेक्ट को सफल बनाने में योगदान दिया


विक्रांत सराभाई : यह एक बहुत ही अच्छे वैज्ञानिक थे और हम ऐसा कह सकते है की आज इसरो के इस बड़े वृक्ष को सींचने में इनका भी हाथ है


सतीश धवन: यह इसरो के निर्देश रह चुके है और इनका भी इसरो की सफलता में बहुत योगदान है


डॉ. कोट्टियूर चेन्नइयाया राधाकृष्णन (डॉ. की. राधाकृष्णन) : इसरो के पूर्व अध्यक्ष के बारे में कोई नही भूल सकता

डॉ. की. राधाकृष्णन के अध्यक्ष के रूप में कई मुख्य प्रोजेक्ट सफल हुए जिनके नाम इस प्रकार है

  • INSAT : यह प्रोजेक्ट भारतीय संचार उपग्रह को विकसित करने का था और साथ में इससे मौसम से जुड़ी जानकारी का पता लगाने के कार्य के लिए भी इस्तेमाल हुआ
  • आर्यभट : यह भारत का पहला उपग्रह था, और इसे 1975 में लांच किया गया, इस प्रोजेक्ट का नेत्रित्व डॉक्टर साहब ने खुद किया था
  • रोहिणी : इसे 1980 में लांच किया गया था, और इस प्रोजेक्ट को भी डॉक्टर राधाकृष्णन की देख रेख में ही लांच किया गया था

इसरो का इतिहास – ISRO ka itihaas

इसरो का इतिहास बहुत सी सफलताओं और निराश करने वाली असफलताओं से भरा हुआ है, जिसमे हमें अपने देश के इतने आगे होने के इतिहास के बारे में भी पता चलता है और बहुत से ऐसे लोगों के जूनून की भी खबरे सामने आती है जिन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर पाया

भारत से पहले कोई भी देश पहली बार में मंगल तक नही पहुँच पाया था पर भारत न की पहली बार में मंगल तक पहुंचा ही बल्कि अभी तक के सबसे कम बजट में पहुंचा, यह हिन्दुस्तानियों के जज्बे की बात है जो इसरो को अलग ही मुकाम पर लाके खड़ा कर देता है

अभी कुछ समय पहले ही चंद्रयान 3 के ज़रिये भारत ने  चन्द्रमा के उस हिस्से में कदम रखा जहाँ लैंड कर पाना आसान नही था

ISRO ki Sthapna kab hui, यह तो बस शुरुआत है मुख्य बात तो इसकी सफलता श्रंखला के बारे में बताना है

आइए इसरो से जुड़े सभी मिशन के बारे में चर्चा करते है जिससे हमें उस समय के लोगों की मेहनत और अपने देश के इस संस्थान की महानता का पता चलता है

 

1)आर्यभट (Aryabhata)

यह भारत की पहली सॅटॅलाइट यानी उपग्रह था जिसे एक प्रसिद्ध अस्त्रोनोमेर के नाम पर रखा गया था, इसे कॉसमॉस 3 एम लांच वाहन का इस्तेमाल करके लांच किया गया था, इसे 19 अप्रैल 1975 को लांच किया गया था

इसको एक्सरे खगोल विज्ञान, और सौर भौतिकी की जाँच के लिए बनाया था पर बिजली विफलता के कारन यह उपग्रह चार दिन और 60 ऑर्बिट में ही सभी प्रकार के सिग्नल से बाहर हो गया और फ़रवरी 1992 में वापस पृथ्वी के वातावरण में वापस आके गिर गया

 

2) रोहिणी उपग्रह (Rohini Satellite Series (1980s))

रोहिणी उपकरण की एक सीरीज है जिसमे चार उपग्रह शामिल है, इनका मुख्य कार्य सॅटॅलाइट की जाँच करना और टेक्नोलॉजी का टेस्ट करना था

1) रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड (आरटीपी)

इसे जिस ऑर्बिट के लिए बनाया गया था यह उस ऑर्बिट में स्थित नही हो पाया पर यह सफलतापूर्वक 10 अगस्त 1979 में लांच किया गया था

2) आरएस-1

इस उपग्रह का जीवन काल बस 1 वर्ष 2 महीने का ही था, इस उपग्रह को 18 जुलाई 1980 में लांच किया गया, इसका काम SLV के चौथे चरण पर जानकारी प्रदान करना था

3) आरएस-डी1

इसमें एक कैमरे के स्थापित किया गया जिसका इस्तेमाल रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन के लिए किया गया था, इसको 31 मई 1981 में लांच किया गया था

4) आरएस-डी2

इसमें जिस कैमरे का इस्तेमाल किया गया था वह स्मार्ट कैमरा था और उसके इस्तेमाल से विसिबल बैंड और इन्फ्रारेड दोनो बैंड की तस्बीरे निकाली जा सकती थी इसको 17 अप्रैल 1983 में लांच किया गया था

 

3) (INSAT (1983 – 2007)) 

यह भी कई सॅटॅलाइट की सीरीज है और इसका फुल फॉर्म है इंडियन नेशनल सॅटॅलाइट यानी भारत की सॅटॅलाइट

इन उपग्रहों ने दूरसंचार, मौसम विज्ञान और प्रसारण को बहुत ही आसान बना दिया और आज इसी के कारन हम इस फील्ड में आगे बढ़ पाए है आज जो हम पूरे देश से जुड़ पाए है और कही से भी कॉल या इंटरनेट की सुविधा का इस्तेमाल कर पा रहे है यह भी इन्ही के कारन मुमकिन हो पाया है

  • इन्सैट-1बी

इसे 1983 में लांच किया गया था, इसके कारन पहली बार भारत में दूरसंचार और टेलीवीजन प्रसारण आदि शुरू हुआ

  • इन्सैट-2ई

यह इन्सैट 2 सीरीज का आखरी उपग्रह है इसमें कैसे भी लाइट में फोटो खीचने की क्षमता है, इसमें थर्मल इन्फ्रारेड और जल में भी साफ़ साफ़ फोटो को प्रसारित करने की क्षमता है

  • इन्सैट-3ए

इसे 2003 में लांच किया गया था, और इसमें बहुत तरह से मौसम और संचार को और बेहतर बनाने की काबिलियत थी

 

4) चंद्रयान 1 Chandrayaan-1 (2008)

यह भारत का चाँद तक पहुचने का पहला मिशन था जो की सफल भी हुआ, इसे 22 अक्टूबर 2008 को लांच किया गया था और 12 नवम्बर 2008 को यह चाँद की सतह से 100 किलोमीटर दूर ऑर्बिट पर स्थापित हुआ

इसकी वजह से चन्द्रमा का पूरा मानचित्र बन पाया और इसकी सहायता से यह भी देखा गया की चाँद पर पानी मौजूद है

 

5) मंगलयान (2013)

यह भारत का अभी तक का सबसे अचंभित करने वाला मिशन था क्योंकि इस मिशन के कामियाब होने की उम्मीद बहुत कम थी और तो और इस मिशन को सबसे कम खर्चे में तैयार किया गया और इसे बहुत ज्यादा समय भी नही मिला

पर यह पहली बार बहुत दूर बसे मंगल तक भारत का सफ़र था और भारत ने अन्य सभी देशों से पहले अपनी पहुँच मंगल तक बनाई थी वही नासा कई बार इसमें नाकाम हो चूका था

इस मिशन को 5 नवम्बर 2013 में लांच किया गया और यह उपग्रह 24 सितम्बर 2014 में जाके मंगल के ऑर्बिट पर पहुंचा, तब जाके हमें मंगल गगृह के बारे में जानकारी मिली

इस मिशन का मुख्य लक्ष्य मंगल के वातावरण, वहां के सतह आदि की जाँच करना था

 

6) चंद्रयान 2

इस मिशन को चन्द्रमा के बारे में ही और सही से जानकारी एकत्रित करने के लिए शुरू किया था, सी उपग्रह को 22 जुलाई 2019 में लांच किया गया, और यह उपग्रह 20 अगस्त 2019 में चन्द्रमा के एक ऑर्बिट पर सेट हो गया और विक्रम लैंडर के उतरने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गयी

हालांकि 6 सितम्बर को लैंडिंग के समय लैंडर भटक गया और दुर्घटनागृहस्त हो गया था

 

7) चंद्रयान 3

यह अभी इसी वर्ष लांच की गयी सॅटॅलाइट है, और यह पहली बार हुआ है की विश्व में से कोई देश चाँद के दक्षिणी हिस्से में लैंड कर पाया हो

इस मिशन को 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था और यह 23 अगस्त 2023 में चाँद की दक्षिणी सतह पर पहुचने में कामियाब रहा

 

8) आदित्य L1

यह भारत का पहला उपग्रह है जिसे सूर्य के अध्ययन के लिए बनाया गया है, और इसे ऐसा बनाया गया है की इसपर सूर्य की तीखी किरणों का बुरा प्रभाव न करे और आराम से यह सूर्य का अध्ययन कर सके

इस उपग्रह को 2 सितम्बर 2023 में लांच किया गया था ISRO ki Sthapna kab hui इसके साथ ही उससे जुड़े कई मिशन के बारे में आज हमने चर्चा की

 

ISRO के बारे में कुछ ख़ास बातें 

  • एक ही बार में पोलर सॅटॅलाइट लांच व्हीकल का उपयोग करके इसरो ने 104 सॅटॅलाइट  लांच किये थे
  • इसरो ने ही सबसे पहले चाँद पर पानी की खोज की थी
  • भारत के पास इसरो द्वारा बनाया गया खुद का नेविगेशन सिस्टम है, जिसे NavIC कहा जाता है
  • ISRO का मिशन मंगल अभी तक का सबसे सस्ता मिशन है
  • गंगायान भारत का पहला मिशन है जिसमे इंसान को अंतरिक्ष पर भेजने के लिए सोचा गया है
  • इसरो अन्य देशों को भी सॅटॅलाइट लांचर यानी की उपग्रह प्रक्षेपण की सेवा प्रदान करता है
  • मंगल पर मीथेन है इसके बारे में इसरो से ही पता चला था
  • इसरो दोबारा से इस्तेमाल होने वाले लांचर पर भी काम कर रहा है ताकि अंतरिक्ष में कूड़ा न इकठ्ठा हो
  • इसरो अपने देश के साथ साथ अन्य देश को भी जानकारी और अपनी सुविधाएं प्रदान करता है
  • इसरो ने भारतीय की सुख सुविधा के लिए कई ज़रूरी सॅटॅलाइट लांच किए जिसमे दूर संचार और नेविगेशन मुख्य है

 

FAQs: ISRO ki Sthapna kab hui

Q1: ISRO को हिंदी में क्या कहा जाता है ?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, पर इसे हिंदी में भी इसरो नाम से ही संबोधित किया आजाता है

Q2: इसरो के अध्यक्ष कौन है ?

S.Somanath  इसरो के अध्यक्ष है, इन्ही की मौजूदगी में चंद्रयान 3 मिशन कंडक्ट किया गया और वह मिशन सफल भी रहा

इनका कार्यकाल 15 जनवरी 2022 से चल रहा है

Q3: इसरो को कब बनाया गया ?

इसरो की नीव 15 अगस्त 1969  में राखी गयी थी

Q4: चंद्रयान 3 सफल मिशन है ?

जी हाँ

Q5: इसरो का अगला मिशन कौन सा है ?

इसरो का जापान के साथ मिलके किया जाएगा इसके ज़रिये चाँद पर कुछ स्थाई क्षेत्रों की खोज की जाएगी

 

Conclusion

आज हमने हमारे देश के सबसे बड़े स्पेस आर्गेनाईजेशन के बारे में बात की, इसको बनाने के पीछे तो कई लोगों का हाथ है पर उससे भी अच्छी बात यह है की आज भी यह काबिल लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है

इसरो ने चाँद, मंगल और अंतरिक्ष में जाके ऐसी बहुत खोजे की है जो की हमारे लिए बहुत सहायक है, पृथ्वी पर आगे जीवन रहे या न रहे इस बात के डर से ही आज हमारे लिए और ग्रहों पर जीवन ढूंढना ज़रूरी हो गया है

इसरो न होता तो भारत को अपनी ज़रूरतों जैसे की नेविगेशन, दूरसंचार, मौसम की जानकारी आदि के लीये दुसरे देश पर निर्भर रहना पड़ता

हमें आशा है की आपको ISRO ki Sthapna kab hui इसके बारे में ज़रूरी जानकारी मिल गयी होगी हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद