भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ : भारत का संविधान जो कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक संविधान के रूप में जाना जाता है

भारत की आजादी के बाद घटी सबसे बड़ी घटना मैं भी शामिल हैं क्योंकि आजादी के पश्चात भारत को चलाने के लिए एक ऐसे दस्तावेज की आवश्यकता थी जो कि संपूर्ण भारत पर लागू हो और इसी दस्तावेज के मुताबिक पूरे भारत को चलाया जा सके

इसी चीज को ध्यान में रखते हुए दिसंबर 1946 में संविधान निर्माण की प्रक्रिया को शुरू किया गया जो कि 26 नवंबर 1949 को पूरी हो गई

परंतु कई लोगों के मन में यह प्रश्न है कि जब 26 नवंबर 1949 को ही संविधान निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो गई थी तो इसे 26 जनवरी 1950 के दिन ही क्यों लागू किया गया तो इसके पीछे भी एक बहुत बड़ी वजह रही थी जिसके बारे में आज के इस लेख में हम आपके साथ बहुत सारी जानकारियों को साझा करने वाले हैं

जैसे कि भारतीय संविधान कब लागू हुआ, भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ, भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को क्यों नहीं लागू हुआ इत्यादि साथ आज के इस लेख का हमारा मुख्य विषय रहेगा भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ

इसके अलावा संविधान बनाने वाली हमारे भारत की संविधान सभा में भी इस बात पर जमकर बहस हुई थी कि जब संविधान 26 नवंबर को बनकर तैयार हो चुका है तो इसे लागू करने के लिए 2 महीने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है

संविधान सभा के एक सदस्य जयप्रकाश नारायण ने इस बात का पुरजोर समर्थन किया कि जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ है तो क्यों ना भारत के संविधान को भी 15 अगस्त 1950 को लागू किया जाए

ना कि 26 जनवरी 1950 को क्योंकि भारत के संविधान का सीधा सा अर्थ यह लगाया जाता है कि अब भारत को आजादी मिल गई हैं और वह अब अपने दस्तावेज के मुताबिक ही अपने देश को चलाएगा

पर इन सब बातों का उत्तर भारत के पहले प्रधानमंत्री और संविधान सभा के प्रमुख सदस्य पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा दिया गया और उनके द्वारा यह भी बताया गया कि भारत द्वारा 26 जनवरी 1950 को ही संविधान क्यों लागू किया जा रहा है

 

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ
bhartiya samvidhan 26 january 1950 ko hi kyon lagu hua

 

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ इस बात को समझने के लिए हमें 1950 से लगभग 20 वर्ष पूर्व 26 जनवरी 1950 के दिन में जाना होगा क्योंकि इसी दिन से इस बात को समझा जा सकता है

जब से 1885 में कांग्रेस की स्थापना हुई थी उस समय से लेकर हर साल कांग्रेस अपना वार्षिक अधिवेशन एक जगह पर निर्धारित करती थी और इसी क्रम में 31 दिसंबर 1929 को भी कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में रावी नदी के तट पर रखा गया था

जो कि कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन भी कहलाता है और इसी लाहौर अधिवेशन में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अंग्रेजों से पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई थी

पूर्ण स्वराज का सीधा सा अर्थ पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा यह बताया गया कि भारत को एक डोमिनियन स्टेट का दर्जा ना प्रदान किया जाए क्योंकि ऐसा करने से भारत पूर्ण स्वराज यानी की पूर्ण आजादी में नहीं रहेगा

साथ ही भारत के कुछ क्षेत्रों में आजादी के बाद भी अंग्रेजों यानी ब्रिटिशर्स का अधिकार रहेगा तो इसी बात का विरोध करते हुए उन्होंने 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज्य दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की और अंग्रेजों के इस फैसले की कड़ी निंदा की कि भारत को एक डोमिनियन स्टेट बनाया जाएगा जैसा कि अंग्रेज उस समय के अपने अन्य उपनिवेश के साथ कर रहे थे

इस संपूर्ण घटना को भारत में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहीं से भारत की आजादी का संघर्ष बहुत तेज हुआ था और आगे चलकर इसी 26 जनवरी की तिथि को भारत के संविधान लागू करने की तिथि के रूप में घोषित किया गया और यही कारण था कि 26 नवंबर 1949 को संविधान बन जाने के बावजूद भी 26 जनवरी 1950 को इस भारतीय संविधान को लागू किया गया था

 

किसने कहा था कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हो

भारत की संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा 26 जनवरी 1950 से लगभग 2 दिन पहले 24 जनवरी 1950 को 308 सदस्यों के द्वारा हस्ताक्षरित संविधान को संविधान सभा के समक्ष रखा गया था और इनमें से कुछ सदस्यों का यह मानना था कि संविधान 24 जनवरी 1950 को ही लागू कर दिया जाए

पर 26 जनवरी 1930 की ऐतिहासिक तिथि को ध्यान में रखते हुए भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा इस बात की अनुशंसा की गई कि सभी संविधान सभा के सदस्यों को इस तिथि की महत्वता को समझते हुए

भारतीय संविधान को लागू करने के लिए मात्र 2 दिनों का और इंतजार करना चाहिए और निर्धारित तिथि यानी कि 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय गणतंत्र के संविधान को लागू किया जाना चाहिए

इस प्रकार भारत का संविधान अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा और लागू भी किया गया

 

भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को क्यों नहीं लागू हुआ?

यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया था परंतु इसे लागू करने के लिए 2 महीने का समय अतिरिक्त लिया गया जो कि 26 जनवरी 1950 का था

जब संविधान सभा के सदस्यों द्वारा इस बात के लिए कहा गया कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1950 को जब बन ही गया है तो क्यों ना इसे हाथों-हाथ ही लागू कर दिया जाए और भारत को इसी संविधान के अनुसार चलाया जाए

पर पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के कहने पर इसकी तिथि को 2 महीने आगे बढ़ाया गया

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इसी बात का उदाहरण दिया गया कि कांग्रेस के द्वारा ही 26 नवंबर 1930 को पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई थी और इसी तिथि को याद करने के लिए हम ऐसा कर रहे हैं

 

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया तो इस दिन गणतंत्र दिवस क्यों

संविधान के लागू होने का अर्थ था कि अब भारत में ब्रिटिश वर्ष यानी कि अंग्रेजों की राजतंत्र आत्मक शासन व्यवस्था खत्म हो गई है और आज के बाद भारत की जनता ही यह तय करेगी कि भारत का शासन किसके हाथों में जाएगा और कौन जनता के भविष्य को तय करेगा

गणतंत्र का सीधा सा अर्थ है जनता का शासन, जनता के लिए शासन और जनता के द्वारा किया जाने वाला शासन और इस शब्द के द्वारा ही महामहिम जनता को माना गया है

26 जनवरी को जब भारत का संविधान लागू किया गया तो इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि अब भारत एक गणतंत्र आत्मक राष्ट्र होगा और इसीलिए इस दिवस को ऐतिहासिक बनाने के लिए इसे रिपब्लिक डे या गणतंत्र दिवस के रूप में आज भी मनाया जाता है

 

भारतीय संविधान कैसे बनाया गया?

भारत का संविधान बनाने का काम 389 सदस्यों वाली संविधान सभा ने किया और इन्हीं सदस्यों के द्वारा 1946 से लेकर 1950 तक यह काम किया गया

इतने सारे सदस्यों वाली संविधान सभा ने संविधान बनाने के काम को 26 नवंबर 1949 को पूरा कर लिया और वही 26 जनवरी 1950 को इसे विधिवत रूप से लागू किया गया

भारतीय संविधान पर सर्वाधिक प्रभाव 1935 के भारत शासन अधिनियम का दिखाई देता है और इसी को आधार बनाकर इसका निर्माण किया गया था और ऐसा देखा जाता है कि लगभग 250 तक अनुच्छेद भारतीय संविधान में भारत शासन अधिनियम 1935 से लिए गए हैं

416 पन्नों वाले इस भारतीय संविधान को बनाने का विचार बहुत समय पहले ही भारतीय द्वारा देख लिया गया था और इसी क्रम में 1935 में एमएम रॉय द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि भारत को चलाने के लिए एक सुंदर संविधान होना चाहिए जिससे कि लग सके कि भारत वास्तविकता में एक गणतंत्र आत्मक राष्ट्र हैं

भारत के संविधान को बनाने के बाद इस बात की भी समीक्षा की गई थी क्या इसे पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को लागू किया जाए या इसके कुछ अनुच्छेदों को ही 26 जनवरी 1950 को लागू करें

तो संविधान सभा के सदस्यों के मुताबिक उस समय तक केवल कुछ अनुच्छेदों को ही भारत में लागू किया गया था और साथ ही इस संविधान के लागू होते ही अंतरिम राष्ट्रपति और अंतरिम संसद का प्रावधान भी खत्म हो गया था क्योंकि भारत की आजादी से लेकर संविधान बनने तक भारत के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद काम कर रहे थे

तो वही संविधान सभा को भारत की अंतरिम संसद का दर्जा प्राप्त था यानी कि भारत की संविधान सभा व सभी काम कर सकती थी जो कि भारत की संसद आने वाले समय में करेगी

 

भारतीय संविधान लागू होने के बाद मिले जनता को अधिकार

भारत का संविधान लागू होने के बाद भारत की जनता को संविधान के द्वारा कुछ मौलिक अधिकार भी प्राप्त करवाए गए थे जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से लगाकर 35 तक विद्यमान हैं और साथ ही संपूर्ण भाग 3 इन्हीं मौलिक अधिकारों के बारे में चर्चा करता है

संविधान से प्राप्त मौलिक अधिकारों की संख्या पहले 7 हुआ करती थी परंतु कुछ समय पहले संपत्ति के अधिकार को एक विधिक अधिकार के रूप में मान्यता दे दी गई तो इसके कारण अब मौलिक अधिकारों की संख्या 6 ही रह गई हैं

इनमें कुछ प्रमुख अधिकार है जैसे कि व्यक्ति भारत में कहीं भी आ जा सकता है और भारत के किसी भी जगह पर व्यापार कर सकता है परंतु कुछ प्रतिबंधों को छोड़कर

वहीं प्रत्येक व्यक्ति को बोलने की स्वतंत्रता है और अपने आप को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता है परंतु कुछ प्रतिबंधों के साथ

इसी प्रकार भारत का कोई भी नागरिक अपनी सभा या संगठन बना सकता है, बिना किसी अस्त्र शस्त्रों के इकट्ठा होकर सम्मेलन कर सकता है और उसे किसी भी धर्म को मानने और अपनी धार्मिक शिक्षा लेने का भी अधिकार है

भारत के लोगों को या यूं कहें भारतीय नागरिकों को यह सभी अधिकार 26 जनवरी 1950 से ही प्राप्त हैं क्योंकि भारत जिस दिन गणतंत्र बना उस दिन इस बात की घोषणा हो गई थी कि भारत का भविष्य निर्धारण भारत की जनता द्वारा ही किया जाएगा और भारत को कौन चलाएगा यह निर्णय भी भारत की जनता ही लेगी

 

FAQs : भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ 

सवाल : भारतीय का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ?

26 जनवरी 1930 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जब पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा पूर्ण स्वराज की मांग की गई तो इसी ऐतिहासिक तिथि को इंगित करने के लिए भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया

सवाल : क्या भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही बना था?

ऐसा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान 26 जनवरी 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था परंतु 26 जनवरी की तिथि को ऐतिहासिक बनाने के लिए ऐसा किया गया

सवाल : भारत का संविधान कब बनाकार बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा संविधान सभा को सौंपा गया था?

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में संविधान को सौंपा गया था

सवाल :  संविधान सभा में किसने कहा था कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही लागू किया जाए?

संविधान सभा में यह अनुशंसा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा की गई थी

सवाल : भारत के संविधान को बनने में कितना समय लगा था?

संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था

सवाल : 26 नवंबर को किस दिन के रूप में मनाया जाता है?

26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था

सवाल : जब संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ तो इसे गणतंत्र दिवस के रूप में क्यों मनाया गया?

संविधान लागू करने का अर्थ था जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन और इसी बात को चरितार्थ करने के लिए ऐसा किया गया

सवाल : क्या भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को पूरे भारत में लागू हुआ था?

हाँ, भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को पूरे भारत के सभी क्षेत्रों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया था। यह तारीख उस दिन की प्रतीति है जब संविधान पूरे देश के लिए प्रभावी हुआ था

 

Conclusion

आज हम ने जाना भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ दोस्तों भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को ही क्यों लागू हुआ जो हमारे राष्ट्र के विकास और प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

इस दिन से हमारा देश एक संविधानिक गणराज्य बन गया, जिसने सामाजिक, न्यायिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से हमारे लोगों को सुरक्षा, स्वतंत्रता और समानता की गारंटी दी।

भारतीय संविधान का लागू होना विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारे देश की आजादी का अस्तित्व स्थापित हुआ और संविधान के माध्यम से हमने अपने लोगों को एक मजबूत संविधानिक प्रणाली प्रदान की।

इस संविधान ने हमें गारंटी दी कि हमारी सरकार सभी नागरिकों की रक्षा करेगी और उनकी सुरक्षा, स्वतंत्रता और अधिकारों का पूरा ध्यान रखेगी। यह हमें एक जुट होकर विकास करने का अवसर भी दिया, जिससे हमारे देश को विश्व में गर्व की अवस्था मिली।

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के प्रभावशाली लागू होने से हमारे देश को एक आधार मिला, जिसने हमारे लोगों को एक न्यायपूर्ण और समान देश का सपना दिया।

यह संविधान हमें दिखाता है कि हम एकता में शक्ति हैं और अपने मूल्यों और धार्मिकता में संपूर्णता के लिए खड़े हैं। इसलिए, भारतीय संविधान का लागू होना हमारे देश के लिए गर्व का विषय है