Ravan Ke Pita Ka Naam – रावण के पिताजी का नाम क्या था?

Ravan Ke Pita Ka Naam : आपने अगर रामायण को देखा है तो उसमें राम के समान ही एक और महत्वपूर्ण किरदार हैं जिसका नाम है रावण

रावण को एक बुद्धिमानी राक्षस की संज्ञा दी गई है और यह भी कहा जाता है कि उसने अपनी बुद्धि और शक्ति के बल पर संपूर्ण विश्व को जीत लिया था और यहां तक की स्वर्ग में बैठे देवता भी उसकी शक्ति से कांपते थे

रावण के द्वारा अपनी एक नगरी बसाई गई थी जिसे की लंका नाम दिया गया और उसने भगवान शिव की तपस्या से हजारों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की तो अब आप सोच रहे होंगे कि जो व्यक्ति इतना बलवान है उसे पैदा करने वाला कितना बलवान होगा अर्थात की रावण के पिता कौन थे

तो आज के इस लेख में हम उसी महाबली रावण के पिता के बारे में चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि रावण के पिता कौन थे और साथ ही क्या वे ऋषि थे या राक्षस थे

इसके अलावा आज के हमारे इस लेख का मुख्य विषय रहेगा Ravan Ke Pita Ka Naam

अगर आप में से कोई रावण के पिता का नाम नहीं जानता तो हो सकता है वह यह कहे कि रावण के पिता भी राक्षस कुल के थे परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वह राक्षस नहीं बल्कि ऋषि थे और उनका प्रताप भी रावण के प्रताप की तरह ही संपूर्ण विश्व में विद्यमान था

वैसे देखा जाए तो रावण का संपूर्ण परिवार ही शक्तिशाली और गौरवान्वित करने वाला था क्योंकि जहां एक और रावण के पास इतने शक्तिशाली भाई जैसे कि कुंभकरण और विभीषण थे तो वही और उसके पास अपना महाबली पुत्र मेघनाथ भी था

 

Ravan Ke Pita Ka Naam
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Ravan Ke Pita Ka Naam – रावण के पिताजी का नाम क्या था

रावण के पिता ऋषि विश्रवा था जो कि ऋषि कुल के थे और अपनी तपस्या के कारण उन्होंने बहुत सारे देवताओं को प्रसन्न किया जिस कारण से उन्हें अपनी पुत्र प्राप्ति में भी काफी सहायता प्राप्त हुई

  ऋषि विश्रवा के पिताजी का नाम ऋषि पुलस्त्य था  जोकि ब्रह्मा जी के पुत्र माने जाते हैं हालांकि कई सारे हिंदू ग्रंथों में इस बात का प्रमाणिक प्रमाण नहीं मिलता है कि ऋषि पुलस्त्य ब्रह्मा जी के ही पुत्र थे

रावण के पिता ऋषि विश्रवा की पहली पत्नी भारद्वाज की पुत्री देवांगना थी जिनसे कि उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम कुबेर था

ऋषि विश्रवा द्वारा भी दो विवाह किए गए थे जिनमें से उनकी पहली पत्नी का नाम तो देवांगना था जबकि दूसरी पत्नी का नाम  था जोकि देतय राज सुमाली की पुत्री थी

अपनी इसी पत्नी से ऋषि विश्रवा को 4 संताने प्राप्त हुई जिनमें से रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा थी और ऋषि विश्रवा की पहली पत्नी देवांगना से खर, दुसान, कुंभइनी, अहिरावण और कुबेर जैसे पुत्र और पुत्रीया प्राप्त हुई थी

इस प्रकार से ऋषि विश्रवा की कुल 9 संताने उत्पन्न हुई थी और यह सभी संताने उनकी दो पत्नियों से उत्पन्न हुई थी

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्रवा को रावण जैसे पुत्र की प्राप्ति एक श्राप के कारण हुई थी क्योंकि ऋषि विश्रवा को यह श्राप मिला था कि उसकी दूसरी पत्नी से उसे राक्षस कुल के पुत्र और पुत्रीया प्राप्त होंगी

यह निम्नलिखित जानकारी तुलसीदास जी के प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ रामचरितमानस से हमें प्राप्त होती हैं कि रावण का जन्म शाप के कारण हुआ था

इस तरह रावण के पिता भले ही ऋषि-मुनियों की तरह रहे हो परंतु उसने अपने पिता की तरह अपने जीवन को व्यतीत नहीं किया बल्कि वह राक्षसों की योनि की तरह ही रहने लगा


रावण के पिता ऋषि विश्रवा के बारे में

आपने रामायण के माध्यम से रावण के बारे में तो संपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर ली होंगी परंतु क्या आप जानते हैं कि ऋषि विश्रवा का जीवन कैसा था और वह किस प्रकार से ऋषि कुल में उत्पन्न हुए हालांकि यह एक अलग बात है कि उन्हें पुत्र प्राप्ति में रावण जैसे पुत्र भी मिले

रावण के पिता एक महान ऋषि की संतान थे जिनका नाम ऋषि पुलस्त्य था और वही उनकी माता का नाम हानि भुरवा था

क्योंकि ऋषि विश्रवा का जन्म ब्रह्मा जी के कुल में हुआ था तो यह स्वाभाविक था कि उनकी रूचि भी बहुत सारे वेदों में और धार्मिक ग्रंथों में ही रही थी

अपने जीवन के शुरुआती काल में ही ऋषि विश्रवा ने ज्ञान के क्षेत्र में बहुत उन्नति की और ऋषि मुनियों के कुल में एक उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया

ऋषि विश्रवा की दो शादियां कराई गई थी जिनमें से उनकी पहली पत्नी का नाम देवांगना तथा दूसरी पत्नी का नाम केकेसी था

उनकी दूसरी पत्नी के किसी एक राक्षस कुल से थी इसीलिए उन्हें रावण और कुंभकरण जैसे राक्षस योनि के पुत्र प्राप्त हुए थे

ऋषि विश्रवा की दूसरी पत्नी केकैसी के माता-पिता का नाम देतय राज सुमाली और केतुमति था क्योंकि यह दोनों भी राक्षस कुल से संबंधित थे

इस कारण ऋषि विश्रवा की पत्नी केकेसी भी राक्षस कुल की ही एक राजकुमारी थी


ऋषि विश्रवा और कैकसी का विवाह

हम में से बहुत से लोग यह नहीं जानते कि किस प्रकार से ऋषि विश्रवा और केकेसी का विवाह हुआ था क्योंकि ऋषि विश्रवा तो ऋषि मुनियों के कुल से संबंधित थे वहीं दूसरी और केकसी एक राक्षस कुल की राजकुमारी थी

तो इस विवाह के पीछे भी एक पौराणिक कथा विद्यमान है और जिसके अनुसार ऋषि विश्रवा की दूसरी पत्नी केकसी के पिता सुमाली और उनकी माता केतुमती सुर लोक के देवताओं के डर से इधर उधर भाग रहे थे

यह दंपत्ति राक्षस कुल का होने के कारण यह जानता था कि देवताओं द्वारा इनका भी नाश कर दिया जाएगा परंतु एक ऋषि ने उन्हें सुझाव दिया कि अगर उनकी पुत्री का विवाह किसी ऋषि कुल के ऋषि के साथ कर दिया जाए

तो उन्हें फिर देवताओं के भय से मुक्ति मिल जाएगी और उन्हें उन से डरने की कोई भी जरूरत नहीं होगी

जब यह बात केकसी को पता लगी तो उसने अपनी और अपने माता-पिता की रक्षा करने के लिए अपने आप को एक सुंदर कन्या के रूप में ऋषि विश्रवा के सामने प्रस्तुत किया

वह एक सुंदर कन्या बनकर ऋषि विश्रवा के आश्रम के समीप पहुंची और उन्हें अपने वश में कर लिया

शुरुआती समय में राक्षस कुल की केकेसी ऋषि विश्रवा के आश्रम में रहती थी परंतु कुछ समय बाद ऋषि विश्रवा ने उसके साथ शादी कर ली और उन्हें रावण और कुंभकरण जैसे पुत्र प्राप्त हुए


रावण के दादा दादी का नाम

रावण के दादा का नाम ऋषि पुलस्त्य था जो कि ब्रह्मा जी के पुत्र माने जाते हैं वही रावण की दादी का नाम हानि भूरवा था

शायद आप इसका अंदाजा पहले ही लगा चुके होंगे क्योंकि ऋषि विश्रवा के माता पिता का नाम यदि आपको पता है तो आप इस बात का आसानी से पता लगा सकते हैं कि रावण के दादा दादी का नाम क्या था


रावण के नाना नानी का नाम

रावण के नाना का नाम दैत्य राज सुमाली था और रावण की नानी का नाम ताड़का था

यह ताड़का शुरुआती चरण में एक यक्ष कन्या हुआ करती थी परंतु  सुमाली के साथ विवाह होने पर यह भी एक राक्षसी बन गई

हालांकि सुमाली की पत्नी का नाम ताड़का था परंतु इससे उनकी पुत्री केकसी का जन्म नहीं हुआ था

वही सुमाली को ताड़का से 2 पुत्र प्राप्त हुए जिनका नाम सुबाहु और मारीच था और इन्हीं दोनों का वध भगवान श्रीराम ने युद्ध में किया था


रावण का जन्म

ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्रवा की पत्नी केकसी द्वारा अशुभ समय में गर्भ धारण कर लिया गया था जिस कारण से उन्हें ऐसा पुत्र प्राप्त हुआ

अशुभ समय में गर्भधारण करने के कारण ही केकसी के गर्भ से रावण तथा कुंभकर्ण जैसे क्रूर स्वभाव वाले भयंकर राक्षस पैदा हुए

तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस ग्रंथ में यह बताया गया है कि रावण का जन्म ऋषि मुनियों के श्राप के कारण हुआ था

रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और उनसे यह वरदान मांगा कि उसके 10 सिर होने चाहिए और इस वरदान को मांगने के पीछे रावण कि यह चेष्टा थी कि वह कभी भी नहीं मरेगा और अमर हो जाएगा क्योंकि एक सर कटने पर उसका दूसरा सर वापस से उग आएगा


FAQs : Ravan Ke Pita Ka Naam

सवाल : रावण के पिता कौन थे

रावण के पिता का नाम ऋषि विश्रवा था

सवाल : रावण की माता का नाम क्या था?

रावण की माता का नाम केकसी था जो कि राक्षस कुल की एक राजकुमारी थी

सवाल : रावण का जन्म कब हुआ था?

अशुभ समय में गर्भधारण करने के कारण राक्षसी केकसी के गर्भ से रावण का जन्म हुआ था

सवाल : रावण के दादा दादी का नाम क्या हैं?

रावण के दादा का नाम ऋषि पुलस्त्य और उसकी दादी का नाम हानि भुरवा है

सवाल : रावण के नाना नानी का नाम क्या है?

रावण के नाना का नाम दैत्य राज सुमाली और उसकी नानी का नाम ताड़का है


Conclusion

तो पाठको हम आशा करते हैं कि आपको आज का हमारा यह लेख Ravan Ke Pita Ka Naam बहुत ज्यादा पसंद आया होगा और इसे पढ़कर आपको महत्वपूर्ण पौराणिक जानकारी प्राप्त हुई होगी

अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो इस लेख के Comment Box में अपने अमूल्य Comment  को जरूर लिखें ताकि आगे आने वाले समय में हम आपके लिए इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेख लाते रहे और आपके ज्ञान में सकारात्मक वृद्धि करते रहे

इस लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद