साइमन कमीशन भारत कब आया – Simon Commission Bharat kab Aaya

Simon Commission Bharat kab Aaya : आप सभी जानते होंगे भारत लगभग 400 साल तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था और इस दौरान भारत में अनेक प्रकार की घटनाएं घटित हुई।

इन सभी घटनाओं में से कई घटनाएं ऐसी थी, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक अलग ही दिशा प्रदान की और उसे आगे बढ़ाया, इन्हीं सब घटनाओं में से एक घटना थी भारत में Simon Commission का आना।

उस समय तक हमारे भारत के लोगों पर अंग्रेजों द्वारा विभिन्न प्रकार के अत्याचार किए जा रहे थे

चाहे वह बहुत अधिक करों का भुगतान करना हो या उनका शोषण करना हो, अंग्रेज हर प्रकार से हमारे भारतीय लोगों को अपना गुलाम बना लेना चाहते थे।

इसीलिए अंग्रेजों द्वारा समय-समय पर अनेक प्रकार के आयोग को व संस्थाओं की स्थापना की जा रही थी जोकि भारतीय लोगों के लिए केवल एक मीठी गोली सिद्ध हुई।

अंग्रेजों द्वारा हर बार यह दावा किया जाता था कि हम भारतीय लोगों की आम जिंदगी में सुधार करेंगे और उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान कर आएंगे परंतु यह बातें केवल कागजों तक ही सीमित रह पाई।

आज के इस हमारे लेख में हम साइमन कमीशन के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करने वाले हैं कि आखिर कौन-कौन सी बातें थी जिस कारण से भारत में साइमन कमीशन का पुरजोर विरोध किया गया था और साइमन कमीशन क्या था

 

When did the Simon Commission come to India
When did the Simon Commission come to India in Hindi

 

साइमन कमीशन भारत कब आया – Simon Commission Bharat kab Aaya

 साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत में आया था। 

इसका भारत में आने से पूर्व इंग्लैंड में ही गठन किया गया था। इसका गठन 8 नवंबर 1927 को किया गया था।

इस कमीशन के गठन होने के बाद इसको भारत में भेजने की पूर्ण रूप से तैयारी शुरू कर दी गई थी।

 

साइमन कमीशन कौन था

आज के इस लेख में हम जिस साइमन कमीशन की बात कर रहे हैं आखिर वह है क्या इस बात का ख्याल आपको आ रहा होगा।

तो इसका उत्तर यह है कि यह साथ इंग्लैंड के सांसदों का एक समूह था जिससे कि भारत इसलिए भेजा गया था कि यह भारत में संविधान की स्थिति को जांच सके और साथ ही मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड अधिनियम की असफलता के कारणों का पता लगा पाए।

इस कमीशन को भारत भेजने में भी अंग्रेजों की एक सोची समझी साजिश थीऔर अंग्रेज यह चाहते थे कि भारत में संविधान का अंग्रेजों द्वारा ही निर्माण किया जाए और संविधान लागू होने के बाद भी भारत का संचालन अंग्रेजों द्वारा ही किया जाए।

 

साइमन कमीशन का उद्देश्य क्या थे

अगर साइमन कमीशन के उद्देश्य की बात की जाए तो भारत में अंग्रेजों द्वारा एक ऐसा संघ बनाना था, जिसमें की ब्रिटेन की संसद के सदस्य और भारत की देसी रियासतों के सदस्य होंगे।

इसका पूर्णता जो सकारात्मक पहलू था अंग्रेजों के पक्ष में था क्योंकि अब वे देसी रियासतों पर भीअपने प्रभुत्व को संपूर्ण रुप से कायम करना चाहते थे क्योंकि अभी तक अंग्रेजों द्वारा अधिपत्य वाला भारत दो भागों में बटा हुआ था।

पहला भाग वह था जिस पर अंग्रेजों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से शासन किया जा रहा था और दूसरा भाग वह था जो अंग्रेजों द्वारा देशी रियासतों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था

और इस पर अंग्रेजों का सीधा नियंत्रण भी नहीं था। इस कारण से अंग्रेजों का साइमन कमीशन को भारत में लाने का यह सीधा सा उद्देश्य था।

 

साइमन कमीशन का अध्यक्ष कौन था 

साइमन कमीशन का अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे और इन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम साइमन कमीशन पड़ा था। इन्हीं के द्वारा अंग्रेजी संसद के 7 सांसदों के समूह का नेतृत्व भारत में साइमन कमीशन के रूप में किया जा रहा था।

 

साइमन कमीशन के सदस्यों का नाम क्या था

जैसा कि आप जानते हैं साइमन कमीशन में कुल 7 सदस्य थे और यह सभी सदस्य ब्रिटिश संसद के सांसद थे। इनमें से पहले सदस्य साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन स्वयं थे।

इसके अलावा इस आयोग में क्लाइमेट एटलीहैरी लेवी लासन, एडवर्ड शैडोगन, वर्णन हाटशॉर्न, जॉर्ज लैंड फॉक्स, डोनाल्ड हार्वर्ड आदि सदस्य थे।

इस प्रकार से इस पूरे कमीशन में सातों सदस्य सफेद रंग के थे अर्थात कि अंग्रेज थे इस कारण से इसे श्वेत कमीशन भी कहा जाता है।

इसके विरोध का कारण भी यही था कि इसमें सारे के सारे सदस्य अंग्रेज हैं और एक भी भारतीय सदस्य इसमें नहीं है।

 

साइमन कमीशन का भारत में विरोध क्यों हुआ 

साइमन कमीशन का भारत में विरोध अनेक कारणों से हुआ था और यह कारण अधोलिखित हैं।

1) अंग्रेजों के इस पूरे Simon Commission में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था जो कि इसके विरोध का एक प्रमुख कारण बना।

जैसा कि हम जानते हैं साइमन कमीशन का गठन इसलिए किया गया था ताकि यह भारत में संविधान की स्थिति को समझ पाए और भारत में संविधान को किस प्रकार से लागू करना है,

इसकी समीक्षा कर पाए परंतु इसमें एक भी भारतीय सदस्य ना होने के कारण भारतीय संविधान में किन-किन तत्वों की आवश्यकता है इसका अंदाजा अंग्रेज नहीं लगा सकते थे। इस कारण से भारत में इसका सर्वाधिक विरोध किया गया था।


2) साइमन कमीशन के विरोध का दूसरा कारण यह था कि इसमें केवल ब्रिटिश संसद के सांसदों को ही सदस्य बनाया गया, जो अंग्रेज भारत में रह रहे थे तथा भारत की शासन व्यवस्था को संचालित कर रहे थे

उनमें से किसी को भी इसका सदस्य नहीं बनाया गया था। इस कारण से वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि भारत को आखिर कैसा संविधान चाहिए।


3) साइमन कमीशन के विरोध का जो तीसरा कारण था, वह यह था की इस समय भारत को संपूर्ण रूप से आजादी मिलनी चाहिए ना की आंशिक आजादी।

साइमन कमीशन का उद्देश्य यह था कि अंग्रेज ही भारत के संविधान का निर्माण करेंगे और उसे इस अंग्रेजी संविधान के अनुरूप आगे भी संचालित करते रहेंगे इसका सीधा तात्पर्य यह था कि भारतीयों को पूर्ण रूप से आजादी कभी नहीं दी जाएगी।

 

साइमन कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट को कब प्रस्तुत किया गया था 

साइमन कमीशन द्वारा अपने गठन के 3  वर्षों बाद में सन 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।

जैसा कि हम जानते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने 1927 में साइमन कमीशन का गठन किया था और 1928 में इसे भारत में भेजा गया था।

 

साइमन कमीशन की रिपोर्ट में क्या था 

साइमन कमीशन द्वारा 1930 में जो अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी उसमें प्रमुख बातें निम्नलिखित थी।

  1. इस कमीशन द्वारा जो सबसे पहला सुझाव दिया गया था, वह यह था कि 1919 के भारत सरकार अधिनियम के द्वारा लागू की गई जो प्रांतों में द्वेध शासन व्यवस्था है, उसको समाप्त कर दिया जाए और उसके स्थान पर एक उत्तरदाई शासन व्यवस्था या एक उत्तरदाई शासन सरकार की स्थापना की जाए।

  1.  दूसरा सुझाव दिया गया था वह यह था, कि केंद्र सरकार के रूप में अभी एक उत्तरदाई शासन व्यवस्था की स्थापना करना संभव नहीं है इसलिए अभी केवल अंग्रेजी प्रांतों में ही उत्तरदाई शासन व्यवस्था की सरकार की स्थापना की जाए।

  1. तीसरा सुझाव था वह यह था कि विधान मंडलों में संघ भावना का विस्तार किया जाए जिससे कि वह केंद्र सरकार के अधीन रहकर अच्छे से कार्य कर पाए।

  1. चौथा सुझाव दिया गया था वह यह था कि भारत के उच्च न्यायालय को अंग्रेजी भारत सरकार के नियंत्रण में कर दिया जाए। साइमन कमीशन के इस कदम द्वारा भारत की न्यायपालिका का गला घोंटा जा रहा था।

  1. पांचवा सुझाव दिया गया था वह यह था कि बर्मा को भारत से अलग कर दिया जाए और उसे एक अलग अंग्रेजी सरकार द्वारा संचालित किया जाए। यह वही बर्मा है जिसे आज म्यांमार के नाम से जाना जाता है।

  1. छठवां सुझाव दिया गया था कि उड़ीसा और सिंध को एक अलग प्रदेश का दर्जा दे दिया जाए और यहां पर अलग रूप से अंग्रेजी प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाए और इसका संचालन किया जाए।

  1. सातवा सुझाव दिया था कि प्रांतीय विधान मंडलों में सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जाए ताकि भारत के हर राज्य से सदस्य इस में निर्वाचित हो सके।

  1. आठवां सुझाव था कि भारत के वर्तमान गवर्नर जनरल भारत की अल्पसंख्यक जो जातियां हैं, उनके प्रति विशेष रुप से ध्यान दें।

  1. नौवा सुझाव था, वह यह था कि प्रत्येक 10 वर्षों के बाद संविधान समीक्षा आयोग की जो स्थापना की जाती है, उसको अब समाप्त कर दिया जाए और भारत के लिए एक ऐसे संविधान की स्थापना की जाए जोकि लचीला हो और स्वयं से विकसित हो।

 

इस प्रकार से साइमन कमीशन द्वारा भारत के संविधान के संदर्भ में जो उपरोक्त समीक्षाएं और उपाय बताए गए थे, वह कई हद तक सही थे तो कई हद तक अपने आप में गलत थे।

 

साइमन कमीशन का भारत में विरोध किस प्रकार से किया गया था

साइमन कमीशन का विरोध भारत में उस समय से ही चला आ रहा था, जब इसकी 1927 में ब्रिटिश संसद द्वारा स्थापना की गई थी और इसे भारत भेजने के लिए तैयार किया गया था।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि लोग हाथों में काले झंडे लेकर अनेक बंदरगाहों पर बैठे थे, ताकि जिस किसी भी बंदरगाह से यह दल भारत आए उसका आते ही विरोध किया जा सके।

साइमन कमीशन जब भारत के बॉम्बे बंदरगाह पर पहुंचा तो वहां पर उसके प्रदर्शन में काले झंडे और साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे लगाए गए थे।

 

simon go back

 

साइमन कमीशन के विरोध में भारतीय राष्ट्र कांग्रेस की एक अहम भूमिका थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने 1927 के मद्रास अधिवेशन में यह तय कर लिया गया था कि वे साइमन आयोग का पूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे।

साइमन कमीशन का विरोध ना केवल भारतीय राष्ट्र कांग्रेस द्वारा किया गया था बल्कि भारत के अन्य क्षेत्रीय दलों द्वारा भी इसका पुरजोर विरोध किया गया था।

पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी और मद्रास की जस्टिस पार्टी द्वारा भी साइमन कमीशन का विरोध किया गया था। इसके अलावा 1905 में बनी मुस्लिम लीग ने भी साइमन कमीशन का विरोध किया था।

 

साइमन कमीशन का विरोध और लाला लाजपत राय की हत्या 

1927 से लेकर 1930 तक के पूरे साइमन कमीशन के घटनाक्रम में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह थी लाला लाजपत राय की मृत्यु।

भारत में पंजाब केसरी के नाम से प्रसिद्ध लाला लाजपत राय की साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाठियो से मार मार कर हत्या कर दी गई थी।

लाजपत राय

जब 1928 में लाहौर में लाला लाजपत राय द्वारा साइमन कमीशन का विरोध किया जा रहा था सब उन पर लाठी की एक बहुत ही बड़ी चोट की गई जिस कारण से उनकी मृत्यु हो गई थी।

इस घटना के बाद साइमन कमीशन का और भी ज्यादा विरोध होने लगा। इस घटना ने साइमन कमीशन के विरोध में आग में घी का काम किया।

जब साइमन कमीशन के विरोध के फल स्वरुप लाला लाजपत राय की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या की जा रही थी तब उनके द्वारा एक ऐतिहासिक कथन कहा गया “जो लाठिया आज मेरे ऊपर बरसाई जा रही है

एक दिन वही अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत की आखिरी कीले साबित होंगी”। इनका यह ऐतिहासिक कथन कुछ समय बाद ही हकीकत में बदल गया क्योंकि भारत ने महज 17 सालों के बाद ही अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंका।

 

FAQ – Simon commission Bharat kab aaya

सवाल : साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे।

साइमन कमीशन के अध्यक्ष ब्रिटिश संसद के सदस्य सर जॉन साइमन थे।

सवाल : साइमन कमीशन का गठन कब किया गया था।

साइमन कमीशन का गठन 8 नवंबर 1927 को इंग्लैंड में किया गया था।

सवाल : साइमन कमीशन भारत कब आया था।

साइमन कमीशन 1928 में भारत आया था।

सवाल : साइमन कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट को कब प्रस्तुत किया गया था।

साइमन कमीशन द्वारा 1930 में अपनी रिपोर्ट को अंग्रेजी संसद के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।

सवाल : साइमन कमीशन का भारत में विरोध होने का सबसे प्रमुख कारण क्या था।

साइमन कमीशन का भारत में विरोध होने का सबसे प्रमुख कारण यह था कि इसमें एक भी भारतीय सदस्य सम्मिलित नहीं था।

सवाल : हमारे भारत के किस स्वतंत्रता सेनानी की साइमन कमीशन का विरोध करते समय मृत्यु हो गई थी।

भारत के स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की साइमन कमीशन का विरोध करते समय मृत्यु हो गई थी।


Conclusion

इस ब्लॉग लेख में आपने Simon commission Bharat kab aaya के बारें में जाना। आशा करते है आप साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे की पूरी जानकारी जान चुके होंगे।

अगर आपका इससे संबन्धित किसी भी तरह का सवाल है तब नीचे कमेन्ट में पूछ सकते है जिसका जवाब जल्द से जल्द दिया जायेगा।

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