Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui

Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui : महाभारत एक पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और दर्शन ग्रंथ है। महाभारत के बारे में सब में सुना होगा। और तो और महाभारत नाम की सीरियल भी लगभग सभी ने देखी होगी। 

लेकिन क्या आपको पता है, महाभारत की रचना किस भाषा में हुई ? याने महाभारत किस भाषा में लिखा हुआ है? 

अगर नहीं, तो आज हम इस आर्टिकल में महाभारत महाकाव्य की रचना और यह किस भाषा में हुई है इसके बारे में विस्तार में जानने की कोशिश करेंगे

और इसी से जुड़े अन्य कई सवाल के जवाब भी देने का प्रयास किया गया है। जिसका आप को वर्तमान तथा भविष्य में जरूर फायदा होगा

 

Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui

 

Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui

महाभारत हिंदू धर्म ग्रंथों के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह ग्रंथ विश्व का सबसे लंबा साहित्य ग्रंथ और महाकाव्य से भी पहचाना जाता है

तो आइए, जानते हैं महाभारत की रचना किसने की थी? और महाभारत किस भाषा में लिखा गया है? यह जानने के लिए यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना।  

महाभारत एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है जहां मुख्य कहानी। यह कहानी एक परिवार के भाइयों के, याने पांडवों और कौरवों – के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए लड़ रहे थे

माना जाता है कि इसकी रचना चौथी शताब्दी ईसा पूर्व या उससे पहले हुई थी। इस कहानी को पहली बार व्यास के एक छात्र ने, एक प्रमुख पात्रों के परपोते के, सर्प-यज्ञ के समय सुनाया था

भगवद गीता के सहित, महाभारत भी प्राचीन भारतीय, साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। वैसे ही महाभारत संस्कृत साहित्य का सबसे बड़ा ग्रंथ है, इसमें १ लाख श्लोक हैं एवं सौ पर्व है। इसीलिए महाभारत को  शतसाहस्त्री संहिता भी कहा जाता हैं। 

 महाभारत यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यानि महाभारत की रचना संस्कृत भाषा भाषा में हुई है। यह ग्रंथ संस्कृत कवियों के लिए कथानक की दृष्टि से उपजिव्य ग्रंथ रहा है 

 

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इस ऐतिहासिक ग्रंथ को प्राचीन भारतीय ने धर्म ग्रंथ की मान्यता दी और इसे पंचम वेद कहां गया। साथ ही महाभारत अपने विशालता के अंतर्गत संसार के सभी विषयों को समाविष्ट करने के कारण भी महत्वपूर्ण है

महाभारत की मुख्य कथा या उपाख्यानों के आधार पे, संस्कृत कवियों ने, विभिन्न कालों मैं काव्य, नाटक, कथा, अख्यायिका और अनेक प्रकार की साहितिक सृष्टि की है। 

देखा जाए तो महाभारत का प्रभाव इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा, ऐसे कई देशों के साहित्य में दिखाई देता है। इन देश में लोग महाभारत के पत्रों के अभिनय से मनोरंजन करने के साथ ही शिक्षा भी ग्रहण करते हैं

महाभारत के रचयिता वेद व्यास
लेखक गणेश
भाषा     संस्कृत
प्रचारक                    वैशम्पायन,सूत,जैमिनि,पैल
किस धर्म का हैं? हिंदू

 

महाभारत की रचना किसने की 

महाभारत में, भारत के पुरातत्व कल में हुए एक महाभारत युद्ध, इस युद्ध की वजह, युद्ध के पहले की कहानी और तो और युद्ध के होने बाद की घटनाओं के बारे में जानकारी दी गई हैं।

महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने आज से हजारों साल पहले की थी। महाभारत की रचना स्पष्ट तौर से कब हुई थी इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं है।

यह वही ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान और अपना उपदेश दिया हैं। इस ग्रंथ की रचना करने में महर्षि वेदव्यास को लगभग तीन वर्ष का समय लगा था।

महर्षि वेदव्यास जी ने किस प्रकार महाभारत की रचना की यह महाभारत के आदि पर्व के श्लोक ६२ और ८२ में वर्णन किया गया है

कहां जाता है कि, महाभारत का युद्ध १८ दिन चला था। इस युद्ध के दौरान योद्धाओं के साथ एक भट सारथी रण में जाता था और वहां जो भी देखा था वह एक पुस्तक में लिख देता था। यह सब पुस्तक महर्षि वेद व्यास ने भी पढ़ी थी

देखा जाए तो महाभारत किसने लिखी थी इसका जवाब इतना सरल भी नहीं है, क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत (महाकाव्य) मुंह से कहा था और पूज्य श्री गणेश जी ने इस महाकाव्य को समझकर लिखा था।

इसी कारण श्री गणेश जी को महाभारत के लेखक और महर्षि वेदव्यास जी को रचनाकार कहा जाता है। 

ऐसा कहा जाता है कि, वेदों को पृथक करने के बाद महर्षि वेदव्यास जी का ज्ञान इतना बढ़ चुका था कि, वह एकाग्र चित से लिखने में लगभग असमर्थ रहे। 

इसी कारण उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो उनके द्वारा मुंह से निकल गए हर शब्दों को समझ कर किताब पर लिख सके

इसलिए, महर्षि वेदव्यास जी ने देवों के देव महादेव शिवशंकर भगवान की सलाह ली। और तभी उन्होंने वेदव्यास जी को अपने पुत्र गणेश को इस कार्य को पूरा करने की सलाह दी।

गणेश जी मान गए लेकिन, एक शर्त रखी ” जब तक महाकाव्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक महर्षि वेद व्यास अपना बोलना बंद नहीं करेंगे” 

वेदव्यास जी ने यह शर्त मान ली लेकिन, साथ ही उन्होंने अपनी शर्त रखी कि, ” गणेश जी उनके द्वारा बोले गए हर श्लोक और हर शब्द का अर्थ समझकर उसे सरल भाषा में लिखेंगे” 

 

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और इसी तरह महाभारत लिखने में पूरे ३ वर्ष लग गए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि महर्षि वेदव्यास जी ३ साल लगातार बोलते रहे। 

जब महाभारत लिखना शुरू हुआ तब, वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुख से बोलने लगे और गणेश जी उसे समझ समझ कर लिखने लगे।

कुछ देर लिखने के बाद यह कलम वेदव्यास जी के बोलने की तेजी को संभाल न सकी और गणेश जी की कलम अचानक टूट गई। 

तभी गणेश जी समझ चुके थे कि, उन्हें अपने आप पर गर्व हो गया था जिसके कारण वह महर्षि की शक्ति और ज्ञान को समझ नहीं पाए।

उसके बाद, उन्होंने अपने एक दांत को धीरे से तोड़ा और शाही में डूबा कर महाभारत की कथा दोबारा लिखने लगे।

इस लिखाण के दौरान जब भी वेदव्यास जी को थकान महसूस होती थी, तब वह एक मुश्किल सा छंद बोलते, जिसको समझने में और लिखने में गणेश जी को समय लग जाता था, और तभी इसके बीच महर्षि वेदव्यास जी आराम करने का समय निकाल लेते थे।

इस तरह ३ वर्ष में महाभारत ग्रंथ पूरा हो गया और आज इस महाकाव्य में १ लाख छंद मौजूद है। 

महाभारत की रचना किसने की वेद व्यास
दूसरा नाम                                 कृष्णद्वैपायन, बादरायणि, पाराशर्य
जन्म                                       हस्तिनापुर (यमुना तट)
रचनाकार                                  महाभारत, श्री भगवत गीता, पुराण आदि
माता-पिता    सत्यवती और ऋषि पराशर
पत्नी                                          वाटिका
सम्मान                                    गुरु पूर्णिमा का त्योहार, जिसे व्यास, पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें समर्पित है.
प्रसिद्धि                                    महाभारत के रचयिता

 

महाभारत युद्ध किस युग में एवं कब हुआ था

 

Kurukshetra

 

महाभारत का युद्ध द्वापर युग में हुआ था। महाभारत ग्रंथ में वर्णित किए गए स्थल आज भी भारत और पड़ोसी देशों में मौजूद है। यह स्थल महाभारत के युद्ध को ऐतिहासिक रूप से सत्य होने का प्रमाण है। 

अधिकांश विद्वान महाभारत के युद्ध को ऐतिहासिक घटना मानते हैं।

इस युद्ध की तिथि १४०० ई.पू. के बीच निर्धारित करते हैं। महान गणितज्ञ और जोतिषविद् आर्यभट्ट ने महाभारत युद्ध का समय ३१०० ई.पू. तय किया गया है। 

महाभारत युद्ध के समाप्ति के पश्चात केवल १८ योद्धा ही जीवित रहे। इन १८ युद्धों में १५ पांडव और ३ कौरव थे।

 

महाभारत का सांस्‍कृतिक महत्व 

सांस्कृतिक दृष्टि से महाभारत का महत्व बहुत अधिक है। महाभारत अपने आप में संपूर्ण साहित्य है। इसमें राजनीति के विश्व का व्यापक और गंभीर प्रतिपादन है

इसके पत्रों को व्यास ने उपदेश का आधार बनाया है, ताकि लोग इससे कर्तव्य की शिक्षा ले सकें। दरअसल महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें प्रत्येक श्रेणी का मनुष्य अपने जीवन के अभ्युदय की सामग्री प्राप्त कर सके

धर्म शाश्वत है ऐसा महाभारत में कहा गया है। अंततः इसका प्रीती किसी भी दशा में भाई या लोक से नहीं करना चाहिए। शांति पर्व में कहा गया है कि राज्य धर्म के बिगड़ने पर राज्य तथा समाज का सर्वनाश हो जाता है।

महाभारत में है मानव जीवन को धर्म, अर्थ और कम के द्वारा मोक्ष की ओर ले जाने की प्रक्रिया बताई गई हैं। इसलिए महाभारत धर्म, राजनीति दर्शन, आदि विषयों का कोष है।

 

अन्य भाषाओं में महाभारत का अनुवाद

 

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महाभारत की रचना किस भाषा में हुई इसका जवाब यह है की, मूल रूप से महाभारत संस्कृत भाषा में लिखा गया था। जो प्राचीन भारतीय साहित्य के दो प्रमुख कार्यों में से एक था। 

यह कुरुक्षेत्र युद्ध, पांडव और गौरव राजकुमार के भाग्य की कहानी बताता है। इसलिए महाभारत का अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

जैसे कि हमने कहा महाभारत दुनिया की सबसे लंबी ज्ञात महाकाव्य कविता है, इसमें एक लाख श्लोक है। महाभारत को विभिन्न धर्म और संस्कृतियों के अनुवादकों ने महाभारत का कई भाषाओं में अनुवाद किया है।

Mahabharat ki rachna sanskrit me hui साथ ही आज महाभारत तमिल, बंगाली, मलयालम, हिंदी, अंग्रेजी, इतालवी, चीनी, जापानी, फ्रांसीसी, फारसी, और रूसी भाषा में मौजूद हैं।

 

महाभारत के १८ पर्वों का नाम

1- आदि पर्व

यह महाभारत का सबसे पहला पर्व है। इस पर्व में चन्द्रवंश का वर्णन किया गया है। इसी के साथ इस पर्व में पाण्डवों की उत्पत्ति के विषय में भी बताया गया है। साथ ही शकुंतला उपाख्यान और ययाति आख्यान इस पर्व से ही गृहीत हैं।

2- सभा पर्व

सभा पर्व यह महाभारत का दूसरा अध्याय है। इस पर्व में द्यूतक्रीडा का वर्णन किया गया है। शिशुपाल वध नामक आख्यान भी इसी से माना जाता है। 

3- वन पर्व

वन पर्व महाभारत का तीसरा अध्याय है।  इस में पाण्डवों के वनवास की घटना का वर्णन किया गया है। इसलिए इसका नाम वन पर्व रखा गया। राजा नल और दमयन्ती की कथा भी इसी पर्व से गृहीत है। 

भगवान श्रीराम की कथा का वर्णन भी मिलता है। वनपर्व में मत्स्यावतार एवं राजा शिबी की कथा भी विद्यमान है। सत्यवान् और सावित्री का उपाख्यान भी इसी पर्व में है।

4- विराट पर्व

विराट पर्व क्रमानुसार महाभारत का चौथा पर्व है। इस पर्व में पाण्डवों का अज्ञातवास वर्णित  किया गया है।

5- उद्योग पर्व

उद्योग पर्व क्रमानुसार महाभारत का पाचवा पर्व है। इस पर्व में भगवान श्रीकृष्ण का सन्धि प्रस्ताव का वर्णन मिलता है।

6- भीष्म पर्व

भीष्म पर्व क्रमानुसार महाभारत का छटा पर्व है। यह हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध ग्रंथ भगवद्गीता इसी पर्व से लिया गया है। अतः यह पर्व अति प्रसिद्ध है।

7- द्रोण पर्व

द्रोण पर्व क्रमानुसार महाभारत का सातवां पर्व है। इस पर्व में अभिमन्यु और द्रोणाचार्य का वध होता है। इसी कारण इस पर्व का नाम द्रोण पर्व रखा गया है।

8- कर्ण पर्व

कर्ण पर्व क्रमानुसार महाभारत का अठवां पर्व है। अंगराज कर्ण का युद्ध होने के कारण इस पर्व का नाम कर्ण रखा गया। इस पर्व में अर्जुन के द्वारा कर्ण का वध भी किया जाता है। शल्य पर्व में भी कर्ण का अवशेष युद्ध वर्णन है।

9- शल्य पर्व

शल्य पर्व क्रमानुसार महाभारत का नौवां पर्व है। 

10- सौप्तिक पर्व 

सौप्तिक पर्व क्रमानुसार महाभारत का दसवां पर्व है। यह सुप्त शब्द से सौप्तिक बनता है। जब अश्वत्थामा सोते हुए पाण्डवपुत्रों का वध करता है। उसी घटना का वर्णन होने के कारण इसका नाम सौप्तिक रखा गया।

11- स्त्री पर्व

स्त्री पर्व क्रमानुसार महाभारत का ग्यारहवां पर्व है। शोकसंतप्त स्त्रियों के विलाप का वर्णन होने के कारण इसका नाम स्त्री पर्व है।

12- शान्ति पर्व

शान्ति पर्व क्रमानुसार महाभारत का बरहवां पर्व है। युधिष्ठिर के राजधर्म सम्बंधित प्रश्नों का भीष्म के द्वारा उत्तर देना इस पर्व की घटना है। शान्ति पर्व महाभारत का सबसे बड़ा पर्व है।

13- अनुशासन पर्व

अनुशासन पर्व क्रमानुसार महाभारत का तेरहवां पर्व है। अनुशासन, धर्म , नीति आदि कथाओं का वर्णन होने के कारण इसका नाम अनुशासन रखा गया।

14- आश्वमेधिक पर्व

आश्वमेधिक पर्व क्रमानुसार महाभारत का चौदहवां पर्व है। युधिष्ठिर के द्वारा किया गया अश्वमेध यज्ञ का वर्णन इसी पर्व में किया गया है।

15- आश्रमवासिक

आश्वमेधिक पर्व क्रमानुसार महाभारत का पंद्रहवां पर्व है। इस पर्व में धृतराष्ट्र आदि का वानप्रस्थ आश्रम की ओर गमन का वर्णन है।

16- मौसल पर्व 

मौसल पर्व क्रमानुसार महाभारत का सोलहवां पर्व है। यदुवंश के विनाश का वर्णन इसी पर्व में मिलता है।

17- महाप्रस्थानिक पर्व

महाप्रस्थानिक पर्व क्रमानुसार महाभारत का सत्रहवां पर्व है। पाण्डवों की हिमालय यात्रा  का अद्भुत वर्णन किया गया है। यह पर्व महाभारत का सबसे छोटा पर्व है।

18- स्वर्गारोहण पर्व

स्वर्गारोहण पर्व क्रमानुसार महाभारत का अठारहवां पर्व है। इस पर्व में पाण्डवों के स्वर्ग जाने का वर्णन मिलता है। यह महाभारत का सबसे अन्तिम पर्व है। 

 

धार्मिक ग्रंथ महाभारत के रचयिता वेद व्यास द्वारा रचित १८ महापुराण

अग्नि पुराण ( Agni Puran ) ब्रह्म वैवर्त्त पुराण ( Brahm Vaivrt Puran )
भविष्य पुराण ( Bhavishy Puran ) वराह पुराण ( Varah Puran )
ब्रह्मा पुराण ( Brahma Puran ) स्कन्द पुराण ( Skand Puran )
पद्मा पुराण ( Padma Puran ) मार्कण्डेय पुरण ( Markandey Puran )
विष्णु पुराण ( Vishnu Puran ) वामन पुराण ( Vaman Puran )
शिव पुराण ( Shiv Maha Puran ) कूर्म पुराण ( Kurm Puran )
श्रीमदभागवत पुराण ( Sree Bhagwat Puran ) मत्स्य पुराण ( Matsy Puran )
नारद पुराण ( Narad Puran ) गरूड़ पुराण ( Garud Puran )
अग्नि पुराण ( Agni Puran ) ब्रहमण्ड पुराण ( Brahmund Puran )

 

महाभारत का विकासकाल

महाभारत का विकासकाल तीन रूपों में वर्गीकृत किया जाता है। सबसे पहले जय नाम से ग्रंथ लिखा गया था इसमें कुल ८८०० श्लोक थे। 

इसके बाद भारत नाम से विख्यात इसी का बडा रूप हुआ जिसमें कुल २४००० श्लोक थे। पुनः अन्त में वैशम्पायन शिष्य सौति के द्वारा कुछ और श्लोक जोडकर महाभारत बना जिसमें कि कुल १००००० श्लोक संख्या हुई। 

 

महाभारत का युद्ध कितने दिन चला? 

कहा जाता है कि संपूर्ण महाभारत का युद्ध १८ दिन तक चला। महाभारत हो या पुराण हर जगह १८ संख्या का बड़ा विशेष संबंध है

महाभारत में जंहा १८ पर्व हैं वंही गीता में भी १८ अध्याय, पुराणों की संख्या भी १८ है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि १८ संख्या के मूल में कोई विशेष रहस्य तो अवश्य है।

 

महाभारत का परिचय

 

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महाभारत शीर्षक का अनुवाद “महान भारत“, या “भरत राजवंश की महान कथा” के रूप में किया जा सकता है। यह प्राचीन भारत के दो संस्कृत महाकाव्य काव्यों में से एक (दूसरा महाकाव्य रामायण है )। 

महाभारत ४०० ईसा पूर्व और २०० ईसा पूर्व के बीच हिंदू धर्म के विकास के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और हिंदू इसे एक पाठ / ग्रंथ के रूप में मानते हैं।

महाभारत ७४,००० से अधिक छंदों, लंबे गद्य अंशों या कुल मिलाकर लगभग १.८ मिलियन (दशलक्ष) शब्दों के साथ, यह दुनिया की सबसे लंबी महाकाव्य कविताओं में से एक है। हरिवंश के साथ मिलकर , महाभारत की कुल लंबाई ९०,००० से अधिक छंदों की है।

भारत में इसका अत्यधिक धार्मिक और दार्शनिक महत्व भी है। परंपरागत रूप से, महाभारत का श्रेय व्यास को दिया जाता है

इसकी विशाल लंबाई के कारण, इसके भाषाशास्त्रीय अध्ययन में इसके ऐतिहासिक विकास और रचना परतों को जानने का प्रयास करने का एक लंबा इतिहास है।

अपने अंतिम रूप में, यह पहली शताब्दी तक पूरा हो गया था , इसका केंद्रीय मूल भरत (२४,००० छंदों से युक्त) ६ठी शताब्दी ईसा पूर्व का है, और कुछ भाग संभवतः ८वीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं।

ऐसा माना जाता है कि महाभारत में चित्रित घटनाएँ १२वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास घटित हुई थीं। 

महाभारत की कहानी तब शुरू होती है जब दो राजकुमारों के पिता धृतराष्ट्र की अंधता के कारण की मृत्यु के बाद, सबसे बड़े भाई पांडु को राजा बनाना पड़ा।

हालाँकि, एक श्राप पांडु को बच्चे पैदा करने से रोकता है, और उसकी पत्नी कुंती मिले गए वरदान की मदत से देवताओं से पांडु के नाम पर बच्चों को (पांडवों को) जन्म देती है। 

पांडवों के पिता की मृत्यु होने के कारण, चचेरे भाई दुश्मनी और ईर्ष्या के कारण पड़ावों को राज्य छोड़ने के लिए मजबूर करते है। 

अपने निर्वासन के दौरान, पाँचों ने संयुक्त रूप से द्रौपदी से शादी की (द्रौपदी – यज्ञ की अग्नि से पैदा हुई थी और जिसे अर्जुन ने लक्ष्यों की एक पंक्ति के माध्यम से तीर चलाकर जीत लिया था) और अपने चचेरे भाई कृष्ण से मिले, जो उसके बाद उनके दोस्त और साथी बने रहे। 

हालाँकि पांडव राज्य में लौट आए, लेकिन जब युधिष्ठिर कौरवों में सबसे बड़े दुर्योधन के साथ पासे के खेल में सब कुछ हार गए। तब उन्हें फिर से १२ साल के लिए जंगल में निर्वासित कर दिया गया। 

इसके बाद यह झगड़ा कुरूक्षेत्र (हरियाणा राज्य में दिल्ली के उत्तर में) के मैदान पर महान युद्धों की एक श्रृंखला में समाप्त हुआ। इस युद्ध में सभी कौरवों का विनाश हो गया, और विजयी पक्ष में, केवल पांच पांडव भाई और कृष्ण ही जीवित बचे। 

कृष्ण की मृत्यु हो जाती है जब एक शिकारी, गलती से उन्हें हिरण समझ लेता है, और उनके पैर में गोली मार देता है। और पांचों भाई, द्रौपदी और उनके साथ एक कुत्ते के साथ, इंद्र के स्वर्ग के लिए निकल पड़ते हैं। 

 

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एक-एक करके वे रास्ते में गिरते जाते हैं और युधिष्ठिर अकेले ही स्वर्ग के द्वार तक पहुँच जाते हैं।

अपनी निष्ठा और दृढ़ता के आगे के परीक्षणों के बाद, वह अंततः अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ-साथ अपने दुश्मनों, कौरवों के साथ, शाश्वत आनंद लेने के लिए फिर से मिल जाते है।

 

FAQs : Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui

सवाल : महाभारत कौन सी भाषा में लिखी हुई है?

रामायण और महाभारत संस्कृत भाषा में लिखी हुई है।

सवाल : महाभारत के लेखक कौन है?

पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं।

सवाल : महाभारत का दूसरा नाम क्या है?

महाभारत का पुराना नाम “जयसहिंता” था इससे पहले इसे भारत महाकाव्य के नाम से जाना भी जाना जाता था। महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक हैं। यह महाकाव्य जयसहिंता, भारत और महाभारत इन 3 नामों से लोकप्रिय हैं।

सवाल : पहले रामायण या महाभारत कौन सा है?

वास्तविकता यह है कि रामायण महाभारत से भी प्राचीन है । सभी पात्रों के नाम (राम, सीता, दशरथ, जनक, वशिष्ठ, विश्वामित्र) वाल्मिकी रामायण से भी पुराने, उत्तर वैदिक साहित्य में ज्ञात हैं। हालाँकि, जीवित वैदिक काव्य में कहीं भी वाल्मिकी की रामायण के समान कोई कहानी नहीं है।

सवाल : महाभारत की पूरी कहानी क्या है?

महाभारत द्वापरयुग में भाइयों के मध्य सम्पत्ति के लिए लड़ा गया युद्ध था। इस युद्ध में एक ओर धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र कौरव थे वहीं दूसरी ओर पांडु और कुंती तथा माद्री से उत्पन्न पाँच पुत्र पांडव थे। 

सवाल : सबसे पहले महाकाव्य का तेलुगु में किसने अनुवाद किया ?

महाभारत मूल रूप से वेद व्यास द्वारा संस्कृत में लिखा गया था। तीन कवियों ने सबसे पहले सबसे महान महाकाव्य का तेलुगु में सफलतापूर्वक अनुवाद किया और उन्हें कवित्रयम के नाम से भी जाना जाता है। वे हैं श्री नन्नया, श्री टिक्कना, श्री येर्राप्रगदा।

 

Conclusion 

आज के लेख में हमने जाना कि Mahabharat ki rachna kis bhasha mein hui और साथ ही, महाभारत के बारे में हमने और भी कई तथ्य जाने।

उम्मीद है आपको आपके सवालों का जवाब मिल चुका होगा। यदि आपको हमारी जानकारी पसंद आई हो तो यह आपके मित्रों के साथ और सोशल मीडिया अकाउंट पर जरूर शेयर करो ताकि आप से जुड़े अन्य लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके।