Antrashtriy nyayalay kahan sthit hai : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग होता है, यह विभिन्न राष्ट्रों के बीच कानूनी विवादों को सुनता है और उसका समाधान भी करता है
न्यायालय की भूमिका अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, राज्यों द्वारा प्रस्तुत कानूनी विवादों को निपटाने और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा संदर्भित कानूनी प्रश्नों पर सलाहकार राय देने के लिए है
न्यायालय संबंधित राज्यों की स्वैच्छिक भागीदारी के आधार पर देशों के बीच विवादों का फैसला करता है।
यदि कोई राज्य किसी कार्यवाही में भाग लेने के लिए सहमत होता है, तो वह न्यायालय के निर्णय का पालन करने के लिए बाध्य होता है
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था, और अप्रैल 1946 में इसने काम करना शुरू किया गया
तो जैसा की हमारा सवाल है कि Antrashtriy nyayalay kahan sthit hai तो इसका उत्तर है कि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग (नीदरलैंड ) में स्थित है , आगे हम अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय कहां स्थित है और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय से जुड़ी अन्य जरूरी बातों पर दृष्टि डालेंगे
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय कहां स्थित है – Antarrashtriya nyayalay kahan sthit hai
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice-ICJ) हेग (नीदरलैंड) के शांत महल (Peace Palace) में स्थित है
इस की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा की गई और अप्रैल 1946 से इसने काम करना शुरू किया यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग होता है और इस संघ के पांच मुख्य अंगों में से एक है
संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख संस्थानों के विपरीत यह एकमात्र संस्थान है जो न्यूयॉर्क में स्थित नही है
यह राष्ट्रों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाता है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों तथा विशेष एजेंसियों द्वारा निर्दिष्ट कानूनी प्रश्नों पर अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार सलाह देता है ,अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में प्रयोग की जाने वाली भाषा अंग्रेजी फ्रेंच तथा फ्रांसीसी है
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का इतिहास- Antarrashtriya nyayalay ka Itihas
स्थाई अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की कल्पना उतनी ही पुरानी है, जितनी कि अंतराष्ट्रीय विधि, परंतु इस कल्पना के सच होने का काल वर्तमान शताब्दी से अधिक प्राचीन नहीं है
आमतौर पर पहला चरण संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन के बीच वर्ष 1794 की तथाकथित जय संधि (Jay Treaty) के नाम से जाना जाता है
ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच वर्ष 1872 अलबामा दावे की मध्यस्थता को दूसरे चरण के रूप में देखा गया जो कि अधिक निर्णायक चरण रहा है
रूसी जार निकोलस द्वितीय द्वारा आमंत्रित 1899 के हेग शांति सम्मेलन को अन्तर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के आधुनिक इतिहास में तीसरे चरण की शुरुआत माना गया है
मध्यस्थता के संबंध में वर्ष 2019 के कन्वेंशन ने स्थाई संस्था के निर्माण पर बल दिया जिसे स्थाई मध्यस्थता न्यायालय के रूप में जाना जाता है
यह वर्ष 1900 में स्थापित हुआ और 1902 में इसका परिचालन शुरू हुआ कन्वेंशन ने हेग स्थित एक स्थाई कार्यालय भी बनाया इसमें कोर्ट रजिस्ट्री या सचिवालय के अनुरूप कार्य होते थे और मध्यस्थता के संचालन के लिए प्रक्रिया नियमों का एक समूह निर्धारित किया गया था
वर्ष 1911 से वर्ष 1919 के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकाय तथा सरकारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए विभिन्न योजनाओं और प्रस्तावों को प्रस्तुत किया गया !
जिसका समापन प्रथम विश्वयुद्ध के बाद नई अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के अभिन्न अंग के रूप में अंतरराष्ट्रीय न्याय के स्थायी न्यायालय (Permanent court of International Justice- PCIJ ) की स्थापना से हुआ
वर्ष 1943 में चीन सोवियत संघ-ब्रिटेन और अमेरिका ने एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया जिसमें कहा गया कि सभी शांतिप्रिय राष्ट्र की संप्रभुता समानता के आधार पर एक सामान्य अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना किए जाने की आवश्यकता है
यह संगठन अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए बड़े और छोटे सभी राष्ट्रों के लिए खुला रहेगा इसके बाद वर्ष 1945 में जी.एच.हैकवर्थ समिति को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना के लिए कानून बनाने हेतु मसौदा बनाने का कार्य सौंपा गया
सेंट फ्रांसिस्को सम्मेलन में समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए नए न्यायालय की स्थापना के पक्ष में निर्णय लिया जाए महासभा सुरक्षा परिषद आर्थिक और सामाजिक परिषद न्यास परिषद सचिवालय की तरह संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख अंग होगा
वर्ष 1920 में PCIJ की आखिरी बैठक हुई जिसमें अपने अभिलेखागार और प्रभावों को नए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया
अप्रैल 1946 में स्थाई अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पहली बार बैठक की तथा PCIJ के अंतिम अध्यक्ष जोस गुस्तावो गुरेरो को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का प्रथम अध्यक्ष चुना गया तथा उनकी देखभाल में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को सौंप दिया गया
अंतराष्ट्रीय न्यायलय के सदस्य – Antrashtriy nyayalay ke Sadasya
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में महासभा द्वारा 15 न्यायाधीश चुने जाते हैं, यह न्यायाधीश 9 वर्षों के लिए नियुक्त किए जाते हैं ये अपना कार्यकाल समाप्त करने के बाद फिर से भी चुने जा सकते हैं
प्रत्येक तीसरे वर्ष इन 15 न्यायाधीशों में से 5 पुनः चुने जाते हैं उनकी सेवानिवृत्ति की आयु,कोई भी दो न्यायाधीश एक ही राष्ट्र के नहीं हो सकते किसी न्यायाधीश की मौत पर उनकी जगह किसी समदेशी को दी जाती है
इन न्यायाधीशों को किसी और पद पर रखना मना है किसी एक न्यायाधीश को हटाने के लिए बाकी के न्यायाधीशों का सर्व सम्मत निर्णय होना आवश्यक है
न्यायालय द्वारा सभापति तथा उप सभापति व निर्वाचन और रजिस्ट्रार की नियुक्ति होती है, Antrashtriy nyayalay kahan sthit hai यह जानने के साथ साथ इसके सदस्यों का ज्ञान होना भी अनिवार्य है
न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 15 है, गणपूर्ति संख्या 9 है, न्यायालय में निर्णय बहुमत के अनुसार लिए जाते हैं बहुमत से सहमत न्यायाधीश मिलकर एक विचार लिख सकते है
तथा अपने विचार रख सकते हैं बहुमत के विरुद्ध न्यायाधीश भी अपने खुद के विचार रख सकते हैं
अंतराष्ट्रीय न्यायलय की संरचना
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा सुरक्षा परिषद के 9 वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है
यह दोनों निकाय एक समय पर लेकिन अलग-अलग मतदान करते हैं निर्वाचित होने के लिए किसी उम्मीदवार को दोनों निकाय उसे पूर्ण बहुमत प्राप्त होना चाहिए
अंतराष्ट्रीय न्यायलय की संरचना इस बात को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है की Antrashtriy nyayalay kahan sthit hai
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय की संख्या के एक तिहाई सदस्य हर तीन साल में चले जाते हैं
और न्यायाधीश पुनः चुनाव के पात्र होते हैं आईसीजी को एक रजिस्ट्री द्वारा सहायता दी जाती है रजिस्ट्री आईसीजी का स्थाई प्रशासनिक सचिवालय है अंग्रेजी और फ्रेंच इसकी आधिकारिक भाषाएं हैं
अंतराष्ट्रीय न्यायलय का क्षेत्राधिकार
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सम्मिलित समस्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं
उसका क्षेत्राधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र अथवा विभिन्न विधियों तथा विषयों में वर्णित समस्त मामलों पर है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय समृद्धि में सम्मिलित कोई राष्ट्र किसी भी समय बिना किसी विशेष प्रसंविदा के किसी ऐसे अन्य राष्ट्र के संबंध में जो इसके लिए सहमत हों
यह घोषित कर सकता है कि वह न्यायालय के क्षेत्राधिकार को अनिवार्य रूप से स्वीकार करता है, उसके क्षेत्राधिकार का विस्तार उन समस्त विवादों पर है जिनका संबंध निर्वाचन अंतर्राष्ट्रीय विधि प्रश्न अंतरराष्ट्रीय आभार का उल्लंघन तथा उसकी क्षतिपूर्ति के प्रकार एवं सीमा से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को परामर्श देने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है
वह किसी पक्ष की प्रार्थना पर जो इसका अधिकारी है किसी भी प्रश्न पर अपनी सहमति दे सकता है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अभियोग दो तरह के होते हैं विवादास्पद विषय तथा परामर्शी विचार
अंतराष्ट्रीय न्यायलय का विवादास्पद विषय
इस तरह के मुकदमे में दोनों राज्य के लिए न्यायालय का निर्णय मानना आवश्यक होता है केवल राज्य ही किसी विवादास्पद विषय में शामिल हो सकते हैं
कोई गैर सरकारी संस्थाएं इसमें हिस्सा नहीं ले सकती ऐसे अभियोगों का निर्णय अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तभी ले सकता है जब दोनों देश इससे सहमत हों
- आजकल की संधियों में अक्सर एक शर्त डाली जाती है कि जिसके अनुसार अगर उस संधि के बारे में कोई संघर्ष या विवाद उठे तो अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है
- राज्यों को अधिकार है कि वे चाहे तो न्यायालय के प्रत्येक निर्णय को पहले से ही स्वीकृत कर लें
- क्योंकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय की जगह ली थी तो जो भी मुकदमे स्थाई न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में थे वे सभी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में भी होंगे
न्यायाधीशों की नियुक्ति कहां से की जाती है – Nyayadheesho ki niyukti kahan se ki jaati hai
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति अनेक देशों में विभिन्न स्थानों से की जाती है जिनमे से :
- अफ्रीका से तीन
- एशिया से तीन
- लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से दो
- पूर्वी यूरोप से दो
- पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों से पाँच
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं जिन्हें दायित्व ग्रहण करने से पूर्व शपथ लेनी होती है कि वे अपनी शक्तियों का निष्पक्षता और शुद्ध अंतःकरण से उपयोग करेंगे
न्यायालय के न्यायाधीशों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को तब तक बर्खास्त नहीं किया जा सकता है
जब तक कि अन्य सदस्यों का एकमत न हो कि वह आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करता अब तक किसी भी न्यायाधीश को उसके पद से विस्थापित नहीं किया गया है
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय न्यायाधीश-Antarrashtriya nyayalay me bhartiye nyayadheesh
- सर बेनेगल राव- 1952-1953
- नागेंद्र सिंह- 1973-1988
- रघुनंदन स्वरूप पाठक- 1989-1991
दलवीर भंडारी- 27 अप्रैल 2012 से न्यायालय के सदस्य रहे,नवंबर 2017 में उन्हें फिर से उनके दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया है
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारत से संबंधित अन्य मामले – Antarrashtriya nyayalay me bharat se sambandhit anya mamle
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारत से संबंधित अनेक मामले सामने आए हैं जिनमे से एक है कुलभूषण जाधव मामला
इस मामले के अलावा भारत पांच मौकों पर अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में एक मामले में पक्षकार रहा है ,जिनमे से तीन मामले तो पाकिस्तान से ही संबंधित हैं
- भारतीय क्षेत्र पर मार्ग का अधिकार (पुर्तगाल बनाम भारत,1960 में खतम हुआ)
- आईसीएओ परिषद के क्षेत्राधिकार अपील (भारत बनाम पाकिस्तान , परिणति 1972)
- पाकिस्तानी कैदियों का परीक्षण (पाकिस्तान बनाम भारत,1973 में ख़त्म हुआ )
- 10 अगस्त 1999 की हवाई घटना (पाकिस्तान बनाम भारत, 2000 में ख़त्म हुआ)
- परमाणु हथियारों की दौड़ की समाप्ति और परमाणु निरस्त्रीकरण से संबंधित कार्य (मार्शल द्वीप बनाम भारत 2016 को समाप्त)
FAQs -Antrashtriy nyayalay kahan sthit hai
सवाल : अंन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना कब हुई?
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 26 जून 1945 में हुई
सवाल : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय कहां है?
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है
सवाल : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल कितने न्यायाधीश हैं?
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 न्यायाधीश हैं
सवाल : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में वर्तमान भारतीय न्यायाधीश कौन हैं?
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के वर्तमान न्यायधीश दलवीर भंडारी हैं
सवाल : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में कितने सदस्य देश हैं?
आईसीजी में कुल 193 सदस्य देश हैं
Conclusion
आज के इस लेख में हमने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कहां स्थित है के बारे में वह सभी जानकारियां एकत्रित की जिन्हे जानना आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।
इसके अलवा यदि आप को भारतीय इतिहास संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करनी है तो आप Nolejtak के भारतीय इतिहास श्रेणी में पब्लिश किये लेख को हिंदी भाषा में विस्तार में पढ़ सकते है
आपको हमारा Antarrashtriya nyayalay kahan sthit hai लेख कैसे लगा यह निचे कमेंट में जरूर बताये
इसके अलवा यदि लेख संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव होंगे तो, कमेंट बॉक्स में जरूर टाइप करें ताकि आगे आने वाले समय में हम इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेख हम आपके लिए लाते रहे। धन्यवाद