कहानी लिखने के नियम क्या है : आप सभी ने अपने बचपन में आपकी दादी नानी द्वारा बहुत सी कहानियां सुनी होंगी और उन्हें सुनकर आपको मजा भी आया होगा
पर क्या आप जानते हैं कि यह कहानियां किस प्रकार से रची जाती हैं और हमें इन्हें सुनकर और पढ़ कर क्यों मजा आता है
किसी भी कहानी को रोचक और मजेदार बनाने की पूर्ण जिम्मेदारी उस कहानी को लिखने वाले कहानीकार पर होती है, अगर वह उस कहानी को बढ़िया अच्छी भाषा में और उदाहरणों के साथ लिखता है तो इसे पढ़ने का मजा भी दोगुना हो जाता है
पर वहीं दूसरी ओर अगर कहानीकार एक अच्छा विषय होने के बावजूद भी अपनी कहानी को अच्छे ढंग से नहीं लिख पाता है तो अच्छे से अच्छे विषय की कहानी भी बहुत ही ज्यादा उबाऊ और नीरस हो जाती है
आमतौर पर देखा जाए तो कहानी हिंदी साहित्य की एक विधा है यानी कि हिंदी के गद्य भाग में लिखी जाने वाली एक विधा जिसमें कि कई सारे किरदार मिलकर एक ऐसे वातावरण का निर्माण कर देते हैं जो कि पाठकों को एक आनंद की अनुभूति प्रदान करती है
हिंदी साहित्य के कई प्रसिद्ध कहानीकार जैसे भारतेंदु हरिश्चंद्र और महादेवी वर्मा इत्यादि के द्वारा भी कहानी लिखते समय खास तौर पर इन्हीं बातों का ध्यान रखा गया था कि इन्हें पढ़ते समय पाठकों को बिल्कुल भी उबाऊपन और ना पढ़ने का मन नहीं होना चाहिए
तो आज के इस हमारे लेख में हम हिंदी साहित्य कि इसी प्रसिद्ध विधा कहानी के बारे में चर्चा करते हुए यह जानेंगे कि कहानी को किस प्रकार लिखा जाता है,
इसे लिखने के क्या-क्या कानून और कायदे है और साथ ही साथ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कहानीकार कौन कौन है
इसके अलावा आज के इस लेख का हमारा मुख्य विषय रहेगा कहानी लिखने के नियम क्या है यानी कि अगर हम कोई कहानी की रचना करना चाहते हैं तो हमें किन-किन नियमों की पालना करनी चाहिए

कहानी लिखने के नियम क्या है – Kahani likhne ke niyam kya hai
हर चीज को करने के कुछ ना कुछ नियम निर्धारित होते हैं और उसी प्रकार कहानी लेखन के भी कुछ नियम हैं जिनकी पालना किए बगैर हम एक अच्छी कहानी अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत करने में बिल्कुल ही नाकाम रहते हैं
संपूर्ण जीवन के कुछ रोचक तथ्यों का वर्णन करना ही कहानी कहलाती है और इसी कहानी में हम किसी एक पक्ष को लेते हैं जो कि किसी के जीवन का सबसे अनूठा पक्ष होता है और उसी को अपना विषय बना कर हम कहानी लेखन करते हैं
तो सबसे पहला सवाल यह उठता है कि कहानी लिखने के नियम क्या है और हम अपनी कहानी लिखते समय इन्हें किस प्रकार से अपने दिमाग में रखें तो कहानी लेखन के निम्नलिखित नियम है :
- उचित शीर्षक का चयन करना
अगर हम कोई कहानी लिख रहे हैं तो उसके लिए एक उचित शीर्षक होना जरूरी है और बहुत से कहानीकार यह मानते हैं कि पाठक को कहानी का शीर्षक पढ़ते ही यह समझ आ जाना चाहिए कि आखिर कहानी किस संदर्भ में लिखी गई है
उदाहरण के तौर पर अगर हम अपने बचपन के बारे में कोई कहानी लिख रहे हैं तो उसका शीर्षक भी इस प्रकार से प्रयुक्त किया
जाए कि शीर्षक पढ़ते ही पाठक को यह पता लग जाए कि यह संपूर्ण कहानी बचपन के इर्द-गिर्द ही घूम रही है और इसका मुख्य विषय किसी बालक का बचपना है
- सभी किरदारों का समान योगदान
कहानी में जो भी किरदार प्रस्तुत किए जा रहे हैं उनका अपना अपना एक रोल होना चाहिए और जिस समय उनकी आवश्यकता हो उन्हें प्रकट भी किया जाना चाहिए
अगर किसी भी कहानी में रोचक किरदार नहीं है तो वह कहानी एक उबाऊ कहानी की तरह बन जाती है और उसे पढ़ने में पाठकों को बिल्कुल भी मजा नहीं आता है
हालांकि यह कहना भी गलत है क्योंकि वर्तमान समय में कई प्रकार की कहानियां प्रचलित हैं, कुछ कहानियां हास्यप्रद होती है तो कुछ शौक से संबंधित तो कुछ कहानियां बहुत ही गहन विश्लेषण से संबंधित होती हैं
इस तरह से जिस प्रकार की कहानी, कहानीकार द्वारा लिखी जा रही है उसे उसी प्रकार के सभी किरदारों की भूमिका अपनी कहानी में बतानी चाहिए
- कहानी का आरंभ रोचक और आकर्षक हो
आपने अंग्रेजी के एक वाक्य को जरूर पढ़ा होगा कि “फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन” यानी कि जो भी व्यक्ति को पहली बार प्रभावित करता है वही आखरी बार प्रभावित करने के समान होता है इसीलिए कहानी में भी यह नियम लागू होता है
अगर कोई कहानीकार चाहता है कि उसकी कहानी को ज्यादा से ज्यादा पाठकों द्वारा पढ़ा जाए तो इसकी सबसे अनिवार्य शर्त यह है कि कहानी शुरू होते ही पाठक को मजा आ जाना चाहिए यानी कि उसकी प्रारंभिक संवाद इतनी जबरदस्त होगी कि पाठक को कहानी खत्म करने पर मजबूर कर दे
अगर कहानी का प्रारंभिक भाग ही रोचक और आकर्षक नहीं होगा तो पाठक द्वारा आगे की कहानी को भी नहीं पढ़ा जाएगा भले ही कहानीकार द्वारा आगे की कहानी बहुत ही सुंदर क्यों ना लिखी गई हो
इसी कारण से यह माना जाता है कि कहानी की संपूर्ण सफलता उसके प्रारंभिक पन्नों पर ही होती है, पर अगर वही पन्ने अच्छे ना हो तो कितनी भी अच्छी कहानी क्यों न हो वह बहुत ही ज्यादा उबाऊ बन जाती है
- कहानी का अंत सहज ढंग से और उचित शिक्षा के साथ हो
जिस प्रकार से कहानी की शुरुआत अच्छी होना जरूरी है उसी प्रकार से कहानी का अंत भी अच्छे प्रकार से होना जरूरी है
क्योंकि प्रारंभिक कहानी में रोचकता होने के बावजूद अगर इसका अंत सही ढंग से नहीं हो पाता है तो यह भी पाठकों के दिमाग पर कहानीकार की एक गलत छवि को उकेरता है
जैसे की हम अपने बचपन में शेर और चूहे की कहानी सुनते थे और वे दोनों किस प्रकार से बहुत अच्छे दोस्त बन गए, हमने संपूर्ण कहानी में यह देखा और अंत में किस प्रकार से हमने एक शिक्षा ग्रहण की अपने कठिन समय में हमें अपने परम मित्र के काम आना चाहिए
तो कुछ इसी प्रकार से हर कहानी का अंत भी किसी विशेष शिक्षा के साथ होना चाहिए और सहज तरीके से उस कहानी का समापन भी कहानीकार की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है
- कहानी को रोचकता प्रदान करने के लिए मुहावरों का प्रयोग
जैसा कि हम जानते हैं कि कहानियों की लंबाई बहुत बड़ी होती है और कभी कभी इन्हें पढ़ते समय उबाऊपन भी आने लगता है पर उसी समय अगर कहानीकार द्वारा कुछ मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग कर दिया जाए तो यह इस सूखी पड़ी कहानी में एक बरसात की तरह होती है
विभिन्न प्रकार के मुहावरे और लोकोक्तियां ना केवल कहानी को रोचक बनाती है, बल्कि कहानी के संवाद को भी एक बेहतर मंच प्रदान करती हैं
कई कहानीकारों द्वारा अपनी कहानियों में इन मुहावरों का प्रयोग करके उन कहानियों को बहुत अच्छा फॉर्मेट प्रदान किया जाता है
- कहानी हमेशा भूतकाल से संबंधित हो
कहानी के लेखन का जो सबसे महत्वपूर्ण नियम उभर कर आता है वह यह है कि कहानी को कभी भी वर्तमान समय में या आने वाले समय को आधार बनाकर नहीं लिखा जा सकता
कहानी को सदैव ही भूतकाल से संबंधित होना चाहिए और उसमें सभी की सभी बातें भी भूतकाल की ही होनी चाहिए क्योंकि कहानी का मजा तभी आता है
कहानी की परिभाषा से ही स्पष्ट होता है कि इसमें केवल भूतकाल से संबंधित घटनाओं का जिक्र किया जाएगा क्योंकि कहानी की परिभाषा है कि इसमें जीवन के किसी एक पक्ष का वर्णन किया जाता है जो कि बीत गया है परंतु महत्वपूर्ण है
जब हम यह चर्चा कर रहे हैं कि कहानी में हमारे जीवन के किसी एक ऐसे पक्ष की बात होगी जो कि हमारे लिए महत्वपूर्ण था परंतु वह अब बीत चुका है तो यह स्पष्ट है कि कहानी का संदर्भ भी भूतकाल से ही संबंधित होगा
- कहानी की भाषा सरल और सहज हो
अगर हिंदी साहित्य की सभी विधाओं को उठाकर देख ले तो उनमें सबसे ज्यादा सरल भाषा हमें कहानी की देखने को मिलेगी क्योंकि यह हिंदी साहित्य की एक ऐसी विधा है
जिसे कि बहुत ही कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी आसानी से समझ सकता है और उसके पीछे क्या भावार्थ छुपे हुए हैं उनका पता लगा सकता है
वहीं अगर उपन्यास या कविता की बात की जाए तो इनकी बहुत ही ज्यादा कठिन शब्दावली को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है और ऊपर से इनमें संस्कृत शब्दावलियो का भरकर प्रयोग किया जाता है जो कि पाठकों के लिए और भी ज्यादा समस्याएं खड़ी करती है
इस तरह से अब आप यह तो जान गए होंगे कि कहानी लिखने के नियम क्या है और कहानी लिखते समय कहानीकार को किन-किन नियमों की पालना करनी चाहिए
कहानी लिखने का फॉर्मेट – Kahani likhne Format kya hai
हिंदी साहित्य की प्रत्येक विधा को लिखने का अपना एक अलग तरीका और फॉर्मेट होता है जैसे कि उपन्यास को लिखने के लिए कुछ कठिन शब्दावली और बड़े-बड़े वाक्यों का प्रयोग करना होता है वहीं दूसरी ओर अगर कविता लिखनी हो तो उसके लिए छोटे-छोटे छंदों का निर्माण करना होता है इत्यादि
पर अभी हम कहानी लिखने के फॉर्मेट की चर्चा करने वाले हैं और यह देखने वाले हैं कि अगर हम एक कहानी को लिख रहे हैं तो उसके लिए किस प्रकार से वाक्यों का और शब्दों का चयन किया जाए
और पूरी कहानी में किस प्रकार से उन्हें सेट किया जाए ताकि पाठक को लगे कि सभी किरदारों और वाक्यों का सही रूप से और सुसंगत प्रयोग कहानी में किया गया है
तो कहानी लिखने का फॉर्मेट कुछ इस प्रकार से है :
- एक धमाकेदार शुरुआत
कहानीकार द्वारा अपनी कहानी की शुरुआत एक अच्छे से मुहावरे या लोकोक्ति या फिर एक बहुत ही शानदार वाक्य के साथ की जानी चाहिए जो कि पाठकों को उसकी कहानी की ओर आकर्षित कर ले
उसके बाद कहानीकार अपनी कहानी को धीरे-धीरे आगे बढ़ा सकता है परंतु अगर उसकी शुरुआत ही खराब है तो वह चाहते हुए भी अपनी पूरी कहानी को अच्छे ढंग से पाठकों के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाएगा
- कहानी में आने वाले चरित्रों का परिचय देना
कहानीकार चाहे तो शुरुआत में ही अपनी कहानी के सभी पात्रों का परिचय पाठकों के समक्ष रख सकता है और अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता है तो जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है वैसे-वैसे अपनी कहानी के सभी पात्रों को आगे लाकर उन्हें पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है
परंतु बहुत से कहानीकारों द्वारा जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती हैं वैसे वैसे ही अपने पात्रों का परिचय पाठकों के साथ कराया जाता है
कहानी की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि उस कहानी में आने वाले पात्र कौन कौन से हैं, अगर उस कहानी के पात्र ही अच्छे नहीं हैं तो पाठकों द्वारा उस कहानी को पढ़ने में बिल्कुल भी रुचि प्रस्तुत नहीं की जाएगी
- कहानी के छोटे छोटे प्लॉट
एक बड़ी कहानी को छोटे-छोटे प्लॉटों में बाट कर उसकी रोचकता को और भी ज्यादा बढ़ाया जा सकता है जिससे कि पाठकों को एक बड़ी कहानी देखकर बहुत ज्यादा बोरियत भी नहीं होगी और धीरे-धीरे वह उस कहानी के अंदर अपने आप को सम्मिलित भी कर लेंगे
इन छोटे-छोटे प्लॉटों को संवादों के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है और यह दिखाया जा सकता है कि किस प्रकार से कहानी के दो पात्रों द्वारा आपस में संवाद किया जा रहा है
पर कहानीकार द्वारा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि उसकी कहानी के प्लॉट बहुत ज्यादा छोटे भी ना हो और बहुत ज्यादा बड़े भी ना हो
- कहानी के पात्रों का आकर्षक संवाद
कहानीकार की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह अपनी कहानी में प्रयुक्त होने वाले सभी पात्रों का आपसी संवाद किस प्रकार से करवाता है
तो इन सभी पात्रों का संवाद इस प्रकार से करवाया जाना चाहिए कि पाठक को लगे कि वह उन सभी पात्रों के बीच में बैठा है और वह सभी पात्र आपस में बातचीत कर रहे हैं
ऐसा करने के लिए वह प्रत्येक पात्र का नाम लिखकर उसके संवाद को उसके सामने लिख सकता है और फिर इसी प्रकार से अन्य पात्रों का नाम लिखकर उनके संवाद को भी उनके नाम के आगे लिख सकता है
- कहानी में शानदार क्लाइमेक्स होना
कहानी में अगर शानदार क्लाइमैक्स डाल दिया जाए तो वह किसी फिल्म से कम नहीं होगी क्योंकि अगर कहानी में अचानक से किसी पात्र की एंट्री हो या अचानक से कोई ऐसी घटना घटित हो जिससे कि संपूर्ण कहानी में रोचकता आ जाए तो फिर कहानी की सफलता पूर्णता निश्चित है
पर हर कहानीकार अपनी कहानी के साथ इस प्रकार की चंचलता नहीं कर पाता है और उसके लिए उसके पास कहानी लेखन का एक बहुत लंबा अनुभव होना भी आवश्यक है
- कहानी का समापन और शिक्षा
कहानी का समापन भी कहानी का एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है और यहां पर कहानीकार द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि वह संपूर्ण कहानी को मात्र कुछ शब्दों में समझा कर उसकी समाप्ति यहां पर करे
अगर वह सही ढंग से अपनी कहानी को समाप्त नहीं करेगा और अपनी कहानी के समापन की घोषणा नहीं करेगा तो उस कहानी को पढ़ने वाले पाठकों को यह समझ नहीं आ सकेगा कि कहानी कहां पर समाप्त हो रही है
इसके अलावा कहानी में एक ज्ञानप्रद शिक्षा भी छुपी होनी चाहिए जिसे पढ़कर पाठकों को लगे कि उन्होंने इस कहानी को पढ़कर अपने जीवन के लिए एक शिक्षा को ग्रहण किया है
परंतु हो सकता है कि यह शिक्षा सीधे तौर पर कहानीकार द्वारा स्पष्ट ना की जाए परंतु यह अपेक्षा पाठकों से भी की जाती है कि वह
कहानी को पढ़कर अपने स्तर पर यह अंदाजा लगा ले कि आखिर हमें कहानी से किस प्रकार की शिक्षा मिल रही है और हमें कहानीकार द्वारा किस शिक्षा को ग्रहण करवाया जा रहा है
इस प्रकार से अगर आप भी एक कहानी को लिखना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित फॉर्मेट का पालन करना होगा
कहानियों के विभिन्न प्रकार – Type Of Story in Hindi
आज हिंदी साहित्य में कहानियों के कई सारे प्रकार सम्मिलित हो गए हैं और हर प्रकार की अपनी एक अलग विशेषता विद्यमान है
- हास्यप्रद कहानियां
- शिक्षाप्रद कहानियां
- रोचक कहानियां
- चित्रवाली और चलचत्र वाली कहानियां
- बाल कहानियां
- शोकप्रद कहानियां
- पर्यटन संबंधी कहानियां
- एक स्थान विशेष संबंधी कहानियां
- एक चरित्र विषय से संबंधित कहानियां
- ऐतिहासिक कहानियां
तो यह कुछ कहानियों के प्रकार हैं जो कि विभिन्न कहानीकारों द्वारा अपनाते हुए अपनी अपनी कहानियों में सम्मिलित किए जाते हैं और किसी कहानी को पढ़कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कहानी इनमें से किस श्रेणी के अंतर्गत आती है
हिंदी के कुछ प्रमुख कहानीकार
जब हम कहानी के बारे में चर्चा कर ही रहे हैं तो हमें यह भी जान लेना चाहिए कि हिंदी साहित्य के प्रमुख कहानीकार कौन-कौन हैं और उनसे संबंधित कौन-कौन सी विशेष बातें हैं जो हमें जाननी चाहिए
हिंदी के प्रमुख कहानीकार निम्नलिखित हैं :
- मुंशी प्रेमचंद
- जयशंकर प्रसाद
- चंद्रधर शर्मा गुलेरी
- किशोरी लाल गोस्वामी
- वृंदावनलाल वर्मा
- गिरिजा दत्त वाजपेई
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी
- माधव प्रसाद विश्व
- श्री जैनेंद्र कुमार उग्र
- श्री यशपाल
- अमृतलाल नागर
- राजेंद्र यादव
- मन्नू भंडारी
- कृष्णा सोबती
- श्रीकांत वर्मा
- रवींद्र कालिया
- काशीनाथ सिंह
- इब्राहिम शरीफ
- सुधा अरोडडा
- उषा प्रिय बंदा
- फणीश्वर नाथ रेणु
- ओमप्रकाश वाल्मीकि
तो इस प्रकार से यह सभी हिंदी साहित्य के कुछ प्रसिद्ध कहानीकार रहे हैं जिनकी बदौलत आज इतनी कहानियां हमें प्राप्त हो सकी हैं
हिंदी की प्रमुख और प्रसिद्ध कहानियां
वर्तमान समय तक हिंदी में हजारों लाखों कहानियां लिखी जा चुकी है परंतु उनमें से कुछ गिनी चुनी कहानियां ही ऐसी है जो कि अपनी प्रसिद्धि की चरम सीमा तक पहुंच पाई हैं और उन्हीं कहानियों की चर्चा अब हम करने वाले हैं
हिंदी में लिखी गई प्रमुख कहानियां निम्नलिखित हैं :
- इंदुमती
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा इसे हिंदी की पहली कहानी भी माना गया है और इसकी रचना 1900 में की गई थी
- उसने कहा था
- इस कहानी की रचना चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा की गई है और यह 1915 में रचित की गई
- ग्राम
- इस कहानी की रचना जयशंकर प्रसाद द्वारा की गई है और यह 1911 में रचित की गई
- रक्षाबंधन
- इस कहानी की रचना विशंभर नाथ शर्मा द्वारा की गई थी और यह 1913 में रचित की गई
- सौत
- इस कहानी के रचयिता मुंशी प्रेमचंद हैं और यह प्रेमचंद की पहली कहानी मानी जाती हैं जिसकी रचना उन्होंने 1916 में की थी
- हार की जीत
- इस कहानी को सुदर्शन शर्मा द्वारा रचा गया है और उनकी यह सर्वाधिक लोकप्रिय कहानी भी मानी जाती हैं
- कफन
- यह कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है और यह मुंशी प्रेमचंद की सर्वाधिक लोकप्रिय कहानियों में से एक मानी जाती हैं
- तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम
- यह कहानी फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित की गई है और अपना शीर्षक बहुत ही ज्यादा बड़ा होने के कारण यह कहानी भी लोकप्रिय हैं
- पक्षी और दीमक
- यह कहानी गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित हैं
- गुल्की बन्नो :
- इस कहानी के रचयिता धर्मवीर भारती हैं जो कि हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण कहानीकारों में से एक माने जाते हैं
FAQs : हिंदी में एक अच्छा कहानी लिखने के नियम क्या है
सवाल : कहानी लिखने का सबसे महत्वपूर्ण नियम क्या है?
हर कहानी का शीर्षक अच्छा होना चाहिए यह कहानी लिखने का सबसे महत्वपूर्ण नियम है
सवाल : कहानी को समाप्त करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
कहानी के समापन के समय उस कहानी की शिक्षा और सारांश का पूर्ण वाक्यन करना चाहिए
सवाल : हिंदी के प्रमुख कहानीकार कौन-कौन हैं?
हिंदी के प्रमुख कहानीकार मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु ,महादेवी वर्मा और मन्नू भंडारी इत्यादि है
सवाल : कहानी किस काल में लिखी जाती हैं?
कहानी सदैव ही भूतकाल में लिखी जाती हैं
सवाल : हिंदी साहित्य की पहली कहानी कौन सी मानी जाती हैं?
हिंदी साहित्य की पहली कहानी इंदुमती को माना जाता है और इसे हिंदी की पहली कहानी आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा माना गया है
Conclusion
तो पाठको हम आशा करते हैं कि आपको आज का हमारा यह लेख कहानी लिखने के नियम क्या है बहुत ज्यादा पसंद आया होगा और इसे पढ़कर आपको महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी
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ताकि आगे आने वाले समय में हम आपके लिए इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेख लाते रहे और आपके ज्ञान में सकारात्मक वृद्धि करते रहे इस लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद