माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई : माउंट एवरेस्ट की हाइट में समय के साथ परिवर्तन देखा गया है कभी इसकी ऊंचाई के कम होने की अफवाह फैलती है तो कभी इसकी उंचाई के ज्यादा होने की अफवाह फैलती है
पर असल में 2020 में चाइना के द्वारा इसकी ऊंचाई का माप लेने के बाद यह पता लगा की इसकी ऊंचाई कुछ सेंटीमीटर बढ़ी है
हम सब लोगों ने माउंट एवरेस्ट के बारे में तो सुना ही होगा इसको विश्व की सबसे बड़ी चोटी के नाम से भी जाना जाता है और कहा जाता है की पूरे विश्व में इससे बड़ा पहाड़ नही है
वैसे पहाड़ कैसे बनते है और माउंट एवरेस्ट का जन्म कैसे हुआ और क्यों वह इतना बड़ा है इसके बारे में भी हम आगे देखेंगे
यह पहाड़ हिमालय पर्वत की श्रृखला में स्थित है और यह तिब्बत और नेपाल की सीमा के बीच आता है जो की चीन का एक अज्ञात क्षेत्र है, इससे यदि आपको यह लगता होगा की दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ भारत में है तो ऐसा नही है
इसके दो देशो की सीमा में होने के कारन यह आधा चीन में आता है और आधा नेपाल में आता है
इसकी ऊंचाई को 2020 में नेपाल के द्वारा नापा गया था जिसमे इसकी ऊंचाई को इसकी पिछली ऊंचाई से 86 सेंटीमीटर ज्यादा पाया गया
माउंट एवरेस्ट से जुड़े ऐसे बहुत से तथ्य है जिसे सुनके आप हैरान हों जायेंगे और ऐस्सा नही है की इसकी ऊंचाई सिर्फ बढ़ रही है इसकी ऊंचाई घट भी रही है
बहुत से ऐसे फैक्टर है जो इसकी ऊंचाई को बढ़ा रहे है और बहुत से ऐसे फैक्टर भी है जो इसकी ऊंचाई को कम कर रहे है जिसके बारे में हम आपको सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई – Mount Everest ki Unchai kitni hai
Mount Everest
सबसे पहले 1849 में अंग्रेजो द्वारा माउंट एवरेस्ट की हाइट को नापने का प्रयास किया गया था पर वह इसकी ऊंचाई को लेके संतुष्ट नही थे, 2015 में नेपाल ने ऐसा दावा किया की इसकी हाइट में परिवर्तन हुआ है
जिसके बाद इसकी हाइट के बढ़ने या घटने की बातें सामने आने लगी, इसके बाद 1954 में भारत के द्वारा इस पहाड़ की ऊंचाई को नापा गया जिसमे इसकी ऊंचाई को 8848 मीटर बताया गया और इस ऊंचाई को भारत द्वारा और सभी देशो द्वारा स्वीकार भी किया गया
पर 2020 में फिरसे इसकी हाइट में बदलाव की आशंका सामने आई जिसके बाद चीन और नेपाल दोनों ने मिलके इसकी ऊंचाई को नापा और 2020 में इसकी उंचाई 8848.86 मीटर बताई गयी
और हम आजके समय में भी इसी ऊंचाई को मानते है, पर Height of mount everest में बदलाव की इतनी आशंका क्यों जताई गयी इसके बारे में जानना भी आवश्यक है
Mount everest ki unchai में कुल 86 सेंटीमीटर का बदलाव देखने को मिला है जोकि कोई आम बात नही है इसके पीछे बहुत से मुख्य कारन है
एक और अवधारणा है जिसके बारे में बताना बहुत आवश्यक है 1954 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई सर्वे ऑफ़ इंडिया के तहत नापी गयी थी, नेपाल ने नही नापा था, पर बहुत जगह पर ऐसा दिखाया जाता है की नेपाल के द्वारा 1954 में विश्व की सबसे बड़ी छोटी हाइट नापी गयी थी जोकि सच नही है
विश्व की सबसे बड़ी चोटी की ऊंचाई में परिवर्तन के क्या कारन है
यदि हम समुन्द्र के ऊपर के लेवल से देखे तो माउंट एवरेस्ट ही दुनिया की सबसे बड़ी चोटी कहा गया है
सबसे मुख्य तीन कारन है जिसके कारन इसके गति बढ़ भी सकती है और कम भी हो सकती है
1) टेक्टोनिक प्लेटों की गति
पृथ्वी के निर्माण में टेक्टोनिक प्लाटों का भी योगदान है इसी के कारन ही धरती इतनी स्थाई है और जब दो प्लेट एक दुसरे से टकराती है तो उस जगह पर पहाड़ का जन्म होता है
जितना ज्यादा यह प्लेट एक दुसरे के पास आएँगी उतना ज्यादा ही पहाड़ की हाइट बढ़ेगी, और जितना ज्यादा यह दूर जाएँगी उतनी ज्यादा पहाड़ की ऊंचाई कम होगी
दुनिका की सबसे ऊँची चोटी दो प्लेट के टकराव से बनी है जिनका नाम है भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट, इन दोनों प्लेटों के पास आने से और एकत्रित होने से इस पहाड़ की हाइट बढ़ रही है
और ऐसा कहा जाता है की यह हर साल 5 सेंटीमीटर की दर से पहाड़ की हाइट को बढ़ा रही है
2) भूकंप
पर इसके प्लेटो में हलचल के कारन भूकंप आने के भी आसार बढ़ रहे है और भूकंप आने से पहाड़ खिसक जाते है और इनकी ऊंचाई कम हो जाती है
और अगर मैथ की भाषा में बताएं तो भूकंप के कारन प्रतिवर्ष इस पहाड़ की ऊंचाई 2.5 सेंटीमीटर से कम हो रही है
ऐसा नही है की जब इस पहाड़ के पास भूकंप आएगा तभी इसकी हाइट में परिवर्तन होगा बल्कि इसके आस पास के क्षेत्र में भी आने वाले भूकंप इलाके की आकृति में बदलाव करके इस पहाड़ को भी प्रभावित कर रहे है
भूकंप के कारन भी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में घटाव देखने को मिलता है
1934 में बिहार में आए भूकंप ने Mount Everest की पोजीशन को 2 मीटर शिफ्ट कर दिया और 1988 में नेपाल में आए भूकंप के कारन इस पहाड़ की चोटी में दरार देखने को मिली, जिन दरारों में बाद में बर्फ भर गयी
3) बर्फ का पिघलना या जमा होना
जैसा की हम जानते है की Mount Everest बर्फ से ढका हुआ है, और इस पहाड़ के शीर्ष पर बर्फ का जमने क पिघलने से इसके कुल द्रव्यमान में बदलाव देखने को मिलता है, यह भी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव का कारन है
शिखर में बर्फ का जमना या उसकी मात्रा बहुत से चीज़ों पर निर्भर करती है, यह मौसम, हवा और जलवायु पर मुख्य रूप से निर्भर करती है, यह सर्दियों में और बढ़ जाती है वही गर्मियों में पिघलने के कारन कम हो जाती है
हवाओं के बहाव के कारन भी कभी कभी यह कम हो जाती है, जब बहुत ज्यादा ठण्ड होती है तो उस समय इसकी ऊंचाई में बर्फ इकठ्ठा होने के कारन बदलाव देखने को मिलता है वही गर्मी में इसकी हाइट कम हो जाती है क्योंकि गर्मी में बर्फ पिघलने लगती है
वैसे तो बहुत से अध्ययनों का यह भी मानना है की ग्लोबल वार्मिग बढ़ने के कारन बर्फ पिघल रही है और यह इस पहाड़ की हाइट को समय के साथ कम कर रही है
वैसे बहुत ज्यादा बर्फ पिघलने से सिर्फ बर्फ की ऊंचाई में ही नही बल्कि इसके आस पास के देशो में बाढ़ की भी समस्या आ सकती है क्योंकि पहाड़ों से ही बहके पानी नदियों में आता है
माउंट एवरेस्ट से ऊँचा पर्वत
Mauna kea
क्या आपको पता है की एक ऐसा पर्वत भी है जो माउंट एवरेस्ट से भी काफी ऊँचा है पर इसका आधे से ज्यादा हिस्सा समुन्द्र के अंदर है जिसके कारन इसके बड़े होने के तथ्य के बारे में ज्यादा सुनने को नही मिला
इस पर्वत का नाम मौना केआ है, यह एक ज्वालामुखी वाला पर्वत है पर यह इस समय शांत है पर भविष्य में इसके फटने की आशंका जताई जा रही है
यह हवाई नाम के शहर में स्थित है और यह शहर अमेरिकल में स्थित है यानी की असल में सबसे ज्यादा ऊँचा पर्वत अमेरिका में स्थित है
समुन्द्र तल के ऊपर से इसकी ऊंचाई 4,207.3 m नापी गयी है अभी आप सोच रहे होंगे की यह तो Mount Everest से बहुत कम है पर इसका आधे से ज्यादा हिस्सा समुंद्र के अंदर है इस पहाड़ का लगभग 6000 मीटर हिस्सा समुंद्र के अंदर है
कुल मिला के इसकी ऊंचाई समुंद्र के अंदर से 10205 मीटर है जोकि Mount Everest से काफी ज्यादा है इसलिए बहुत से साइंटिस्ट इसको ही दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत मानते है
मौना केआ का निर्माण कैसे हुआ और यह क्या है
यह एक ज्वालामुखी है जो की धरती पर कुदरती रूप से बनने वाले ज्वालामुखी का एक हिस्सा है, इसमें अंतिम पर लावा का विस्फोट कमसे कम 4500 वर्ष पूर्व हुआ है
जिसके बाद यह अभी तक शांत है, और ऐसा माना जाता है की इस पर्वत का निर्माण लगभग 10 लाग साल पहले से चल रहा है
ज्वालामुखी पृथ्वी के मेंटल में किसी गर्म जगह पर बनता है जिस जगह पर मैग्मा सतह के नीचे से उठता है, और दबाव ज्यादा होने के कारन सतह पर फूट जाता है
यह जवालामुखी पहाड़ अपने जन्म से लेके अभी तक कई विस्फोटों से गुजर चूका है और बहुत समय से एकदम शांत है पर अमेरिका के विज्ञानिक इसे आज भी खतरा समझते है
उनके हिसाब से आने वाले समय में इस ज्वालामुखी में विस्फोट अवश्य होगा
यह पहाड़ अपने खगोलीय वेधशाला के लिए भी प्रचलित है, इस वेधशाला का निर्माण 1967 में किया गया था और इसके तहत इस पहाड़ पर अलग अलग तरह से रिसर्च और इसके द्वारा रिसर्च की जाती थी
धार्मिक अथवा अन्य चीज़ों को मत बनाके इस वेधशाला का बहुत विरोध भी किया गया पर आजके समय में यहाँ से दुनिया के सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप को यही से स्थापित किया गया है
माउंट एवरेस्ट के बारे में रोचक तथ्य
- सबसे बुजिर्ग व्यक्ति जिन्होंने Mount Everest पर चढ़ाई की वह युइचिरो मिउरा थे इन्होने 2013 में एवरेस्ट पर चढ़ाई की उस समय इनकी उम्र लगभग 80 साल की थी
- सबसे कम उम्र के व्यक्ति जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की वह जॉर्डन रोमेरो थे जिहोने 2010 में 13 वर्ष की आयु में एवरेस्ट पर अपनी चढ़ाई की थी
- एवेरेस्ट पर पहली बार चढाई करने वाले व्यक्ति एडमंड हिलेरी थे इन्होने 29 मई 1953 पर अपनी चढ़ाई की थी
- पहले व्यक्ति जो एवरेस्ट पर बिना किसी एक्स्ट्रा ऑक्सीजन के चढ़े थे और जिन्होंने अकेले चढ़ाई की थी वह रेनहोल्ड मेस्नर थे इन्होने 1980 में अपनी चढ़ाई पूरी करके सुनहरा इतिहास रचा
- स्कीइंग द्वारा Mount Everest पर चढ़ाई करने वाले व्यक्ति युइचिरो मिउरा थे इन्होने 1970 में अपनी चढ़ाई की थी (स्कीइंग – यह बर्फ पर स्की बंधकर चलने की क्रिया )
- इस पहाड़ को इसके आस पास के लोगों के द्वारा कई नाम से जाना जाता है जिसमे से चोमोलुंग्मा और सागरमाथा सबसे प्रचलित नाम है, जिसमे चोमोलुगमा का अर्थ होता है विश्व की देवी माता, और सागरमाथा का अर्थ है आसमान का माथा, यह दोनों नाम इसके सागर को चूमने और इससे जुडी धार्मिक कहानियों के कारन दिए गए है
- इस पहाड़ की चोटी पर अभी तक सबसे ठंडा तापमान फ़रवरी 2003 में दर्ज किया गया था जोकि -41 डिग्री था जोकि अभी तक का सबसे ठंडा तापमान साबित हुआ है
- इस पहाड़ पर हवा की गति 320 किलोमीटर प्रति घंटा तक देखि गयी है जोकि इस पहाड़ पर चढ़ने वाले लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है
- यदि सतह से नापा जाए तो Mount Everest दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ नही है बल्कि अमेरिका में स्थित मौना केआ है क्योंकि यह सतह से लेके अपनी चोटी तक 10,210 m का है जोकि माउंट एवरेस्ट से काफी बड़ा है क्योंकि Mount Everest तो बस 8848.86 m का है
पर इस पहाड़ का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी में है, जिसके कारन समुंद्र लेवल के ऊपर से देखने में यह छोटा दीखता है और Mount Everest बड़ा दीखता है
FAQs : Height of Mount Everest in Hindi
सवाल : दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ कौन सा है ?
हिमालय की चोटी पर स्थित माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ है
सवाल : पहाड़ों का निर्माण कैसे होता है ?
जवालामुखियों और धरती के नीचे की प्लाटों के एक दुसरे से टकराने की वजह से पहाड़ों का निर्माण होता है
सवाल : Mount Everest कहाँ पर स्थित है ?
यह चाइना और नेपाल की सीमा पर स्थित है
सवाल : एवरेस्ट की हाइट कितनी बढ़ी है ?
इसकी हाइट 86 सेंटीमीटर बढ़ी है
सवाल : एवरेस्ट का पुराना नाम क्या था ?
सगरमाथा, XY पहाड़ के नाम से जाना जाता था
सवाल : सबसे पहले माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले व्यक्ति कौन थे ?
सबसे पहले Mount Everest पर चढ़ाई करने वाले व्यक्ति न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलरी और शेर्पा गाइगेंग थे इन्होने 29 मई 1953 में चढ़ाई की थी
सवाल : भारत से सबसे पहले माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई किसने की ?
तेंजिंग नोर्गे शेर्पा ने भारत से सबसे पहले इस पहाड़ पर चढ़ाई की इन्होने 20 मई 1965 में भारत का नाम रोशन किया
सवाल : भारत का सबसे ऊँचा पर्वत कौन सा है ?
K2 भारत का सबसे ऊँचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 8,611 मीटर है
Conclusion
आजके इस आर्टिकल में हमने Mount Everest के बारे में सभी ज़रूरी जानकारियों पर नज़र डाली है, दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत की उपाधि पाने वाला यह पर्वत असल में सबसे ऊँचा पर्वत नही है
बल्कि अमेरिका में स्थित एक माउंटेन दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ है, जिसकी हाइट 10205 मीटर है और वही Height of Mount Everest 8848.86 मीटर है
हमने उन कारणों पर भी नज़र डाली जिसके कारन माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में परिवर्तन देखने को मिले है, हमें आशा है की आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा हमारे इस आर्टिकल को पढने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया