रामायण के रचयिता कौन है | Ramayan ke Rachyita kaun hai

Ramayan ke Rachyita kaun hai : आज की इस पोस्ट में हम रामायण के बारे में बात करेंगे। रामायण का नाम तो आप सभी ने सुना होगा। हिंदुऔ में तो रामायण बहुचर्चित है।

फिर भी अगर आपने रामायण के बारे में नही सुना तो हम बता देते है। कि रामायण क्या है, इसमें किसका उल्लेख है, इसको किसने लिखा है, कब लिखा है, इसके रचयिता कौन है आदि जानकारी हम आज की अपनी इस लेख में आप के साथ सांझा करेंगे।

पहले की बात करे तो पहले के लोग रामायण से भली भाति परिचित होंगे। पर आज की युवा पीढी इस बात से  अंजान है कि रामायण क्या है। और इसके रचयिता कौन है।

इसमें किसकी कथा है। आप सब को परेशान होने की आवश्यकता नही है क्योकि इस पोस्ट में हम आपको रामायण से संबंधित सारी जानकारी देंगे वो भी संक्षिप्त में।

रामायण हिंदुओं की एक धार्मिक कथा है, जिसमें रघुवंश के राजा की गाथा है। रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के प्रभावशाली चरित्र पर आधारित है।

इस पावन ग्रंथ रामायण में प्रेम, त्याग, तप और यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है। यह आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जिसे संस्कृत में लिखा गया है।

 

रामायण के रचयिता कौन है | Ramayan ke Rachyita kaun hai
रामायण के रचयिता कौन है

 

रामायण के रचयिता कौन है | रामायण के लेखक कौन है

इस धार्मिक ग्रंथ को आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया है। इसी कारण वाल्मीकि को रामायण का रचयिता कहा जाता है। रामायण के नाम से ही वाल्मीकि को जाना जाता है। और रामायण के संदर्भ कहा जाता है कि वाल्मीकि ने रामायण की रचना 31वी सदी ईसा पूर्व में की थी।

वाल्मीकि ने रामायण मे रघुवंश के राजा राम के जीवन का वर्णन किया है। जिसमें छः अध्याय हैं, जो कि काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। और  इसमे 24,000 श्लोक हैं। रामायण सम्पूर्ण संस्कृत में लिखा गया महाकाव्य है।

 

रामायण के राम कौन थे 

राम विष्णु भगवान के 21 वें अवतार है। त्रेता युग में राक्षस रावण का आतंक था। जिससे देवता भी डरते थे। राक्षसों के प्रकोप से देवताओं को बचाने और राक्षसों का अंत करने के लिए विष्णु भगवान ने धरती पर मनुष्य के रुप में जन्म लिया।

और अयोध्या के राजा दशरथ के यहां कौशल्या के पुत्र के रुप में जन्म लिया। जब राम बड़े हुए तो पिता की अनुमति से वे वनवास चले गए। वन में राम की पत्नी सीता को रावण ले गया।

राम सीता की खोज में लंका पहंचे। वहां राम ने रावन का वध कर दिया और सीता को ले आए। इस प्रकार विष्णु भगवान ने रावन का वध कर के देवताओं को भय मुक्त किया।

इतना ही नही विष्णु भगवान ने राम अवतार में कई राक्षसों का वध किया तथा मर्यादा का पालन करते हुएं अपना जीवन व्यतीत किया। इसी कथा का वर्णन वाल्मीकि ने रामायण में किया है।

21वें अवतार से पहले और बाद में विष्णु भगवान ने धरती पर मनुष्य के रुप में और भी अवतार लिए और सृष्टि को असुरों से भय मुक्त किया। भगवान विष्णु के 24 अवतारों के नाम निम्न लिखित है-

 

श्री सनकादि मुनि ,   भगवान धन्वन्तरि, 
वराह अवतार,  मोहिनी अवतार, 
नारद अवतार,  भगवान नृसिंह, 
नर-नारायण,  वामन अवतार, 
कपिल मुनि,  हयग्रीव अवतार 
दत्तात्रेय अवतार,  श्रीहरि अवतार, 
यज्ञ,  परशुराम अवतार, 
भगवान ऋषभदेव,    महर्षि वेदव्यास, 
आदिराज पृथु,  हंस अवतार, 
मत्स्य अवतार ,  श्रीराम अवतार, 
कूर्म अवतार,  श्रीकृष्ण अवतार, 
श्री सनकादि मुनि ,   बुद्ध अवतार, 

 

रामायण कथा क्या है | Ramayan katha kya hai 

रामायण कथा के लेखक वाल्मीकि है। यह एक महाकाव्य है। जिसमें भगवान विष्णु के अवतार राम हैं। और इस कथा के माध्यम से विष्णु भगवान के अवतार को श्रीराम और श्रीरामचन्द्र के नामों से भी जाना जाता है।

राम के जन्म के उपरांत ही हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम जयंती या राम नवमी का पर्व मनाया जाता है।

रामायण में वर्णन के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा और चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्र प्राप्ती के लिए यज्ञ कराया था। जिसके बाद उनके पुत्रों का जन्म हुआ।

जिनके नाम थे राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन। राम का जन्म देवी कौशल्या के गर्भ से हुआ था। राम चारों भाइयों में सबसे बड़े थे।

राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी कोई भी दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन दिया था। कैकेयी ने दासी मंथरा के बहकावे में आकर इन वचन का दुरुपयोग किया और राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा।

पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी खुशी चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। तथा पत्नी सहित ने वनवास के लिए निकल गए। राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में ही बिताए।

भरत भी माता का आदेश ठुकराकर बड़े भाई राम के पास वन पहुंच गए। और उनकी चरणपादुका ले आए। नाम की चरणपादुका को भरत ने राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया।

उधर वन में रावन ने अपनी माया से राम की पत्नी सीता का हरण कर लिया और उसे अपने साथ लंका ले गया। सिता की खोज करते हुए राम को जंगल में हनुमान के रुप में मित्र और भक्त मिला।

जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराए। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर सैना की सहायता से सीता को ढूंढा।

और समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंच गए तथा रावण के साथ युद्ध किया। युद्ध में रावण को मारकर सीता जी को वापस ले कर आए। और राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य राम ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया। इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं।

राम के दो पुत्र हुए कुश और लव। जिन्होने राज्यों को संभाला। हिंदुऔ के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, आदि राम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं।

भगवान श्री राम को भारत में ही नही कई और देशों में पुजा जाता है जैसे थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया आदि। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है।

श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए और वचन को पूरा करने के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक कि पत्नी को भी छोड़ दिया था। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा थी – रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर वचन न जाई।

 

वाल्मीकि कौन थे | Valmiki kon the 

वाल्मीकि का जीवन साधारण नही था। उनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। वाल्मीकि ने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर सत्य का मार्ग अपना लिया। और रामायण लिखी, जिसके बाद वे महान कवि बन गए।

वाल्मीकि का जन्म आश्विन पूर्णिमा को हुआ था। महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था। जो एक डाकू थे। जंगल में रहने वाली भील जाति में इनका पालन हुआ था, जिस कारण उन्होंने भीलों की परंपरा को अपनाया।

और आजीविका के लिए ये डाकू बन गए। अपने परिवार का पेट भरने के लिए ये राहगीरों को लुटते थे, और कभी कभी जरुरत होने पर लोगो को मार भी देते थे। इस तरह वो धीरे धीरे उपने पाप का घड़ा भर रहे थे।

एक दिन नारद मुनि उनके जंगल से निकल रहे थे। रत्नाकर ने नारद मुनि को भी बंधी बना लिया। नारद मुनि ने रत्नाकर से पूछा की तुम मुझे बंधी क्यूँ बना रहे हो। तक रत्नाकर ने कहा कि, मैं अपने परिवार के जीवनव्यापन के लिए ये सब करता हूँ। नारद मुनि रत्नाकर से दौबारा पूछा की जिस परिवार के लिए तुम ये पाप कर रहे हो, क्या वह परिवार तुम्हारे पापो के फल का भी वहन करेगा? इस पर रत्नाकर ने जोश में आकर हाँ बोल दिया।

नारद मुनि के कहने पर रत्नाकर ने इस बारे में अपने परिवार से पूँछा तो किसी ने भी इस बात की हामी नहीं भरी। इस बात का रत्नाकर पर गहरा आधात पहुँचा। और उन्होंने दुराचारी का मार्ग छोड़ कर तप का मार्ग चुन लिया। मुनि बनकर वाल्मीकि राम नाम का जाप करने लगे। तभी ब्रह्मा जी ने वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा दी।

वाल्मीकि जी ने सबसे पहले श्लोक की रचना नदी किनारे की थी। वाल्मीकि एक बार तपस्या के लिए गंगा नदी के तट पर गए थे। जहां पास में ही क्रौंच पक्षी का जोड़ा प्रेम क्रीड़ा कर रहा था। उसी वक्त एक शिकारी वहा आकर तीर से नर पक्षी की हत्या कर दी। उस दृश्य को देख कर वाल्मीकि का ह्रदय द्रवित हो उठा और उनके तभी मुख से रामायण का पहला श्लोक निकल पड़ा जो इस प्रकार था –

मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्

जिसका हिंदी में तात्पर्य है- जिस दुष्ट ने भी यह घृणित कार्य किया, उसे जीवन में कभी सुख नहीं मिलेगा। उस दुष्ट ने प्रेम में लिप्त पक्षी का वध किया हैं। इसके बाद महाकवि ने रामायण की रचना की।

 

वाल्मीकि जयंती का महत्व | Valmiki jayanti ka Mahatv 

वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था। हिन्दू धर्म कैलेंडर में इसी दिन को वाल्मीकि जयंती कहा जाता हैं। तथा हर वर्ष 31 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती के रुप में मनाया जाता है। खासतौर पर उत्तर भारत में इसका महत्व अधिक हैं।

वाल्मीकि जयंती पर कई प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। शोभा यात्रा निकाली जाती है। मिष्ठान, फल, पकवान आदि बांटे जाते है। इन दिन जगह जगह भंडारे भी किए जाते हैं।

वाल्मीकि महान कवि थे। जो कि बुराई को छोड कर सच के मार्ग पर चले थे। इनके जीवन का ज्ञान सभी को दिया जाता हैं, ताकि उससे प्रेरणा लेकर मनुष्य बुरे कर्म छोड़ सत्कर्म में मन लगाये।

वाल्मीकि जयंती का महत्व हिन्दू धर्म में अधिक माना जाता हैं, वाल्मीकि आदि कवि थे। उन्होने हिंदुऔ कि धार्मिक कथा रामायण को लिखा था। जो कि संस्कृत में लिखी गई थी। इतना ही नही उन्हे श्लोक का जन्मदाता भी माना जाता है।  इन्होने ही संस्कृत के प्रथम श्लोक को लिखा था। आदि कवि वाल्मीकि की जयंती को प्रकट दिवस के रूप में भी जाना जाता हैं।

 

रामायण की अनकही बाते 

रामायण में हनुमान का एक बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने भगवान राम को सुरक्षित रखने के लिए अपने आप को सिंदूर से ढंक लिया था। यही कारण है कि उन्हें बजरंग बली कहा गया।

महर्षि वाल्मीकि की रामायण के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुंचे।  तब विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिव धनुष दिखाने के लिए कहा।

और भगवान श्रीराम ने जब धनुष को उठाकर उसपर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। राजा जनक ने अपने प्रण के अनुसार अपनी पुत्री सीता का विवाह राम से कर दिया।

ऐसा कहा जाता है कि, 14 सालों के वनवास में राम के भाई लक्ष्मण एक भी रात नहीं सोए और ना ही उन्होंने अपनी पलकें झपकाईं। ऐसा उन्होंने राम और सीता की रक्षा करने के लिेए किया था।

लक्ष्मण की जगह पर उनकी पत्नी उर्मिला ने 14 सालों तक रातों की नींद पूरी की। ऐसा करके उन्होंने अपनी और लक्ष्मण दोनों की नींद पूरी की।

राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, इसलिए उन्हेने राम को रोकने के लिए एक उपाय सूझाया और उन्होंने श्रीराम ये कहा कि – हे राम तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ।

रावण को मिले श्राप की वजह से बंदरों ने लंका में आग लगाई थी। दरअसल नंदी बैल ने ही रावण को श्राप दिया था कि, उसका विनाश बंदरों के हाथों होगा।

और अंत में वही हुआ। वानर सेना की मदद से राम ने रावण का वध किया था। और हनुमान ने अपनी पूंछ के बल पर रावण की पूरी लंका दहन कर दी थी।

धन के देवता कुबेर रावण के भाई थे। और कुबेर ने अपने लिए लंका का निर्माण किया था, लेकिन रावण ने अपनी ही भाई कुबेर के लंका से बाहर निकाल दिया था।

शूर्पणखा ने भी रावण का सर्वनाश होने का शाप दिया था। दरअसल शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। और रावण के विश्वयुद्ध के दौरान रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को शाप दिया कि, मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा। और प्रभु राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा के नाक-कान काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने सीता का हरण किया था।

भगवान राम को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। और लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार कहा जाता है। उनका फन भगवान विष्णु के सिर के ऊपर हमेशा विद्ममान रहता है।

दशरथ के चारों पुत्रों के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन ये किसी को मालूम नही होगा कि, राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम शांता था। शांता चारों भाईयों से बड़ी थीं।

और उनकी माता कौशल्या थीं। शांता के बारे में कहा जाता है कि, एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी अयोध्या आए। उनको कोई संतान नहीं थी। तो राजा दशरथ ने अपनी बेटी शांता को संतान के रूप में उन्हे दे किया।

 

FAQ’s Ramayan ke Rachyita kaun hai

सवाल : रामायण की रचना कब और किसने की ?
जवाब : तुलसी रामायण का नाम रामचरित मानस है और इसकी रचना सोलहवीं शताब्दी के अंत में गोस्वामी तुलसीदास ने अवधि बोली में की. जबकि वाल्मीकि रामायण कोई तीन हज़ार साल पहले संस्कृत में लिखी गई थी.

सवाल : रामायण में कुल कितने कांड हैं ?
जवाब : रामायण महाकाव्य में कुल 24,000 श्लोक, 500 उपखंड तथा 7 काण्ड (अध्याय) है। इन सात काण्डो के नाम – बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युदध्काण्ड) तथा उत्तरकाण्ड है।

सवाल : रामायण की रचना कब हुआ ?
जवाब : गीताप्रेस गोरखपुर के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और उन्होंने इसे संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम विवाह के दिन पूर्ण किया था

सवाल : वाल्मीकि रामायण कब लिखी थी ?
जवाब : कुछ भारतीय कहते हैं कि यह ६०० ईपू से पहले लिखा गया। उसके पीछे युक्ति यह है कि महाभारत जो इसके पश्चात आया बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि उसमें जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन है। अतः रामायण गौतम बुद्ध के काल के पूर्व का होना चाहिये

सवाल : रामायण कैसे लिखी होती है ?
जवाब : रामायण के बारे में एक मत और प्रचलित है और वो यह है कि सबसे पहले रामायण हनुमानजी ने लिखी थी, फिर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत महाकाव्य ‘रामायण’ की रचना की

सवाल : वाल्मीकि जी का जन्म कितने वर्ष पूर्व हुआ ?
जवाब : जन्म सर्ग 18वें श्लोक 18-8-10 में महर्षि वाल्मीक जी ने उल्लेख किया है कि श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत महूर्त में हुआ। अचंभे की बात ये है कि आधुनिक युग में कंप्यूटर द्वारा गणना करने पर यह 21 फरवरी, 5115 ईस्वी पूर्व निकलता है