Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai : आज भारत रेशम उत्पादन के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में आता है क्योंकि भारत के पश्चिम बंगाल तथा कुछ अन्य तटीय राज्यों में इस रेशम का उत्पादन बहुतायत में किया जाता है
यदि संपूर्ण विश्व की बात की जाए तो रेशम उत्पादन में सबसे पहला स्थान बांग्लादेश का माना जाता है और इसके साथ ही बांग्लादेश जूट उत्पादन में भी प्रथम स्थान पर रहता है
रेशम उत्पादन की संपूर्ण प्रक्रिया एक जीव पर निर्भर करती हैं जिसका नाम है रेशम कीट क्योंकि इसी कीट से रेशम का निर्माण किया जाता है, जिस कारण से इस कीट को रेशम कीट भी कहा जाता है
यह रेशम विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जाता है जैसे कि साड़ी निर्माण में तथा विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में एवं आकर्षक कलाकृतियों के निर्माण में
इस रेशम के धागे को सबसे अधिक मजबूत धागे के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह हमे प्राकृतिक रूप से प्राप्त होता है
जब रेशम कीट का लारवा छोटा होता है तो उसी समय से वह इस का उत्पादन करना शुरू कर देता है और अपने जीवन के अंतिम समय तक वह हमें रेशम या यूं कहे तो कच्चा रेशम प्रदान कराता है
तो आज के इस लेख में हम रेशम के उत्पादन और रेशम कीट से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी को प्राप्त करने वाले हैं एवं इसके साथ ही हमारे आज के इस लेख का मुख्य विषय रहेगा Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai
जिसके द्वारा हम यह भी जानेंगे कि जो रेशम हमें प्राप्त होता है उसके पीछे कितनी बड़ी कहानी छुपी हुई है

Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai
रेशम उत्पादन को मुख्यतः सेरीकल्चर के नाम से जाना जाता है और इसे कल्चर नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह अब हमारी आमदनी और हमारी जीवनी का एक अहम अंग बन चुका है
उदाहरण के तौर पर एग्रीकल्चर एक प्रकार का कल्चर ही माना जाता है क्योंकि यह बहुत से लोगों की आमदनी और उनके जीवन गुजारने का साधन बना हुआ है
यह सेरीकल्चर शब्द सबसे पहले ब्रिटिशर्स द्वारा दिया गया था एवं यह शब्द अंग्रेजी भाषा का ही है
इस रेशम उत्पादन की प्रक्रिया अर्थात की सेरीकल्चर में रेशम कीट के लारवा या कैटरपिलर को बहुत बड़ा किया जाता है और इससे बहुत अधिक मात्रा में कच्चे रेशम का उत्पादन कराया जाता है और इस रेशम कीट को बॉम्बैक्स मोरी के नाम से भी जाना जाता है

सेरीकल्चर की प्रक्रिया कुछ समय पहले तक प्राथमिक क्रियाओं में सम्मिलित थी और यह प्राथमिक क्षेत्र का एक व्यवसाय माना जाता था परंतु आज वर्तमान समय में यह एक उद्योग की शक्ल ले चुका है और अर्थव्यवस्था में यह तृतीय क्षेत्र का उद्योग माना जाता है
रेशम के भी विभिन्न प्रकार होते हैं परंतु उनमें से एक रेशम का प्रकार है मूंगा जो कि भारत में सर्वाधिक उत्पादन किए जाने वाला रेशम है
हाल के वर्षों में सेरीकल्चर के मामले में चाइना भी भारत की बराबरी कर चुका है और यह आज भारत से भी आगे निकल चुका है
रेशम उत्पादन करने की संपूर्ण प्रक्रिया
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि क्योंकि रेशम का उत्पादन रेशम कीट से होता है तो यह एक जीव आधारित उद्योग हैं परंतु कुछ विशेषज्ञ इस बात को बिल्कुल भी नहीं मानते और इसे ना मानने का तर्क देते हुए वे कहते हैं
कि इसमें कुछ रेशम कीट को बिल्कुल भी हानि नहीं पहुंचाई जाती है क्योंकि जो भी कच्चा रेशम उसके द्वारा बाहर निकाला जाता है, वह उसका वेस्ट मटेरियल ऑफ द बॉडी होता है जिसके कारण उसे भी राहत प्रदान होती है और यह उसके शरीर के वजन को भी काफी कम और हल्का बना देता है
एक रेशम कीट पालन से लेकर पूर्ण रेशम का रेशा बनने तक की संपूर्ण प्रक्रिया निम्नलिखित हैं :
- रेशम उत्पादन के लिए सर्वप्रथम एक रेशम कीट का पालन किया जाता है जिनकी संख्या उस व्यक्ति पर निर्भर करती हैं जो कि इनका पालन कर रहा है
- इन रेशम कीटो द्वारा एक प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा बाहर निकाला जाता है जिसे की कच्चे रेशम के नाम से जाना जाता है
- यह कच्चा रेशम मुख्यता एक प्राकृतिक प्रोटीन से बना होता है जिसमें कि फेब्रोइन नामक एक पर्दाथ होता है जो कि इसे मजबूती प्रदान करता है और इसे लंबे समय तक अपनी वास्तविक स्थिति में बनाए रखता है
- सबसे उच्च कोटि का रेशम शहतूत के पत्तों पर पाले जाने वाले रेशम कीटो द्वारा प्राप्त किया जाता है
- रेशम के कुछ प्रकार ऐसे होते हैं जिनसे की साड़ियां और अनेक प्रकार के वस्त्रों का निर्माण किया जाता है तो वहीं कुछ रेशम के प्रकार ऐसे होते हैं जिन्हें व्यवसायिक उद्योगों में काम लिया जाता है भारत में रेशम से बनी बनारसी साड़ी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है
- कच्चे रेशम को पूर्ण रूप से काम में लेने के लिए इससे सुता जाता है और इसे विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा प्यूरिफाई भी किया जाता है
- शहतूत के पत्तों पर पाले जाने वाले रेशम कीट पत्तों को बहुत अधिक मात्रा में खाते हैं जिससे कि यह छोटे-छोटे धागों के रूप में उन रेशम कीटो के कोस में स्थापित हो जाते हैं और इन्हें कोया कहा जाता है
- इसी कोया द्वारा यह रेशम कीट एक तंतु बाहर निकालते हैं जिसे की कच्चा रेशम कहा जाता है और यह रेशम कीट इसे धीरे-धीरे बाहर की ओर निकालते हैं
- कुछ रेशम कीट पालने वाले लोग स्पीड से कच्चा रेशम प्राप्त करने के लिए जब रेशम कीटो द्वारा एक छोटा सा रेशम का तंतु बाहर निकाला जाता है तो वह इन कीड़ों को गर्म पानी में डालकर मार डालते हैं और फिर उनसे संपूर्ण रेशम के तंतुओं को बाहर निकाल लेते हैं
इस तरह से एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात हमें शुद्ध रूप से उपयोग में लिया जाने वाला रेशम का रेशा प्राप्त होता है
भारत में सेरीकल्चर की स्थिति
उपरोक्त विशेषताओं के आधार पर अब आप यह तो जान गए होंगे कि Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai परंतु आज भारत में किस प्रकार से रेशम उत्पादन किया जाता है इसकी स्थिति क्या है इसे जानना भी हमारे लिए बेहद जरूरी है
यदि आपने इतिहास का थोड़ा बहुत भी अध्ययन किया है तो आपने सिल्क मार्क का नाम जरूर सुना होगा जो कि चाइना के रास्ते और भारत के रास्ते यूरोप तक जाता था
पिछले कुछ वर्षों में रेशम उत्पादन में भारत ने रूस और जापान को भी पछाड़ दिया है जो कभी संपूर्ण विश्व के प्रमुख रेशम उत्पादक देश हुआ करते थे और माना जाता था कि रूस में सबसे अच्छी किस्म का रेशम पाया जाता था
हालांकि चीन रेशम उत्पादन में प्रथम स्थान पर है परंतु वही कच्चे रेशम उत्पादन की बात की जाए तो भारत चाइना से आगे हैं क्योंकि भारत में पांच प्रकार की रेशम की किस्मों का उत्पादन किया जाता है जो कि निम्नलिखित हैं :
- मूंगा सिल्क
- एरी सिल्क
- ओक टसर सिल्क
- मूलबेरी सिल्क
- टसर सिल्क
इन पांचों रेशम की किस्मों में से भारत सबसे ज्यादा प्रथम स्थान पर आने वाले मूंगा सिल्क का उत्पादन करता है
भारत में एक अन्य प्रकार की रेशम की प्रजाति को भी बनाया जा रहा है जो कि पर्यावरण अनुकूल हरित रेशम के नाम से जानी जाएगी और इसे मुख्यतः भारत के वनों में उत्पादित किया जाएगा
पिछले 10 वर्षों में रेशम उत्पादन के मामले में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत तक बढ़ी है
भारत द्वारा मूंगा सिल्क और एरी सिल्क को वैश्विक बाजारों में भी बेचा जाता है और कई अन्य देशों को निर्यात भी किया जाता है
यह सेरीकल्चर उद्योग आज फैशन इंडस्ट्री के लिए भी एक वरदान के रूप में से दौरा है क्योंकि इसके रेशे के द्वारा विभिन्न प्रकार की ड्रेसेस का निर्माण किया जाता है
सेरीकल्चर उद्योग की विशेषताएं
जैसा कि हम जानते हैं कि प्रारंभिक स्तर पर इस प्रकार के छोटे उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को एक वित्तीय मंच प्रदान कराते हैं और उनकी वित्तीय स्थिति को सुधारने का कार्य करते हैं
आमतौर पर इस प्रकार के छोटे व्यवसाय करने के लिए किसानों और ग्रामीण लोगों को किसी विशेष स्किल की जरूरत भी नहीं होती है क्योंकि वे इस प्रकार की गतिविधियों से चित परिचित होते हैं
तो इस प्रकार से सेरीकल्चर उद्योग की विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
- इस कुटीर उद्योग को शुरू करने के लिए किसी विशेष Skill की जरूरत नहीं होती हैं और मात्र कुछ संसाधनों के साथ ही इस उद्योग को शुरू किया जा सकता है
- यह एक कृषि आधारित उद्योग माना जाता है और ऐसा होने के कारण यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका को अदा कर सकता है
- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे बेहद ही कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरू किया जा सकता है और इससे यह ग्रामीण क्षेत्र के लोग मैक्सिमम आउटपुट भी प्राप्त कर सकते हैं जिससे कि ना केवल इनकी आय में वृद्धि होगी बल्कि ग्रामीण विकास में भी इनकी भागीदारी काफी हद तक बढ़ेगी
- यह सेरीकल्चरल उद्योग बहुत ज्यादा समय की मांग भी नहीं करता है क्योंकि इसमें संपूर्ण काम रेशम कीट करते हैं जिस समय भी पहला रेशम का तंतु उन कीड़ों द्वारा छोड़ा जाता है तो उसी समय इसका मुख्य कार्य प्रारंभ होता है
- यह महिला सशक्तिकरण के लिए भी सरकार का एक हथियार बन सकता है क्योंकि ग्रामीण महिलाओं के पास शहरी महिलाओं की भांति विभिन्न प्रकार के कार्य नहीं होते हैं और यदि इस प्रकार के छोटे उद्योगों मैं ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बढ़ा दी जाए तो वह भी आर्थिक रूप से सशक्त हो सकती हैं
रेशम के विभिन्न प्रकार – Types of Silk
आज दुनिया भर में रेशम के कई प्रकार पाए जाते हैं जिनमें से कुछ भारत में तो कुछ अन्य देशों में भी पाए जाते हैं
मुख्य रूप से रेशम के प्रकार निम्नलिखित हैं :
- शहतूत रेशम
यह संपूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला रेशम है और लगभग पूरी विश्व की 90 फ़ीसदी आबादी इसी रेशम का उपयोग करती हैं
इस रेशम का उत्पादन मुख्यतः चीन, जापान और दक्षिणी कोरिया में किया जाता है
- तसर सिल्क
यह एक प्रकार का जंगली रेशम है जोकि अन्य रेशम की गुणवत्ता के मुकाबले थोड़ा कमजोर है
इस प्रकार के रेशम का उपयोग मुख्यतः फर्निशिंग और इंटीरियर डिजाइन के लिए किया जाता है
- एरी सिल्क
यह एकमात्र रेशम का ऐसा प्रकार है जो कि प्योर सफेद रंग में पाया जाता है इस कारण से इसे मलाईदार रेशम भी कहा जाता है और इसे अरेडी के नाम से भी जाना जाता है
यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला रेशम भी कहलाता है और यह अन्य रेशम के प्रकारों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ भी होता है
- मूंगा रेशम
यह रेशम का प्रकार सबसे ज्यादा भारत में उत्पादित किया जाता है और यह सुनहरे पीले रंग का होता है
इस रेशम का बड़ा पैमाना होता है यानी कि इसका उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है परंतु इतनी ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने के बाद में भी यह पर्यावरण अनुकूल है
इसका उपयोग बुलेट प्रूफ जैकेट वेस्ट बनाने और ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि यह बहुत ज्यादा मजबूती प्रदान करने वाला होता है
FAQs : Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai
सवाल : Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai
रेशम उत्पादन को सेरीकल्चर के नाम से जाना जाता है
सवाल : रेशम के किस प्रकार का सर्वाधिक उत्पादन भारत में होता है?
मूंगा रेशम का सर्वाधिक उत्पादन भारत में किया जाता है
सवाल : रेशम उत्पादन करने वाले कीड़े को क्या कहा जाता है?
रेशम का उत्पादन करने वाले कीड़े को बोंबिक्स मोरी कहा जाता है
सवाल : संपूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा रेशम का उत्पादन किस देश द्वारा किया जाता है?
संपूर्ण विश्व में चाइना द्वारा सर्वाधिक रेशम उत्पादन किया जाता है
सवाल : रेशम उत्पादन किस प्रकार का उद्योग है?
यह एक जीव आधारित उद्योग हैं
Conclusion
तो पाठक को हम आशा करते हैं कि आपको आज का हमारा यह लेख Resham Utpadan Ko Kis Naam Se Jana Jata Hai बहुत ज्यादा पसंद आया होगा और इस लेख को पढ़कर आपको रेशम उत्पादन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी
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इस लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद