Micro Teaching In Hindi – माइक्रो टीचिंग क्या हैं ?

Micro Teaching In Hindi : यह अध्यापकों के लिए एक अभ्यास की प्रक्रिया है जहाँ पर वह पूर्ण रूप से अध्यापक बनने से पहले अपने कौशल को और अच्छा बनाते है और उनके ऊपर के शिक्षक और सुपरवाइसर उस परीक्षण में रखे अध्यापक के कौशक को देखते है

जो अध्यापक पढ़ा रहा है और अपने कौशल को और अच्छा बना रहे है उस अध्यापक के पढ़ाने के तरीके में कितनी कमियां है और उन कमियों को कैसे दूर किया जा सकता है यह सब इस टीचिंग के द्वारा देखा जाता है

कुछ बच्चों के ग्रुप को परीक्षण में लगा अध्यापक पढाता है और और एक पूरी प्लानिंग के साथ सभी चीज़ों का ध्यान देता है और यह भी ध्यान रखता है की बच्चों को कोई दिक्कत न आए

उसके ऊपर के लोग भी यह देखते है और टीचर को उसकी कमियाँ बताते है और उन कमियों को सही करने के लिए कहते है और ऐसे करके एक टीचर धीरे-धीरे करके बीएड माइक्रो टीचिंग अथवा सूक्ष्म शिक्षण के द्वारा अपने कौशल को बढाता है और एक उत्तम टीचर बनाता है

सूक्ष्म शिक्षण का इजाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में 1963 में किया गया था, इसे अच्छी शिक्षा प्रणाली को बनाने के लिए किया गया था ताकि जो लोग अध्यापक बनना चाहते है वह एक अच्छे अध्यापक बन पाए

 

Micro Teaching In Hindi
Micro Teaching In Hindi

 

Micro Teaching In Hindi – Micro Teaching Ka Hindi Matalab 

इसकी परिभाषा की बात की जाए तो अलग-अलग लोगो ने अपने शब्दों से इस शिक्षण को परिभाषित किया है जोकि कुछ इस प्रकार है

  • डी. डब्ल्यू. एलन

यह थोड़े समय में थोड़े बच्चो अथवा कक्षा के आकार के हिसाब से एक छोटा शिक्षण का अनुभव है

  • बी. एम. शोर

यह एक वास्तविक शिक्षण के गतिविधिओं की श्रेणी है 

  • मैक के अनुसार

शूक्ष शिक्षण एक बंद टीवी सर्किट जैसा है जहाँ पर हमें फीडबैक मिलता है जिससे हम अपने शिक्षकों को और अच्छे से शिक्षित कर सकते है और यहाँ पर टीवी से यह तात्पर्य है की उनकी गतिविधिओं को देख कर उनमें सुधार कर सकते है

यह टीचर को एक ऐसा वातावरण देता है जिससे वह जान पाते है की उनके पढ़ाने में क्या कमी है और वह उसे सुधार भी सकते है

माइक्रो टीचिंग के प्रकार भी बहुत है जोकि अलग अलग तरह से विभाजित है

यहाँ पर टेलीविज़न से तात्पर्य है की जिससे और लोग भी एक अध्यापक की गतिविधिओं को देख करे उनको और कुशल बनने में सहायता कर सके

  • बी.के. पासी

यह एक ऐसी तकनीक है जिससे बच्चे और अध्यापक दोनों एक ही टॉपिक पर आ सके और अध्यापक अपने पूर्ण कौशक का इस्तेमाल करके उस टॉपिक के बारे में जानकारी दे सके और वही विद्यार्थी अपनी पूर्ण एकाग्रता से उसको समझ पाए

यह सब बहुत ही कम बच्चो को इकठ्ठा करके किया जाता है और एक विषय पर एक छोटे समय में ही चर्चा की जाती है, इसकी इन चार परिभाषाओं से इस  तकनीक को समझना हमारे लिए और भी आसान हो गया है

माइक्रो टीचिंग के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार है 

  • एक छोटे अंतराल के लिए कक्षा को रखा जाता है ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट और कम से कम 15 मिनट के अंतराल के लिए क्लास की जाती है
  • पढ़ाने वाला व्यक्ति एक ही विषय के बारे में बात करता है
  • अध्यापक तुर्रंत के तुर्रंत बच्चो से फीडबैक लेकर उसी कक्षा में या अगली कक्षा में अपनी गलती को सुधारता है
  • बच्चों की जनसँख्या अधिक नही रहती है, 10 बच्चे से लेकर 20 बच्चे ही एक कक्षा के भाग बन सकते है

 

सूक्ष्म शिक्षण के सिधांत 

यह कुछ सिधान्तों पर आधारित है क्योंकि यह सिद्धांत ही शिक्षण को और अच्छा बनाने में और शिक्षकों को और कुशल बनाने का काम करते है, Micro Teaching In Hindi में सूक्ष्म शिक्षण के नाम से जाना जाता है

  • छोटे अंतराल 

यदि हम बच्चो को बहुत ज्यादा समय तक पढ़ाने लगते है तो उनका पढ़ाई से ध्यान हटने लगता है इसलिए ज़रूरी है की छोटे छोटे अंतराल जिसे इंटरवल कहा जाता है उसमे पढ़ाया जाए

कभी भी किसी नई चीज़ का अभ्यास करने से हमारा मन उस चीज़ से हटने लगता है जोकि शिक्षा के नज़रिए से सही नही है

  • कम मात्रा में पढ़ाई की सामग्री 

यदि कुछ ही समय में बहुत ज्यादा पढ़ाने का प्रयास किया जाने लगे तो यह भी ठीक बात नही है क्योंकि यदि हम सामग्री अथवा हमें कितना पढ़ाना है इस बात को सीमित रखते है तो पढने वाले को स्वतंत्रता मिलती है और वह और अच्छे से आराम से जानकारी ले पाता है

इसी लिए सूक्ष्मशिक्षण का यह मुख्य सिद्धांत है की सीमित मात्रा में जानकारी दी जाए ताकि बच्चो को ऊपर कोई दबाव न पड़े और वह आसानी से जानकारी ग्रहण कर सके

  • एक समय में एक ही विषय पर चर्चा करना 

यदि एक की बार में छोटे से अंतराल में अध्यापक एक से अधिक विषय अथवा टॉपिक के बारे में बताने लगता है तो यह बहुत ही कठिन हो जाता है की बच्चा उसे समझ पाए इसलिए एक समय पर एक ही विषय पर चर्चा की जाती है

उस टॉपिक से जुड़े उदाहरण हम इधर-उधर से ले सकते है पर किसी और टॉपिक पर शिफ्ट हो जाना सही नही, इसलिए एक समय पर और एक समय में एक ही टॉपिक पर बात करना बहुत ज़रूरी है जिसके कारन यह भी सूक्ष्म शिक्षण का एक गुण है

  • अभ्यास 

सूक्ष्म शिक्षण का मुख्य उद्देश्य सिर्फ पढ़ाना ही नही है बल्कि वहाँ पर उपस्थित विद्यार्थियों को अभ्यास करवाना भी है जिससे वह हर एक पढाई गई चीज़ को सही से समझ पाए और ग्रहण कर पाए

अध्यापक का जितना ध्यान पढ़ाने में होना चाहिए उतना ही ध्यान उनका इस बात पर भी होना चाहिए की विद्यार्थी को सब समझ में आए और वह दी हुई जानकारी को अभ्यास में ला पाए

  • प्रयोग और परीक्षण 

अध्यापक को नए नए तरीकों को प्रयोग में लाना चाहिए जिससे वह जान पाए की किस तरीके से उसके विद्यार्थी को ज्यादा समझ में आ रहा है

उसके साथ की अपने पढ़ाई के तकनीक का परीक्षण भी करना चाहिए क्योंकि हर प्रयोग बिना परीक्षण के बेकार है इसलिए प्रयोग और परीक्षण भी इस शिक्षण के केंद्र है

  • फीडबैक 

यह सबसे मुख्य सिद्धांत है आपने क्या पढ़ाया उससे ज़रूरी है की जो पढ़ाया गया वह विद्यार्थी को कितना समझ में आया

यदि दी गई जानकारी विद्यार्थी के समझ में आ रही है तो समझिये की आपका सही है और यह जानने के लिए विद्यार्थियों से उनका फीडबैक लेना बहुत ज़रूरी है

इसलिए समय समय पर विद्यार्थियों से फीडबैक लेकर अपनी कमियों को सुधारना और सही तरीके से शिक्षा देना भी इस तकनीक का सिद्धांत है

 

माइक्रो टीचिंग की प्रक्रिया – Concept of Micro Teaching

  • योजना का निर्माण

अध्यापक को जिस भी विषय के जिस भी टॉपिक के बारे में शिक्षण देना है उस विषय के बारे में जानकारी और सामग्री इकठ्ठा करना होता है, और उस विषय पर बच्चो के लिए अभ्यास की सामग्री भी एकत्र करनी है

पूरी योजना बनाना है की किस समय पर क्या क्या और किस तरीके से पढ़ाना है की बच्चों को समझ आ जाए

जिस भी विषय के बारे में आपको जानकारी देनी है उस विषय के बारे में ऐसी एक्टिविटी को प्लान करना है जिससे पढ़ाने वाला और पढने वाला दोनों ही आपस में अच्छे से मेल जोल कर सके

  • पढ़ाना

एक बार सारी सामग्री तैयार करने के बाद अगली प्रक्रिया पढ़ाने की है अध्यापक को निश्चित समय पर जाकर बच्चों को एक प्रभावशाली तरीके से उस विषय की महत्ता बताते हुए उसे शुरू करना है

इस बात का ध्यान रखना है की पढ़ाई के दौरान बच्चों का आपस में और अध्यापक से संपर्क न टूटे अर्थात अध्यापक जितना पढ़ा रहा है उतना बच्चे को समझ में आना चाहिए

यदि ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित हो जाए की अध्यापक द्वारा बनाया गया प्लान न फॉलो हो पा रहे हो और बच्चो का फायदा न हो या अध्यापक के पढ़ाने के तरीके से बच्चे ज्यादा संतुष्ट न हो तो उसी समय अपनी पढ़ाने के कौशक के हिसाब से अपनी प्रक्रिया और प्लान दोनों में बदलाव करना अनिवार्य है

पढ़ाने का मुख्य उपदेश सही तरीके से पढ़ाने से है ऐसा तरीका जिससे टीचर के पढ़ाने के कौशल से बच्चा कठिन से कठिन और सरल से सरल चीज़ सीख पाए

  • फीडबैक

प्रतिक्रिया किसी भी चीज़ को और बेहतर बनाने में सहायता करती है, बच्चो को पढ़ाने के बाद उनसे उनकी प्रतिक्रिया लेना बहुत आवश्यक है

अध्यापक के हिसाब से भले ही वह बहुत अच्छे से पढ़ा रहा हो पर जब तक बच्चे न कहे की उनको समझ आ रहा है और उन्हें पढने में मज़ा आ रहा है इसलिए एक बार पढ़ाने के बाद बच्चों से उनके विचार जानने आवश्यक है उन्हें कहाँ पे दिक्कत आ रही है और उनको क्या समझ में नही आ रहा आदि

सूक्ष्म शिक्षण के उद्देश्य भी फीडबैक से प्रभावित होते है

  • दोबारा से योजना बनाना

बच्चो के फीडबैक के बाद अध्यापक को अपने कौशल पर और मेहनत करनी होती है और साथ में उनको इस बात का भी ध्यान देना रहता है बच्चो द्वारा बताई गई समस्याएँ दोबारा न आए

दोबारा से फिरसे पूर्ण योजना बना के अपने पढ़ाने के कौशल पर और बच्चो की सुविधा का ध्यान रखके पूर्ण तैयारी करना ही रीप्लान का हिस्सा है

  • दोबारा पढ़ाना

फिरसे अपने बनाए गए योजना और पिछले अनुभव के हिसाब से उनको पढ़ाना है और इस बार भी पिछले नियम और पढ़ाई के सभी सिधान्तों का पालन करना है

  • दोबारा से बच्चो से प्रतिक्रिया लेना

अब इस बार उन बच्चो को कितना समझ में आया कितना नही आया, क्या क्या बदलाव अनिवार्य है आदि चीज़ों पर ध्यान देना होगा और फिरसे उनके द्वारा बताई गई कमियों को इस पूरी प्रक्रिया को दोबारा करना होगा

 

माइक्रो टीचिंग के फायदे – Micro Teaching Ke Fayade 

इससे शिक्षण में बहुत ही सुधार देखने को मिलता है जिससे हम धीरे-धारे अपने अध्यापकों के अंदर पढ़ाने के कौशल को और अच्छे से स्थापित कर सकते है

आजके समय में ऐसा माना जाता है की यदि अध्यापक अच्छा हो तो कोई पढ़ाई मुश्किल नही है और कोई भी विषय कठिन नही है हम भी अपने बहुत से विषयो में अपने कौशल को अपने अध्यापकों की देन समझते है

बीएड माइक्रो टीचिंग इन हिंदी के भी समान फायदे है इसका अर्थ भी सूक्ष्म शिक्षण ही है

इसी लिए अध्यापकों में पढ़ाने के कौशल को और अच्छा बनाना बहुत ही ज़रूरी हो जाता है जिससे हमारे देश के बच्चे आगे बढ़ सके जिससे देश का विकास भी और तेज़ी से हो सके

आइए जानते है की Micro Teaching In Hindi के क्या फायदे है

 

  • कौशल का विकास 

इस प्रक्रिया से अध्यापकों के पढ़ाने के कौशल में विकास देखने को मिलता है जिससे अध्यापक और अच्छे तरीके से पढ़ाने में सक्षम हो पाते है और बच्चों को पढ़ाया हुआ समझ आता है

  • प्रतिक्रिया से सुधार 

इस प्रक्रिया में प्रतिक्रिया का बहुत बड़ा महत्त्व है क्योंकि बच्चो की प्रतिक्रिया लगातार अध्यापकों के पढ़ाने के तरीके में सुधार का साधन बन रही है और धीरे-धीरे इस तरह से हमारे अध्यापक एक स्मार्ट तरीके से बच्चों को पढ़ाने में सक्षम हो रहे है

 जिसका लाइव उदहारण Youtube है Youtube पर आज ऐसे ऐसे अध्यापक है जो हमें मुश्किल से मुश्किल चीज़ आसानी से समझा पाते है क्योंकि उन्होंने समय के साथ बच्चों की प्रतिक्रिया और खुद में धीरे-धीरे सुधार के कारन खुदको इतना बेहतर बनाया है

  • समय की बचत

इस शिक्षण में समय की बहुत बचत होती है अर्थात समय कम नही पड़ता है और समय ज्यादा भी नही लगता है, एक लंबे समय तक किसी भी काम को करने से करने वाले को भी दिक्कत होती है और करवाने वाले को भी दिक्कत नही होती है

पर सूक्ष्म शिक्षण में ऐसा नही होता इसमें बहुत ही कम समय लगता है

  • सूक्ष्म शिक्षण का लचीलापन 

यह शिक्षण बहुत ही लचीला है यानी इसमें किसी भी पक्ष को बहुत ही ज्यादा हार्ड वर्क करने की आवशयकता नही पड़ती, न ही ज्यादा समय लगता है इससे अध्यापक और बच्चे दोनों को किसी समस्या का सामना नही करना पड़ता है और दोनों आराम से इसको अपना सकते है

जिससे दोनों को लाभ मिलता है और पढने और पढ़ाने में आसानी होती है

 

अन्य लाभ 

  • इसमें आसानी रहती है और किसी भी प्रकार का नुक्सान होने का जोखिम कम रहता है
  • यह बहुत ही प्रभावी रहता है इससे बच्चे ज़ल्दी ही चीज़ों को समझ लेते है
  • इससे बच्चों पर ज्यादा तनाव नही पड़ता

 

माइक्रो टीचिंग के नुकसान – Micro Teaching ke Nuksan

सीमित बातचीत : अध्यापक और बच्चों के बीच विषय को छोड़ कर भी उनके जीवन के बारे में उनके व्यक्तित्व आदि के बारे में वार्तालाप होती है जोकि एक अध्यापक को एक शिक्षक बनाती है और बच्चो को एक अच्चा व्यक्ति बनाने में मदद करती है

सीमित सन्दर्भ : किसी भी विषय के बारे में हम पूर्ण रूप से विस्तार में बताने की आज़ादी नही रहती है जिससे हम पूर्ण रूप से उस विषय के बारे में चर्चा नही कर पाते है

गलत प्रतिक्रिया के नुक्सान : ज़रूरी नही जो बच्चे फीडबैक दे वह सही ही हो, गलत फीडबैक देने से सबपर असर पड़ता है, पूरी की प्रणाली प्रभावित होती है

समय की कमी : यह एक नुकसान भी है क्योंकि कुछ चीज़ों को सीखने और समझने में समय भी लगता है

 

FAQs : Micro Teaching In Hindi

सवाल : माइक्रो टीचिंग का मतलब क्या होता है?

इसमें एक अध्यापक कुछ बच्चों को लेकर एक छोटे समय में किसी एक विषय के ऊपर शिक्षण देता है और बच्चो की प्रतिक्रिया के हिसाब से अपने पढ़ाने के तरीके में बदलाव करते है

सवाल : माइक्रो टीचिंग के जन्मदाता कौन है?

डी• एलन इस शिक्षण तकनीक के जन्मदाता है जिन्होंने 1963 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में इसको शुरू किया

सवाल : माइक्रो टीचिंग कितने प्रकार के होते हैं?

यह बहुत से प्रकार के होते है पर मुख्य रूप से यह दिए गए प्रकार में बताए जाते है

सवाल : सूक्ष्म शिक्षण कितने समय लगता है?

यह ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट का होता है और कम से कम 15 मिनट का होता है, अगर कोई क्लास 30 मिनट से ज्यादा चलती है तो उसे सूक्ष्म शिक्षण नही कहा जायेगा

सवाल : माइक्रो टीचिंग के घटक?

  • समय की कमी
  • गलत प्रतिक्रिया के नुक्सान
  • सीमित सन्दर्भ
  • सीमित बातचीत

सवाल : भारत में माइक्रो टीचिंग की शुरुआत कब हुई?

भारत में इसकी शुरुआत 1960 में हुई थी जिसमे अध्यक्ष डॉ. एल. पी. सिंह  ने एक समूह बनाया था जिससे इस तकनीक की शुरुआत की गई थी

इसे भारत के शिक्षा प्रणाली को और प्रभावित बनाने के लिए शुरू किया गया था

 

Conclusion

सूक्ष्म शिक्षण का मुख्य उपदेश बच्चो को उनकी पूरी शिक्षा का सिलेबस पूरा करवाना नही था, बल्कि अध्यापकों के पढ़ाने के कौशल में सुधार करना था जिससे अध्यापक एक अच्छे कौशल के साथ बच्चों को पढाए

यह एक तरह का एक्सपेरिमेंट था जिसके कारन इसका कोई भी मुख्य दुष्प्रभाव नही है, यह पढ़ाने का तरीका नही है यह बस शिक्षण और शिक्षको को और बेहतर बनाने का एक तरीका है

आजके समय में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसके मूल रूप से इसके अन्य रूप थोड़े थोड़े भिन्न है, इसके इस्तेमाल से हम बहुत तरह से शिक्षा प्रणाली को सुधार सकते है पर सीके सही इस्तेमाल के लिए बच्चों के सही फीडबैक की आवशयकता है क्योंकि उनका एक गलत फीडबैक पूरी शिक्षा प्रणाली को हिला सकता है

हमें आशा है की आपको हमारा यह आर्टिकल Micro Teaching In Hindi अच्छा लगा होगा, हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया